Capturing the Land of Bureaucrats : जब बड़े अफसरों की जमीन पर हो गया कब्जा!600 परिवारों को 5 साल में भी कोई हटा नहीं सका, अब आगे क्या होगा ?!

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Raipur : कोई भरोसा करे या नहीं, पर यह सच है कि अफसरों की कॉलोनी पर जबरन कब्जा हो गया और 5 साल में भी उसे हटाया नहीं जा सका। तोड़फोड़ के कई आदेश हुए पर कोई उन्हें हटा नहीं पाया। प्रशासन में प्रमुख पदों पर बैठे अधिकारियों की जमीन पर अवैध कब्जा होना और उसे हटाया नहीं जाना, बड़ी घटना है।

नवा रायपुर के मुहाने पर सेरीखेड़ी में 2017 में 15 एकड़ जमीन अफसरों की समिति को बेची गई थी। 10 करोड़ की जमीन का अफसरों ने 6 करोड़ जमा भी करा दिए हैं। लेकिन, उनकी जमीन पर आस-पास के लोगों ने मकान और झोपड़ियां बना ली। इस कब्जे को हटाने के लिए अफसर कई आला अफसरों को चिट्‌ठी लिखने के साथ खुद हाजिर होकर गुजारिश कर चुके हैं, लेकिन कब्जा नहीं हटा।

अफसर अब सड़क पर उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, पिछले पांच साल में कई बार कब्जा तोड़ने बुलडोजर भेजा जा चुका है। हर बार कब्जाधारी एकजुट होकर सामने आ जाते हैं। उन्होंने कह दिया जब तक उनका व्यवस्थापन नहीं होगा वे कब्जा नहीं छोड़ेंगे। प्रशासन उन्हें व्यवस्थान किस आधार पर दे, इसे लेकर असमंजस की स्थिति है।
जमीन खरीदने वाले अफसर अब वहां मकान तो दूर ये पता नहीं कर पा रहे हैं कि उनका प्लाट कौन सा और किस हिस्से में है। करीब पांच साल पहले यानी 2017 में अफसरों ने राज्य प्रशासनिक गृह निर्माण समिति बनायी। राज्य सरकार ने उस समिति को सेरीखेड़ी मंदिरहसौद के पास 15 एकड़ जमीन 10 करोड़ में दी जमीन देने का फैसला लिया। पिछली सरकार में इस फैसले को कैबिनेट से पास भी करा दिया गया था। उसके बाद से अब तक अफसरों की समिति को कब्जा नहीं मिला है।

100 से ज्यादा अफसरों ने जमा कराए 6 करोड़
शासन से जमीन का आवंटन होते ही से 100 ज्वाइंट और डिप्टी कलेक्टर रैंक के अफसरों ने राज्य सरकार के पास 6 करोड़ जमा करवा दिए। एक-एक अफसर ने कम से कम 10-10 लाख रुपए जमा कराए। सभी को उम्मीद थी कि रिटायरमेंट के बाद वे बंगला बनाएंगे। राज्य सरकार ने अफसरों से वादा किया था कि सभी अफसरों को 3000-3000 वर्गफीट के डेवलप प्लॉट दिए जाएंगे। यानी बिजली, सड़क और पानी की पूरी व्यवस्था कॉलोनी में होगी। जमीन पर प्लाटिंग तो दूर वहां फैले कचरे को भी आज तक हटाया नहीं जा सका है।

यहां बस गए मजदूर परिवार
अफसरों की इस जमीन पर मंदिरहसौद के ही एक खदान और आसपास की जगहों में काम करने वाले 600 से ज्यादा मजदूर परिवारों ने कब्जा कर लिया है। इन मजदूरों ने वहां अपने कच्चे घर बना लिए हैं। उनकी मांग है कि पहले उनका व्यवस्थापन किया जाए उसके बाद ही वे जमीन खाली करेंगे।

रिटायर होने के बाद भी नहीं मिला प्लाट
सेरखेड़ी में जमीन लेने वाले अफसर रिटायर भी होने लगे हैं। इनमें तत्कालीन अपर कलेक्टर प्रमोद शांडिल्य, संजय दीवान, केआर ओगरे, जोगेंद्र नायक, ओंकार यदु रिटायर हो चुके हैं। अभी कई जिला पंचायतों के सीईओ, जिलों में एडीएम, मंत्रालय में उप सचिव जैसे पदों में काम करने वाले अफसर शामिल हैं।

अवैध कब्जे पर दर्जनों नोटिस
मार्च में भी नोटिस जारी की गई थी, जिसमें 21 मार्च तक अवैध कब्जा हटाने कहा गया था। लेकिन, यह मियाद भी अब पूरी हो गई है। इस मामले में रिटायर अफसर मुख्यमंत्री से भी मिल चुके हैं। अफसरों का कहना है कि अवैध कब्जा हटाने की जिम्मेदारी रायपुर कलेक्टर की है।