Chambal Choupal: शादियां अटेंड करने जा रहे एक नेता जी ने किया यह काम, हो रही सराहना

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भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष पूर्व विधायक मुकेश चौधरी शुक्रवार की शाम लहार क्षेत्र की शादियों में सम्मलित होने लहार आ रहे थे, तभी महुआ मोड़ पर लहार के ही सचिन सोनी एवम उनकी माँ भगवती सोनी घायल अवस्था मे सड़क पर पड़े दिखाई दिए जो किसी जानवर से उनकी मोटरसाइकिल टकराने से घायल हो गए थे। बेटे की हालत ज्यादा गंभीर थी जबकि मां वाहनों को हाथ देकर रोकने का प्रयास कर रही थी, लेकिन अपने अपने कामों से जा रहे किसी ने भी रुककर इन घायलों की मदद करने की कोशिश नहीं कि।

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तभी लहार में एक परवारिक शादी में सम्मिलित होने जा रहे भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश चौधरी की नजर इन घायलों पर पड़ी। उन्होंने गाड़ी रोककर घायलों से बात की ओर एम्बुलेंस को फोन लगाया पर एम्बुलेंस आने में देरी देखते हुए वह अपनी गाड़ी में घायलों को लेकर सिविल अस्पताल पहुँचे और उनका इलाज कराया। यही नहीं जब तक घायलों के परिजन नहीं आये तब तक वहीं घायलों के साथ खड़े रहे। ये देखकर वहां मौजूद लोगों के मुंह से सिर्फ यही निकला कि नेता हो तो ऐसा।

ओर वहीं जब घायलों के परिजन वहां पहुँचे तो उन्होंने नेताजी का तहे दिल से सुक्रिया अदा किया। तब जाकर कहीं मुकेश चौधरी सिविल अस्पताल से निकलकर शादियों में सम्मिलित होने पहुँचे। हालांकि इससे पहले भी कई नेता इस प्रकार की दरियादिली दिखा चुके हैं लेकिन उनमे से ज्यादातर अपने साथ चल रहे वाहन से अस्पताल भिजवा दिया और खुद अपने काम में पहुंच गए। लेकिन यहां नेता जी खुद ही अस्पताल लेकर पहुंचे और इलाज दिलवाया।

कमलनाथ की सभा में क्या एक होकर रहेगी जिला कांग्रेस?

भिंड जिले में आगामी 23 फरवरी को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ की जन आक्रोश सभा का आयोजन स्थानीय एमजेएस स्टेडियम ग्राउंड में किया जा रहा है। कमलनाथ की आगामी सभा के लिए कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ता प्राणपण से जुट गए हैं। सभा में बुलावा देने के लिए जमकर पीले चावल बांटे जा रहे हैं।

लेकिन यहां पर कांग्रेस के दो धड़े अभी तक एक नहीं हो पाए हैं और शायद हो भी ना पाएं, क्योंकि उनके विरोध की जड़ें बहुत ही गहरी जमी हुई हैं। इन विरोध की जड़ों में पहले से चली आ रही कटारे एवं चौधरी के बीच की लड़ाई तो हाल ही के उपचुनाव के बाद पनपी कटारे और डॉ सिंह की लड़ाई गहरी हो चुकीं हैं।

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जहां एक ओर कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं ने उपनेता प्रतिपक्ष रहे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के घर पर ही कमलनाथ की सभा को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी, जिसमें जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाहा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष डॉ राधेश्याम शर्मा सहित सभी नेता आए, तो वहीं कांग्रेस का एक दूसरा धड़ा जिनमें पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्वर्गीय सत्यदेव कटारे के सुपुत्र पूर्व विधायक हेमंत कटारे, पूर्व जिलाध्यक्ष जयश्रीराम बघेल, जिला प्रवक्ता अनिल भारद्वाज सहित कई अन्य नेता जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए, उन्होंने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस से ही अनभिज्ञता जाहिर कर दी। हालांकि कुछ दिनों बाद वह भी मैदान में जन आक्रोश रैली के लिए लोगों को इकट्ठा करते नजर आने लगे।

अब देखने वाली बात यह होगी कि कमलनाथ की सभा में इनकी आपसी फूट खत्म होगी या फिर कांग्रेस इसी प्रकार से बिखरी रहेगी। जिसको लेकर दिग्विजयसिंह ने भी कांग्रेस और कांग्रेसियों की आंखें खोलने वाला एक बयान दिया है।

अब एकजुट हो रही ग्वालियर-चंबल अंचल में कांग्रेस! समीकरण तो यही बता रहे हैं

ग्वालियर-चंबल अंचल में लंबे समय से कांग्रेस की अंतर्कलह जगजाहिर रही है। इस अंचल में कांग्रेस के जो बड़े नेता थे उनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों के अलग अलग खेमे थे। सिंधिया के भाजपाई हो जाने के बाद यहां दिग्विजयसिंह का खेमा ही रह गया। लेकिन इनके अलावा भी अन्य कद्दावर नेता जिनमें भिण्ड जिले से डॉक्टर गोविंद सिंह, चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी एवं सत्यदेव कटारे रहे। सत्यदेव कटारे के निधन के बाद अब उनके पुत्र हेमंत कटारे उनकी गद्दी संभाल रहे हैं।

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लेकिन कांग्रेस के अंदर गुटबाजी या कहें आपसी खींचतान का बीज कई वर्षों से जमकर फल फूल रहा था। लेकिन हालिया दिनों में कांग्रेस के कद्दावर नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी ने सक्रिय होकर अब इन दूरियों को मिटाने की कोशिश शुरू की है और शायद इसी का नतीजा है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा के लिए जहां चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के आवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी शिरकत की और चौधरी ने उनके पैर छूकर उनकी आवभगत की तो वहीं पूर्व विधायक हेमंत कटारे की शादी की सालगिरह की बधाई देने वह भोपाल उनके निवास पर पहुंच गए। ऐसे में अब कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नजर आ रहे हैं और लग रहा है कि अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभा में सभी एक दिख सकते हैं।

पत्रकार ने सोशल मीडिया पर प्रशासन की मंशा पर उठाए सवाल तो करवा दी एफआईआर

भिण्ड जिले में प्रशासन द्वारा बोर्ड परीक्षाओं में बिल्कुल नकल ना चलने देने के लिये तमाम उपाय अपनाए जा रहे हैं। लेकिन इन उपायों में मीडिया को भी कवरेज से दूर रखने की बात समझ नहीं आ रही। ऐसे में बाहर से कितनी भी सख्ती कर लो लेकिन अंदर क्या चल रहा है इसका पता भी नहीं चल सकता। यहां का शिक्षा माफिया भी बड़ा घाघ है जो अंदर ही अंदर जुगाड़ बिठाने में लगा रहता है। ऐसे में एक पत्रकार ने एक केंद्र का नाम ना खोलते हुए एक परीक्षार्थी का हवाला देते हुए सोशल मीडिया पर लिख दिया कि बाहर से कुछ नहीं जा रहा और अंदर नकल की पूरी व्यवस्था चल रही है।

बस फिर क्या था प्रशासन को अपनी बेइज्जती लगी और कलेक्टर साहब का सोशल मीडिया पर पाबंदी वाला आदेश 19 तारीख को मीडिया के बीच जारी कर दिया और बस उसी का हवाला देते हुए शिक्षा विभाग के लोगों द्वारा आवेदन पुलिस को दिया गया और पुलिस ने भी धारा 188 के तहत एफआईआर दर्ज कर दी। सबसे बफी बात यह है कि जारी आदेश पर 17 तारीख डाली हुई है जबकि मीडिया को आदेश 19 को दिया गया और एफआईआर भी इसी दिन कर दी गई।
ऐसे में तो सरासर मीडिया को डराकर चुप रखने की मंशा प्रशासन की दिख रही है।

नियमों के पालन का हवाला देकर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का दोषी कौन?

10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए शासन प्रशासन द्वारा तमाम नियम लागू किए गए थे। प्रवेश पत्र पर प्रवेश का समय 9:45 तक दिया गया था जबकि शासन द्वारा अलग से गाइडलाइन जारी करते हुए कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत 8:30 बजे तक परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्र पर पहुंचने के निर्देश दिए गए थे और उन्हें केवल 15 मिनट का ग्रेस पीरियड दिया गया। ऐसे में भिंड जिला प्रशासन द्वारा भी इसको सख्ती से लागू करते हुए छात्रों के साथ बिल्कुल भी रियायत नहीं बरती गई, जिसके चलते सैकड़ों छात्र छात्राएं परीक्षा देने से वंचित रह गए।

प्रशासन चाहता तो अपनी तरफ से कुछ रियायत देकर 5-10-15 मिनट की देरी से पहुंचे इन छात्रों को परीक्षा मैं बैठने दिया जा सकता था। लेकिन हठधर्मिता ऐसी कि छात्र गिणगिड़ाते रहे आंसू बहाते रहे लेकिन तमाम निवेदनों के बावजूद भी प्रशासन में बैठे अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा और छात्र छात्राओं का साल बर्बाद हो गया जिसके बाद भिंड के पत्रकारों ने प्रशासन के इस कदम की जब आलोचना शुरू की तो शासन को नया आदेश जारी करना पड़ा जिसके तहत प्रवेश पत्र पर लिखे समय के अनुसार ही परीक्षा में प्रवेश देने की बात कही गई जिसके बाद छात्र-छात्राओं ने कुछ राहत की सांस ली।

लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ऐसी हठधर्मिता किस काम की है जिससे बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाए। कलेक्टर साहब के पास खुद से निर्णय लेने की भी क्षमता होती है। लेकिन शासन के निर्णय का हवाला देते हुए अपनी हठधर्मिता के चलते सैकड़ों बच्चों का साल बर्बाद कर दिया। इसमें दोषी शासन ज्यादा है जिन्होंने प्रवेश पत्र पर कुछ और समय दिया और बाद में प्रेस नोट जारी कर कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करने का आदेश दिया। ऐसे में कई छात्र-छात्राएं जो सुदूर अंचलों में रहते हैं उन तक सूचना नहीं पहुंच पाई, जिसके चलते वह परीक्षा केंद्र पर लेट पहुंचे, तो कुछ छात्र छात्राएं ट्रांसपोर्ट की कमी के चलते लेटलतीफी का शिकार हुए।