Celebration of Chaos : रुद्राक्ष महोत्सव की अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

प्रशासन ने अपनी सफाई दी, आयोजन समिति अभी भी खामोश!  

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Celebration of Chaos : रुद्राक्ष महोत्सव की अव्यवस्था का जिम्मेदार कौन?

Sehore : कुबरेश्वर धाम में पिछले चार में ‘रुद्राक्ष महोत्सव’ के दौरान हुई अव्यवस्था ने समिति के अनुमान और प्रशासन की सारी तैयारी की पोल खोल दी। अब इस पूरे मामले पर पल्ला झाड़ा जा रहा है। प्रशासन के मुखिया कलेक्टर प्रवीण सिंह के मुताबिक 6 दिन में 10 लाख लोगों के आने का अनुमान था, पर पहले ही दिन 20 लाख भक्त आ गए, इसलिए की गई व्यवस्था ध्वस्त हो गई। पर, ये समझ से बाहर है कि समिति ने किस आधार पर अनुमान लगाया और प्रशासन ने उसे सही क्यों माना!

सीहोर कलेक्टर प्रवीण सिंह मुताबिक रुद्राक्ष महोत्सव के दौरान जो हालात बिगड़े, ऐसा प्रशासन के गलत अनुमान के कारण हुआ। पहले उम्मीद नहीं की गई थी कि इतने ज्यादा लोग आ जाएंगे। पहले दिन जो भीड़ आई, उनमें महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के श्रद्धालु ज्यादा थे, जो अपनी गाड़ियों में आए थे। इस कारण करीब डेढ़ लाख वाहन जमा हो गए और लंबा जाम लग गया। भोपाल-इंदौर हाईवे तो पूरे 11 घंटे तक बंद रहा।

पहले से लगाए गए अनुमान से दोगुनी से ज्यादा भीड़ पहुंचने से रुद्राक्ष वितरण भी प्रभावित हुआ। पहले दिन ही शाम तक को रुद्राक्ष को लेकर लूटमार जैसे हालात बन गए थे। इसे देखते हुए रुद्राक्ष वितरण रोक दिया गया। अब पं प्रदीप मिश्रा ने कहा कि अब साल भर रुद्राक्ष बांटे जाएंगे। लेकिन, इस भारी अव्यवस्था, अराजकता और तीन की मौत को लेकर पं प्रदीप मिश्रा के पास कोई जवाब नहीं है। कलेक्टर ने भी ने तीन मृतकों में दो को बीमार बताकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया। जबकि, अभी तक ‘रुद्राक्ष महोत्सव’ की आयोजन समिति की तरफ से कोई सफाई सामने नहीं आई!

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कलेक्टर के मुताबिक, आयोजन समिति को छह दिन में करीब 10 लाख के आने का अनुमान था। ये अनुमान गलत निकला। पहले ही दिन लाखों लोग पहुंच गए। सुबह के समय 20 लाख लोग पहुंच गए। वे करीब डेढ़ लाख वाहनों से आए। कुबेरेश्वर धाम हाईवे से 400 मीटर दूर ही है। ऐसे में अलग रास्ता नहीं बचा था। जैसे-तैसे हालात काबू में आए। श्रद्धालुओं को अंदर पहुंचने के बाद ही ट्रैफिक खोला गया। अनुमान से अधिक भीड़ आने से यह स्थिति बनी। कलेक्टर के मुताबिक, आगे ऐसे हालात न बनें, इसके लिए आयोजन समिति से कहा गया है कि प्री-रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था करे। ऐसा करने से पता चल सकेगा कि कितनी भीड़ आएगी। वे ट्रेन, बस या प्राइवेट वाहनों से आएंगे। रजिस्ट्रेशन का सिस्टम जब तक नहीं होता, तब तक ऐसे हालात बने रहेंगे।

इस पूरे मामले पर प्रशासन जिस तरह कुबरेश्वर धाम के सामने शरणागत हुआ वो नागवार गुजरा। इस पूरे घटनाक्रम में ऐसा लगा कि प्रशासन इसे समिति का कार्यक्रम न मानकर स्वयं का आयोजन मान रहा है। यही कारण है कि वो बजाए आयोजन समिति को जिम्मेदार बताने के बजाए खुद ही लोगों की नाराजगी झेलता रहा और सफाई देता रहा है और दे भी रहा है। अभी भी प्रशासन खुद की गलतियां गिना रहा है! किसी भी मामले में पं प्रदीप मिश्रा या रुद्राक्ष महोत्सव कराने वाली उनकी आयोजन समिति को जिम्मेदार न बताकर उसे क्लीन चिट दी जा रही है। जबकि, ये प्रशासन का काम व्यवस्था पर नजर रखना था न कि व्यवस्था करना जिसे लेकर सफाई दी जा रही है।