Chambal Choupal: मिलिए ऐसे आईएएस से जो कभी थकता नहीं

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मिलिए ऐसे आईएएस से जो कभी थकता नहीं, ना ही छुट्टी करते और ना ही करने देते हैं, बस एक ही जुनून जनसेवा का

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आईएएस बनने के बाद पहली कलक्टरी भिंड में और वह भी ऐसी कि हर दिल के राजा बन गए, अब जबलपुर कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी के नाम को कौन नहीं जानता। यह उनकी काबिलियत और मेहनत का ही नतीजा है कि पहली बार भिंड में पदस्थ होने के बाद वह बड़े जिलों में ही पहुंचे। भिंड के बाद कुछ समय के लिए एमडी टूरिज्म और फिर मुख्यमंत्री के उप सचिव रहने के बाद उन्हें रीवा जिले में पदस्थ किया गया। इस दौरान रीवा की कमिश्नरी भी उन्होंने संभाली।

रीवा के बाद डॉक्टर इलैयाराजा टी को एक महीने पहले जबलपुर की कमान सौंपी गई। यहां पहुंचते ही उन्होंने अपनी चिर परिचित शैली में कार्य करना शुरू किया और महज 1 महीने के अंदर ही जबलपुर को स्वच्छता का आईना दिखा दिया। जहां स्टेशन के आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता था वहां आज साफ सफाई दिखाई दे रही है। उनके काम करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार और रविवार छुट्टी के दिन भी ना तो वह खुद बैठते हैं और ना ही अपने अधिकारियों को बैठने देते हैं। जनसेवा का ऐसा जज्बा कि शनिवार को भी सुबह से देर शाम तक लगातार मीटिंग का दौर चलता रहा। इस दौरान जब हमने उनसे मुलाकात करने की कोशिश की तो दो मीटिंग के बीच में कुछ समय निकालकर वह उसी अंदाज में मिले जैसे भिंड में मिला करते थे। इस दौरान हुई अनौपचारिक चर्चा में मालूम चला कि वह किस प्रकार से काम कर रहे हैं। जहां भिंड में संसाधनों की कमी थी और मातहत अधिकारी आलसी किस्म के थे तो वहीं जबलपुर में उन्हें अधिकारियों की तरफ से भी पूरा सहयोग मिल रहा है और संसाधन भी ज्यादा हैं, ऐसे में वह भी चौगुनी रफ्तार से मेहनत कर रहे हैं और एक महीने में ही उनकी मेहनत रंग लाई। इसी का नतीजा है कि जबलपुर चकाचक दिखाई दे रहा है।

यही नहीं भिण्ड में पहली बार पदस्थ रहे और सबसे कम खर्च कर शादी करके चर्चा में आये आईएएस कपल आशीष वशिष्ठ और सलोनी सिडाना भी जबलपुर में नगर निगम कमिश्नर और सीईओ जिला पंचायत हैं। वह भी डॉ इलैया राजा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन रात मेहनत से अपने काम में जुटे हुए हैं। इसी के साथ भिण्ड से खनिज सर्वेयर विजय चक्रवर्ती भी जबलपुर में पदस्थ हुए हैं, जो भिण्ड में काफी कर्मठ रहे हैं।
कुछ साल पहले जब मैंने जबलपुर की यात्रा की थी तब लगा था किस गंदे शहर में आ गए। लेकिन अब लग रहा है कि वास्तव में जबलपुर इस बार स्वच्छता पायदान में लंबी छलांग लगाएगा। प्रशासन तो अपनी पूरी मेहनत कर रहा है बस लोगों को भी समझदारी दिखाने की जरूरत है।

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जब खुद के जाने का समय आया तब भाजपा जिलाध्यक्ष ने घोषित की अपनी कार्यकारिणी

वैसे तो अध्यक्ष बनने के बाद किसी भी अध्यक्ष को अपने नीचे कार्यकारिणी कुछ समय बाद ही घोषित करनी होती है, ताकि वह अपनी कार्यकारिणी को लेकर संगठन की तमाम गतिविधियों को जन जन तक पहुंचा सकें। लेकिन भिंड भाजपा जिला अध्यक्ष शायद अकेले ही जिला भाजपा को चलाना चाहते थे और इसीलिए शायद उन्होंने 3 साल तक अपनी कार्यकारिणी घोषित नहीं की। क्योंकि शायद उनको लगता था कि उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलने लायक शायद जिले में कोई नहीं। अब जब उनके कार्यकाल को 3 साल हो गए और उन्हें भी लगने लगा कि अब उनकी विदाई का वक्त आ गया है तब उन्होंने जिला कार्यकारिणी की घोषणा की। अब यह घोषणा भी उन्होंने खुद ही की या फिर इसके पीछे वरिष्ठ नेतृत्व का दबाव था यह तो जिला अध्यक्ष ही जानें। लेकिन एक बार को तो ऐसा ही लग रहा था कि शायद नाथू सिंह गुर्जर का कार्यकाल बिना कार्यकारिणी के ही गुजरेगा।                            IMG 20220314 WA0061

फरवरी 2019 में जिला अध्यक्ष की कमान संभालने के बाद नाथू सिंह गुर्जर द्वारा अब जाकर 11 मार्च 2022 को अपनी जिला कार्यकारिणी गठित की गई। अब सवाल यह है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी जैसा संगठन कैसे एक जिलाध्यक्ष को इतनी छूट दे सकता है जो बिना कार्यकारिणी गठित किए ही अध्यक्षी चलाता रहे, या फिर इसके पीछे संगठन की ही मंशा थी? अब यह तो नाथू सिंह अथवा संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी ही जानें। लेकिन नाथू सिंह गुर्जर ने भी लंबा समय बतौर जिलाध्यक्ष बिता लिया है। हालांकि उनके समय में भाजपा ने कोई खासी उपलब्धि हासिल नहीं की। और चूंकि चुनावों का समय नहीं था इसलिए उनका समय भी शांति पूर्वक निकला। उपचुनाव की बात करें तो नाथू सिंह गुर्जर उसमें फेल ही रहे जो गोहद से आने के बावजूद वहां अपनी सीट नहीं बचवा सके।

क्या अब तक के सबसे कमजोर भाजपा जिलाध्यक्ष रहे नाथू सिंह गुर्जर!

भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर द्वारा अपने कार्यकाल के 3 साल बाद जिला कार्यकारिणी की घोषणा किए जाने पर अब उनकी जमकर खिंचाई हो रही है। आखिर एक जिला अध्यक्ष की ऐसी क्या मजबूरी रही कि जो 3 साल तक अपनी कार्यकारिणी घोषित नहीं कर सका? जबकि जिला अध्यक्ष बनने के कुछ समय बाद ही उनको अपनी कार्यकारिणी घोषित करनी होती है। 2019 में नाथू सिंह गुर्जर को भाजपा द्वारा आनन-फानन में जिलाध्यक्ष तो बना दिया गया था लेकिन उनके पास जनाधार बिल्कुल नहीं था, उनसे ऊपर कई वरिष्ठ नेता थे। और शायद इसी के चलते नाथू सिंह गुर्जर अपनी कार्यकारिणी नहीं बना पाए। अपने जिला अध्यक्ष के कार्यकाल में नाथू सिंह गुर्जर की कुछ खास उपलब्धि भी नहीं रही जो वह गिना सकें। वह केवल भाजपा का चेहरा बनकर कुर्सी पर बैठने के काम आए। उपचुनाव में भी गोहद से होने के बावजूद वह गोहद सीट पर भाजपा को विजयश्री नहीं दिला सके, तो इससे उनकी काबिलियत का अंदाजा सहर्ष ही लगाया जा सकता है। कार्यक्रमों में फ्रंट सीट पर बैठने के अलावा वह केवल विभिन्न विभागों में अंदर ही बैठे नजर आते रहे।

चोरी की बाइक से लिखा भिण्ड, क्या संदेश देना चाहती है पुलिस?

भिण्ड जिला पुलिस ने बाइक चोरी को लेकर बड़ी कार्यवाही करते हुए 33 बाइक्स के साथ 3 आरोपियों को पकड़ा। लेकिन पुलिस ने बाइक्स को कंट्रोल रूम पर इस प्रकार प्रदर्शित किया कि उनको एक के बाद एक खड़ा करके अंग्रेजी के अक्षरों में भिण्ड लिख दिया। जो कि ऊंचाई से फ़ोटो लेने पर साफ भिण्ड लिखा दिखाई दे रहा है।
अब सवाल यह उठता है कि भिण्ड लिखकर पुलिस आखिर क्या संदेश देना चाह रही थी। साफ है कि भिण्ड पुलिस ने जो बड़ी उपलब्धि हासिल की है उसको दर्शाने की कोशिश भिण्ड पुलिस द्वारा की जा रही है। और हो भी क्यों ना आखिर लंबे समय से चोरी जा रही बाइक्स को पुलिस ने बरामद किया है। अब भिण्ड पुलिस का बाइक चोरों को एक ही संदेश है कि यहां से बाइक चोरी करने की कोशिश ना करें।                                IMG 20220314 WA0060

गोरमी थाना प्रभारी सहित उनकी टीम को वरिष्ठ अफसरों से पुरष्कृत करवाने की बात भी पुलिस अधीक्षक शैलेन्द्र सिंह चौहान द्वारा कही जा रही है।

रीवा के बाद डॉक्टर इलैयाराजा टी को एक महीने पहले जबलपुर की कमान सौंपी गई। यहां पहुंचते ही उन्होंने अपनी चिर परिचित शैली में कार्य करना शुरू किया और महज 1 महीने के अंदर ही जबलपुर को स्वच्छता का आईना दिखा दिया। जहां स्टेशन के आसपास गंदगी का अंबार लगा रहता था वहां आज साफ सफाई दिखाई दे रही है। उनके काम करने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार और रविवार छुट्टी के दिन भी ना तो वह खुद बैठते हैं और ना ही अपने अधिकारियों को बैठने देते हैं। जनसेवा का ऐसा जज्बा कि शनिवार को भी सुबह से देर शाम तक लगातार मीटिंग का दौर चलता रहा। इस दौरान जब हमने उनसे मुलाकात करने की कोशिश की तो दो मीटिंग के बीच में कुछ समय निकालकर वह उसी अंदाज में मिले जैसे भिंड में मिला करते थे। इस दौरान हुई अनौपचारिक चर्चा में मालूम चला कि वह किस प्रकार से काम कर रहे हैं। जहां भिंड में संसाधनों की कमी थी और मातहत अधिकारी आलसी किस्म के थे तो वहीं जबलपुर में उन्हें अधिकारियों की तरफ से भी पूरा सहयोग मिल रहा है और संसाधन भी ज्यादा हैं, ऐसे में वह भी चौगुनी रफ्तार से मेहनत कर रहे हैं और एक महीने में ही उनकी मेहनत रंग लाई। इसी का नतीजा है कि जबलपुर चकाचक दिखाई दे रहा है।

यही नहीं भिण्ड में पहली बार पदस्थ रहे और सबसे कम खर्च कर शादी करके चर्चा में आये आईएएस कपल आशीष वशिष्ठ और सलोनी सिडाना भी जबलपुर में नगर निगम कमिश्नर और सीईओ जिला पंचायत हैं। वह भी डॉ इलैया राजा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर दिन रात मेहनत से अपने काम में जुटे हुए हैं। इसी के साथ भिण्ड से खनिज सर्वेयर विजय चक्रवर्ती भी जबलपुर में पदस्थ हुए हैं, जो भिण्ड में काफी कर्मठ रहे हैं।
कुछ साल पहले जब मैंने जबलपुर की यात्रा की थी तब लगा था किस गंदे शहर में आ गए। लेकिन अब लग रहा है कि वास्तव में जबलपुर इस बार स्वच्छता पायदान में लंबी छलांग लगाएगा। प्रशासन तो अपनी पूरी मेहनत कर रहा है बस लोगों को भी समझदारी दिखाने की जरूरत है।

ग्वालियर को स्वच्छता सर्वेक्षण में नंबर वन लाने के लिए सिंधिया सहित भाजपा के मंत्री जब उतरे सड़कों पर

स्वच्छता सर्वेक्षण में ग्वालियर हमेशा पिछड़ता ही रहा है। लेकिन इस बार लोगों को जागरूक करने के लिए अब भाजपा के मंत्रियों ने बीड़ा उठाया है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगवानी में ग्वालियर क्षेत्र के सभी मंत्री घर घर पहुंचे और स्वच्छता के प्रति लोगों को प्रेरित किया। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ही ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट, ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर, राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह के साथ ही ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर एवं अन्य जनप्रतिनिधि घर घर जाकर लोगों को स्वच्छता का संदेश दे रहे हैं। ताकि स्वच्छता में पीछे रहा ग्वालियर नंबर वन के पायदान पर पहुंच सके।                                                                  IMG 20220314 WA0062

इसके साथ ही रविवार को ग्वालियर की सूरत देखने लायक ही थी जब केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में हजारों लोग शहर को साफ करने निकल पड़े। सिंधिया ने खुद भी झाड़ू लगाई और कचरा उठाकर संदेश दिया कि सफाई करने खुद का ही काम है और इसमें संकोच नहीं करना चाहिए। सिंधिया ने यहां तक कहा कि सड़कें इस कदर साफ होने चाहिए जिन पर बैठ सकें।

आपको बता दें कि ग्वालियर ही नहीं इसके आसपास के जिलों की हालत भी स्वच्छता सर्वेक्षण में दयनीय ही रही है। ऐसे में ग्वालियर अंचल में 11 मार्च से आ रही स्वच्छता सर्वेक्षण की टीम को सब उजला उजला दिखाने के प्रयास तेज हो गए हैं। एक दो दिन के अभियान की जगह इसे आदत में लाना होगा।