Chambal Choupal: ये क्या बोल गए कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह!

Chambal Choupal: ये क्या बोल गए कांग्रेस के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह!

कांग्रेस के कद्दावर नेता लहार से लगातार सात बार के विधायक पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह यूं तो भाजपा एवं आरएसएस पर हमेशा हमलावर रहते हैं। लेकिन बीते दिनों पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह के निवास पर आयोजित पत्रकार वार्ता में शहरों के नाम बदले जाने को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने जो जवाब दिया उसे सुनकर सभी हैरान रह गए। डॉक्टर गोविंद सिंह ने कहा कि शहरों के नाम बदलने के वह विरोधी हैं।

जो शहरों के नाम हम वर्षों से सुनते आ रहे हैं उन्हें बदलकर क्या मिलेगा। भाजपा वाले तो कल अपने पिताजी का नाम भी बदलने लगेंगे। हालांकि डॉ गोविंद सिंह ने फिर से इस शब्द को दोहराने की जगह वाक्य बदल दिया। अब कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद शहरों के नाम वापस पुराने नामों पर किये जाने को लेकर उन्होंने कहा कि वह भविष्यवक्ता नहीं हैं। जनता की राय के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा।लेकिंसब्से बड़ी बात तो यह है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के इस प्रकार के बयान के बावजूद भाजपा नेताओं ने चुप्पी साध ली है। भिण्ड के भाजपा नेता कांग्रेस के इस कद्दावर नेता के सामने कुछ बोल नहीं पाते, खासतौर पर जिलाध्यक्ष नाथू सिंह गुर्जर अब तक के सबसे विफल भाजपा जिलाध्यक्ष साबित हुए हैं जो मुद्दों को भुना ही नहीं पाते।

भिंड जिला अस्पताल में नर्स की हत्या पर सीएमएचओ को हटाये जाने की क्यों हो रही मांग?

गुरुवार की शाम को जिला अस्पताल में पदस्थ महिला नर्स नेहा चंदेला की उसी के ऑफिस में गोली मारकर हत्या कर दी गई। हत्यारा भी कोई और नहीं बल्कि जिला अस्पताल में कार्यरत वार्ड बॉय रितेश शाक्य था। जिसने हत्याकांड को अंजाम देने के बाद खुद ही कोतवाली पहुंचकर सरेंडर भी कर दिया। हत्याकांड की वजह प्रेम प्रसंग बताया जा रहा है, जिसमें शादीशुदा रितेश नर्स नेहा के प्यार में पड़कर उसको शादी करने से मना कर रहा था। नहीं मानने पर उसने नेहा की कनपटी में गोली मारकर उसे मौत के घाट उतार दिया।

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घटना से जिला अस्पताल में तैनात अन्य नर्सों में भी रोष व्याप्त हो गया और वह सीधे हत्यारे को फांसी देने के साथ ही सीएमएचओ को हटाने की मांग करने लगीं। उनका कहना है कि हत्यारा रितेश काफी लंबे समय तक सीएमएचओ के घर में ही ड्यूटी कर रहा था, जिसके कहने पर कभी भी किसी भी नर्स की ड्यूटी बदल दी जाती थी। ऐसे में सभी उस के दबाव में रहतीं थीं और इसी वजह से उसके भाव इतने बढ़ गए कि वह किसी के साथ कुछ भी हरकत करता रहता था। लेकिन सीएमएचओ के साथ उसकी नज़दीकियों के चलते कोई उससे कुछ नहीं बोल पाता था। और शायद इसी के चलते उसने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दे दिया।

ऐसे में हत्याकांड के दूसरे दिन सभी नर्स हत्यारे को फांसी, मृतिका के परिजनों को मुआवजा, अपनी सुरक्षा के साथ ही सीएमएचओ को हटाए जाने की मांग को लेकर धरने पर बैठी रहीं।

अतिक्रमण विरोधी अभियान को लेकर एक्शन मोड में कलेक्टर

भिण्ड शहर में नाले नालियों और सड़कों के ऊपर अतिक्रमण की समस्या एक नासूर बनी हुई है। चंद लोगों के अतिक्रमण के चलते हजारों लाखों लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसको लेकर कलेक्टर के पास लगातार कई बार शिकायतें भी पहुंची। जिसके बाद भिंड कलेक्टर सतीश कुमार एस एक्शन मोड में आ गए और नाले नालियों की सफाई के आदेश दे दिए।

साथ ही इनके ऊपर या आसपास किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए धारा 144 लगा दी है। अगर कोई प्रशासन के अतिक्रमण हटाने के अभियान में अवरोध उत्पन्न करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद अब लग रहा है कलेक्टर साहब की यह अतिक्रमण विरोधी मुहिम रंग लाएगी और नाले नालियां और सड़कें अतिक्रमण से मुक्त होकर एक सुंदर शहर बनेगा।

देखने वाली बात यह भी होगी कहीं बीच मे ही कोई दबाव ना आ जाये और मुहिम ठंडे बस्ते में चली जाए। हालांकि कलेक्टर साहब के तेवर देखकर रो ऐसा ही लग रहा है कि मुहिम पूरी होकर ही दम लेगी।

बच्चों को टायर चलाते देख जब एक एसडीएम का जागा बचपना और चलाया लकड़ी की डंडी से साइकिल का टायर

कहते हैं कि बचपन सभी के जीवन का सबसे प्यारा समय होता है। बचपन की यादों को कभी नहीं भुलाया जा सकता, और वह ताउम्र जस की तस बनी रहती हैं। ऐसा ही कुछ देखने को मिला मुरैना जिले के अंबाह में, जहां पर एसडीएम राजीव समाधिया बीते सप्ताह सुबह के समय जब भ्रमण पर निकले तो एक पार्क में छोटे-छोटे बच्चों को लकड़ी की डंडी की सहायता से साइकिल का टायर चलाते हुए देखा।

बस फिर क्या था एसडीएम साहब का बचपना जागृत हो गया और उन्होंने लकड़ी की डंडी और टायर हाथ में ले लिया। और फिर दंडी मार कर टायर को दौड़ाने लगे इधर से उधर। काफी देर तक एसडीएम साहब ने टायर को दौड़ाया। यह देखकर बच्चे भी ताली बजा रहे थे।

वाकई में बचपन की यादें अथवा शरारतें याद करके जवानी तो छोड़िए बुढ़ापे में भी लोग बच्चे बन जाते हैं। एसडीएम साहब के बच्चों के साथ लकड़ी की डंडी और टायर से खेलने के इस वाकये को सभी सराह रहे हैं। लोगों का कहना है कि जो अपनी जड़ों को नहीं भूलता वह जीवन में हमेशा तरक्की की राह पर ही रहता है।

हमेशा बिखरी दिखने वाली जिला कांग्रेस क्या कमलनाथ की सभा मे होगी एक?

कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ 23 फरवरी को भिंड में बड़ी आम सभा को संबोधित करने पहुंच रहे हैं। ऐसे में उनकी आगामी सभा को लेकर गुरुवार को कांग्रेस के पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ नेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी के निवास पर एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के वरिष्ठ वयोवृद्ध नेता पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी शिरकत की। जबकि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मानसिंह कुशवाहा के साथ ही कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष खिजर मोहम्मद कुरैशी, कांग्रेस सेवादल यंग ब्रिगेड के प्रदेशाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह भदोरिया पिंकी, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष डॉ राधेश्याम शर्मा के अलावा राहुल सिंह भदोरिया एवं राहुल सिंह कुशवाह सहित कई कांग्रेसी मौजूद रहे।

लेकिन इसमें कांग्रेस का ही एक दूसरा खेमा नजर नहीं आया। जिसमें पूर्व जिला अध्यक्ष जय श्री राम बघेल, पूर्व विधायक हेमंत कटारे सहित कांग्रेस के मीडिया प्रभारी अनिल भारद्वाज भी नदारद रहे। हालांकि यह सभी लोग भी कांग्रेस से तन मन से जुड़े होने की बात जरूर कहते हैं, लेकिन अपने ही कुछ नेताओं से दूरियां बनाकर रखते हैं।

हेमंत कटारे के स्वर्गीय पिता सत्यदेव कटारे से चौधरी राकेश सिंह की दूरियां हमेशा बनी रहीं। वहीं पहले उपचुनाव में हेमंत कटारे की भरपूर मदद करने वाले डॉक्टर गोविंद सिंह पर जब जिला अध्यक्ष के माध्यम से हेमंत कटारे ने दूसरे उपचुनाव में भाजपा की मदद कर हरवाने का आरोप लगाया तो स्वाभाविक है दोनों के बीच दूरियां बनना तय है। ऐसे में अब आगामी कमलनाथ की सभा में दोनों खेमों की दूरियां मिट पाएंगी या फिर कांग्रेस इसी प्रकार से खेमों में बंटी रहेगी। इसका फायदा विपक्ष उठाता रहेगा और कांग्रेस के नेता आपस में ही एक दूसरे से लड़कर अपना ही विनाश करते रहेंगे! यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

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परानिधेश भारद्वाज
परानिधेश भारद्वाज

पिछले दस वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। उनकी लेखनी की वजह से कम समय मे ही उन्होंने इस क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया। उनके पिता श्री सत्यनारायण शर्मा से उनको लेखन विरासत में मिली है