Building Map Scam : IAS अधिकारी हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज, जांच शुरू!

संविदा इंजीनियर को नियम विरुद्ध भवन अधिकारी बनाकर उससे नक्शे पास कराने का आरोप!

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Building Map Scam : IAS अधिकारी हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज, जांच शुरू!

Indore : दो वरिष्ठ IAS अधिकारी पूर्व निगम आयुक्त हर्षिका सिंह और इंदौर स्मार्ट सिटी के सीईओ दिव्यांक सिंह के खिलाफ लोकायुक्त ने नगर निगम में हुए भवन नक्शा घोटाले की जांच शुरू कर दी। इन दोनों आईएएस अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने नियमों के विरुद्ध एक संविदा इंजीनियर को भवन अधिकारी बनाकर करीब 250 नक्शे अवैध रूप से पास कराए। अब इस मामले की विस्तृत जांच शुरू हो गई।

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल की शिकायत में दावा किया गया कि स्मार्ट सिटी में संविदा पर कार्यरत सिविल इंजीनियर को नगर निगम में नियमित भवन अधिकारी के रूप में नियुक्त कर दिया गया। जबकि, उसके पास इस पद की आवश्यक शैक्षणिक और विभागीय योग्यता नहीं थी। यही नहीं, उसे विभिन्न प्रकार के अधिकार भी सौंप दिए गए जिससे उसने झोन क्रमांक 13 में सैकड़ों नक्शों पर अवैध डिजिटल हस्ताक्षर कर स्वीकृति दे दी।

 

शुरुआती जांच सही पाए जाने पर प्रकरण दर्ज

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने यह शिकायत लोकायुक्त मध्यप्रदेश को सभी दस्तावेजों और शपथ-पत्र के साथ की थी। उन्होंने भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 467, 336, 340, 61 (2) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1)(D) और 13(2) के तहत प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी। इसके बाद लोकायुक्त ने प्रारंभिक जांच के आधार पर एफआईआर के लिए प्रकरण क्रमांक 31/ई/2025 पंजीबद्ध किया। अब इसकी विस्तृत जांच की जाएगी।

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नक्शों को पास करने में अवैध कमाई का आरोप

शिकायत के अनुसार, संविदा इंजीनियर देवेश कोठारी ने असली तथ्यों को छिपाते हुए लगभग 250 भवनों के नक्शे अवैध तरीके से पास किए। इससे उसने बिल्डरों से मोटी रकम वसूली, साथ ही जिन भवनों को अवैध घोषित किया गया, उनमें से किसी में भी तोड़फोड़ या वैधानिक कार्रवाई नहीं की गई। शिकायत में यह भी कहा गया है कि निगम आयुक्त और स्मार्ट सिटी के सीईओ को इस संविदा कर्मचारी की असल स्थिति की जानकारी थी, बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई।

दोनों अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे

इस पूरे मामले में दोनों वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठे हैं। शिकायतकर्ता ने कहा कि उन्होंने समय रहते हर्षिका सिंह और दिव्यांक सिंह दोनों को अवगत कराया था, लेकिन जानबूझकर कोई कदम नहीं उठाया गया। इससे स्पष्ट होता है कि या तो अधिकारियों की मिलीभगत थी या लापरवाही। दोनों ही स्थितियाँ, कानूनन गंभीर अपराध की श्रेणी में आती हैं।