Changes in Federal Immigration Policies:कनाडा से 70000 छात्रों को वापस लौटना पड़ेगा देश?

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Changes in Federal Immigration Policies:कनाडा से 70000 छात्रों को वापस लौटना पड़ेगा देश?

जॉब के लिए कनाडा जाने का सपना देख रहे भारतीयों के लिए बुरी खबर है। अब कनाडा में प्रवासी कर्मचारियों को वहां की कंपनियों में काम मिलना इतना आसान नहीं होगा। अब कनाडाई कंपनियों को वहां अब पहले स्थानीय नागरिकों को जॉब देनी होगी। इसके लिए ट्रूडो सरकार बकायदा विदेशी ट्रेम्पररी कर्मचारियों को लेकर ऐलान कर चुकी है।कनाडा की ट्रूडो सरकार की मनमानी माइग्रेशन नीतियों के कारण हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्र संकट में आ गए हैं। हाल ही में लागू की गई नीतियों से 35,000 से अधिक भारतीय छात्रों पर डिपोर्टेशन का खतरा मंडरा रहा है।

ये छात्र, जो कनाडा में उच्च शिक्षा और बेहतर भविष्य की उम्मीद लेकर आए थे, अब नई पाबंदियों के चलते वर्क परमिट और स्थायी निवास के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।

सरकार की स्टडी परमिट और परमानेंट रेजिडेंसी नॉमिनेशन की संख्या सीमित करने के फैसले ने इन छात्रों के सपनों पर पानी फेर दिया है। इसके अलावा, अस्थायी श्रमिकों की संख्या में विदेशी कामगारों की हिस्सेदारी कम करने के निर्णय ने छात्रों के लिए स्थिति और गंभीर बना दी है।

कनाडा के विभिन्न प्रांतों में इस फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, लेकिन ट्रूडो सरकार की कड़ी नीतियों ने हजारों छात्रों को अनिश्चित भविष्य की ओर धकेल दिया है।

Why will 700 students who went to Canada to study have to come back home  What is the whole matter-कनाडा पढ़ने गए 700 छात्रों को क्यों वापस घर आना  पड़ेगा? क्या है

कनाडा में 70,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय स्नातक छात्रों पर निर्वासन का खतरा मंडरा रहा है। Study के साथ नए जीवन की उम्मीद लेकर कनाडा पहुंचे ये छात्र अब प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार की नीतियों के शिकार बन रहे हैं। हाल ही में, ट्रूडो सरकार ने स्टडी परमिट और ‘परमानेंट रेजिडेंसी नॉमिनेशन’ की संख्या को सीमित कर दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर बड़ा असर पड़ा है।

सरकार ने मंगलवार को अस्थायी श्रमिकों की संख्या में भी विदेशी कामगारों की हिस्सेदारी को कम करने का फैसला लिया। इसके परिणामस्वरूप, इस वर्ष के अंत में अपनी पढ़ाई पूरी करने वाले करीब 70,000 अंतरराष्ट्रीय छात्रों को, जिनमें से 50% से अधिक भारतीय हैं, कनाडा छोड़कर अपने देश लौटना पड़ सकता है। यह फैसला उनके स्टडी परमिट के समाप्त होने के बाद लागू होगा। इन छात्रों को अब स्टडी के साथ वर्क परमिट और स्थायी निवास के लिए आवेदन करने का मौका नहीं मिलेगा।

इन निर्णयों के खिलाफ कनाडा के विभिन्न प्रांतों, जैसे प्रिंस एडवर्ड आइलैंड (PEI), ओंटारियो, मैनिटोबा, और ब्रिटिश कोलंबिया में छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने सड़कों पर कैंप लगाए हैं और रैलियां निकाली हैं।

पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट बंद: कनाडा के प्रवासी मंत्री मार्क मिलर ने घोषणा की है कि 21 जून के बाद से विदेशी नागरिक पोस्ट-ग्रेजुएशन वर्क परमिट (PGWP) के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। इस निर्णय से उन छात्रों पर गहरा असर पड़ेगा, जो अस्थायी निवास के लिए कनाडा में कार्य या अध्ययन परमिट के जरिए प्रवेश करना चाहते थे।

परमानेंट रेजिडेंसी नॉमिनेशन में कटौती: प्रांत स्तर पर अपनाई गई नई प्रवासी नीतियों के तहत स्थायी निवास नॉमिनेशन में 25% की कटौती की गई है। इससे कई छात्रों को भारी एजुकेशन लोन के साथ वापस स्वदेश लौटने की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। भारत से कई छात्र भारी कर्ज लेकर कनाडा में पढ़ाई और काम करने आते हैं, और ये नीतियां उनके भविष्य को अनिश्चित बना रही हैं।

ऑस्ट्रेलिया में भी विदेशी छात्रों की संख्या में कमी: कनाडा के बाद, ऑस्ट्रेलिया ने भी विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित करने का निर्णय लिया है। मंगलवार को ऑस्ट्रेलिया ने घोषणा की कि वह 2025 तक अंतरराष्ट्रीय छात्र नामांकन को 270,000 तक सीमित रखेगा। यह फैसला रिकॉर्ड माइग्रेशन के कारण प्रॉपर्टी किराए में बढ़ोतरी की समस्या को देखते हुए लिया गया है। पिछले वर्ष, ऑस्ट्रेलिया में अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या 548,800 हो गई थी, जो कि एक रिकॉर्ड संख्या है।

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