‘Chhatrapati Sambhaji’ Was Not Passed by Censor : ‘छत्रपति सम्भाजी’ को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट नहीं दिया!

8 साल में बनी फ़िल्म, सर्टिफिकेट के लिए औरंगजेब के खिलाफ सबूत मांगे!

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‘Chhatrapati Sambhaji’ Was Not Passed by Censor : ‘छत्रपति सम्भाजी’ को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट नहीं दिया!

Mumbai : ‘छत्रपति सम्भाजी’ फिल्म को सेंसर बोर्ड के अधिकारी सईद रबी हाशमी ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। यह फिल्म इस साल 26 जनवरी को रिलीज होना थी। लेकिन, इसे सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया। इसको लेकर अब निर्माता ने सेंसर बोर्ड पर आरोप लगाए हैं कि लिखित सबूत दिए जाने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं दिया गया।

‘छत्रपति सम्भाजी’ के निर्माता निर्देशक राकेश सुबेसिंह दुलगज ने कहा है कि उन्होंने सेंसर बोर्ड के सामने अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग भी करवा दी थी। इसके बाद भी उन्हें 26 जनवरी तक प्रमाण पत्र नहीं दिया गया। इसके लिए सेंसर बोर्ड के मुंबई क्षेत्राधिकारी सईद रबी हाशमी ने औरंगजेब के खिलाफ सबूत दिखाने को कहा है। दुलगज ने बताया कि यह फिल्म पिछले 8 साल में बनी। यह फिल्म मराठा शासक छत्रपति सम्भाजी के जीवन पर बनी है। फिल्म मराठी और हिंदी दोनों भाषाओं में रिलीज होनी थी। इसको लेकर दुलगज ने सेंसर बोर्ड के समक्ष अपनी फिल्म के प्रमाण पत्र के लिए आवेदन दिया था। उन्होंने बताया कि 12 जनवरी को सेंसर बोर्ड से फ़ोन आया कि अगले दिन उनकी फिल्म की स्क्रीनिंग रखी गई है। इसके बाद 13 जनवरी की सुबह उन्होंने पूरी फिल्म अधिकारियों को दिखा दी।

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फिल्म देखने के बाद यहाँ के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें यू/ए प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। उनसे कहा गया कि 25 जनवरी तक उन्हें सर्टिफिकेट दे दिया जाएगा। इसको लेकर दुलगज ने अपनी फिल्म की रिलीज डेट 26 जनवरी को रख दी। हालाँकि, उन्हें प्रमाण पत्र नहीं दिया। दुलगज ने कहा कि उनसे जो बदलाव के लिए कहा गया था वह उन्होंने कर दिए, लेकिन फिर भी उनकी फिल्म को रोका गया।

दुलगज ने कहा कि मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में नए आए अधिकारी सईद रबी हाशमी ने इस बात को लेकर सबूत दिखाने की माँग की कि क्या औरंगजेब ने छत्रपति सम्भाजी पर इस्लाम कबूलने का दबाव डाला था। इसको प्रमाणित करने वाली किताबें दुलगज से सेंसर बोर्ड में जमा कराने को कहा गया है। गौरतलब है कि मुग़ल शासक औरंगजेब ने मराठा छत्रपति सम्भाजी महाराज को बंधक बनाकर कई दिनों तक यातनाएं दी थी और उन पर इस्लाम कबूलने का दबाव डाला था। जब उन्होंने इस्लाम कबूलने से मना कर दिया तो उन्हें मार दिया गया था।