Cheers : जाम टकराने पर क्यों कहा जाता है ‘चीयर्स’
Mumbai : शराब के जाम बनने के बाद उसे मुंह से लगाने से पहले पीने वाले ‘चीयर्स’ (Cheers) बोलकर जाम टकराते हैं। इस रिवाज का क्या मतलब और ऐसा क्यों किया जाता है, ये सामान्यतः पीने वाले भी नहीं जानते! वे इसलिए करते हैं कि शायद ऐसा करना अच्छा होता होगा।
दरअसल, महफिल में बिना ‘चीयर्स’ किए शराब को होठों से लगाना अच्छा नहीं समझा जाता। जाम से जाम टकराने की परंपरा सदियों से चली आ रही है! लेकिन, ऐसा क्यों कहा जाता है, कोई इस बात की गहराई में नहीं जाता।
वास्तव में ‘चीयर्स’ एक फ्रांसीसी शब्द है, इसका अर्थ होता है ‘चेहरा या सिर!’ पुराने समय में ‘चीयर्स’ बोलना उत्सुकता और प्रोत्साहन का प्रतीक था। ‘चीयर्स’ अपनी खुशी को जाहिर करने और जश्न मनाने का शानदार तरीका है ‘अच्छा समय अब शुरू हो चुका!’
18 वीं शताब्दी में ‘चीयर्स’ शब्द का इस्तेमाल खुशी जाहिर करने के लिए किही या जाता था। समय बीतने के साथ ही एक्साइटमेंट जाहिर करने के लिए इस शब्द का उपयोग किया जाने लगा! इसलिए एक्साइटमेंट में लोग चीयर्स का इस्तेमाल करते हैं। कुछ लोगों ने इससे अलग बातें भी बताई! उन्होंने कहा कि जर्मन रिवाजों में अगर गिलास टकराते हैं, तो एविल या घोस्ट शराब से दूर रहते हैं, इसलिए लोग शराब पीने से पहले एविल को दूर रखने के लिए चीयर्स शब्द का इस्तेमाल करते हैं।
ड्रिंक करने की प्रक्रिया में सिर्फ एक इंद्री का इस्तेमाल नहीं होता और वह है कान! इसी कमी को पूरा करने के लिए चीयर्स कहा जाता है। कानों के आनंद के लिए जाम से जाम टकराए जाते हैं। माना जाता है कि इस तरह ड्रिंक करने से पांच इंद्रियों का यूज होता है और शराब पीने का एहसास और भी ज्यादा खुशनुमा हो जाता है।
कुछ और धारणाएं
यह तो हम सभी जानते हैं कि हमारी पांच इंद्रियां होती हैं. आंख, नाक, कान, जीभ और त्वचा जो अपने-अपने हिसाब से काम करती हैं। शराब पीते समय हमारी केवल चार इंद्रिया ही काम करती है जैसे आंखो से ड्रिंक को देखते हैं, पीते वक्त जीभ से इसका स्वाद महसूस करते हैं, नाक से ड्रिंक की अरोमा या खुशबू का एहसास करते हैं।