Chandrayan-3: कौन हैं रितु कारीधाल जिन्हें चांद पर चंद्रयान उतारने की जिम्मेदारी मिली
MTech करने के बाद रितु कारिधाल ने PHD करनी शुरू की और एक कॉलेज में पार्टटाइम प्रोफेसर के तौर पर पढ़ाने लगीं, स्टारसन की रिपोर्ट के मुताबिक इसी बीच 1997 में उन्होंने इसरो में जॉब के लिए अप्लाई किया. वहां उनकी नियुक्ति हो गई. मुश्किल ये थी कि जॉब के लिए उन्हें PHD छोड़नी थी, जिसके लिए वह राजी नहीं थी. जिन प्रोफेसर मनीषा गुप्ता की गाइडेंस वे PHD कर रहीं थीं जब उन्हें ये पता चला तो उन्होंने रितु को इसरो ज्वॉइन करने के लिए प्रोत्साहित किया.
मंगलयान मिशन में निभाई थी अहम भूमिका
रितु कारिधाल को पहली पोस्टिंग यू आर राव सेटेलाइट सेंटर में मिली थी. यहां उनकी परफॉर्मेंस ने सबको प्रभावित किया. 2007 में उन्हें इसरो युवा वैज्ञानिक का पुरस्कार मिला. ये वो दौर था जब मंगलयान मिशन पर काम शुरू होने वाला था. एक इंटरव्यू में रितु कारिधाल ने बताया था कि ‘अचानक ही मुझे बताया कि अब मैं मंगलयान मिशन का हिस्सा हूं, ये मेरे लिए शॉकिंग था, लेकिन उत्साहजनक भी था, क्योंकि मैं एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट का हिस्सा बनी थी.
ऐसे मिली चंद्रयान-3 की जिम्मेदारी
रितु कारिधाल चंद्रयान-2 की मिशन डायरेक्टर थीं. उनके अनुभव को देखते हुए 2020 में ही इसरो ने ये तय कर दिया था कि चंद्रयान-3 का मिशन भी रितु के ही हाथों में होगा. इस मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी वीरामुथुवेल हैं. इसके अलावा चंद्रयान-2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहीं एम वनिता को इस मिशन में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी दी गई है जो पेलॉड, डाटा मैनेजमेंट का काम संभाल रही हैं.
परिवार को सफलता का श्रेय देती हैं रितु
रितु कारिधाल के परिवार में दो भाई और एक बहन हैं, उनके भाई लखनऊ के राजाजीपुरम में रहते हैं. रितु की शादी अविनाश श्रीवास्तव से हुई है जो बैंगलोर में टाइटन इंडस्ट्री में कार्यरत हैं, इनके दो बच्चे बेटा आदित्य और बेटी अनीषा है. वह अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार को देती हैं, एक इंटरव्यू में रितु ने कहा था कि उनका परिवार ये समझता है कि उनके लिए मिशन कितने जरूरी हैं. वह हर तरीके से मेरी मदद करते हैं, मुझे उनकी चिंता नहीं करनी पड़ती.