Car Service in Water Crisis: जल संकट और राजनेता के 8 डंपर
दमोह नगर का जल संकट कुख्यात हुआ करता था .लोग साल दर साल बाल्टियाँ लेकर भटकते और गर्मियाँ तनाव को और बढ़ा देतीं .त्रस्त नागरिकों ने बड़ी आशा से विपक्ष के उम्मीदवार श्री जयंत मलैया को चुना .वे पटवा सरकार में मंत्री बने और जल संकट के निदान में जुट गये .
ईश्वर भी पूरी तपस्या के बाद ही सुनते हैं तो दमोह वालों की आसानी से क्यों सुन लें?उस साल भीषण गर्मी पड़ी और मानसून जून के बजाय जुलाई में आया .रोज़ आंदोलन धरना प्रदर्शन सामान्य बात बन गई .तभी खबर आई कि राजनगर तालाब लगभग पूरा सूख गया है .यह भयावह था क्योंकि नगर पालिका का जल प्रदाय ब्रिटिश काल से यहीं से था .कहते थे कि इसे आईआईटी रुड़की में केस स्टडी और सफल मॉडल की तरह पढ़ाया जाता था .प्रशासक के रूप में मैंने इस आपदा में एक अवसर देखा .
राजनगर का विशाल तालाब पिछले सौ साल से कभी साफ़ नहीं किया गया था .मैंने अपनी टीम के साथ बैठकर जन सहयोग से श्रमदान की रणनीति बनाई .मंत्रीजी सहित सभी जन प्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों, शासकीय विभागों, व्यापारियों और मीडिया के समर्थन और सक्रियता ने इस कार सेवा को उत्सव का स्वरूप दे दिया .
दमोह वासियों का पुरुषार्थ विरोध प्रदर्शन से हटकर कार सेवा में पसीना बहाने में लगा .हमारे कलेक्टर आर के स्वाई सहित सभी अधिकारियों और उनके परिवारों, बच्चों तक ने श्रम दान किया और बारिश के पहले राजनगर तालाब साफ़ व गहरा हो गया .
तालाब की टनों मिट्टी हटाने के लिये डंपरों की ज़रूरत थी। बारिश होने को ही थी .मरता क्या न करता। एक दिन ट्रैफिक पुलिस के साथ देखा कि न्यू ब्रांड डंपरों का एक बेड़ा जा रहा है। कुल आठ डंपर थे पूरे ख़ाली .वे हमने अपनी अभिरक्षा में ले लिये। उन्हें राज नगर ले गए। ड्राइवरों के उम्दा ख़ान और पान की व्यवस्था कर काम पर लगा दिया .हमारी मिट्टी उठने लगी पर जब ये गाड़ियाँ अपने गंतव्य पर नहीं पंहुची तो उच्च स्तर पर तहलका मच गया .हमें थोड़े ही पता था कि ये क़ाफ़िला एक बड़े राज नेता का था .ख़ैर जब तक वे हम तक पंहुचे हमारा कार्य पूर्ण हो चुका था और हमारी कार सेवा अपना लक्ष्य हासिल कर चुकी थी .