परशुराम जयंती पर मुख्यमंत्री की घोषणा आज भी है अधूरी……

जानापाव पर्वत से निकलने वाली साढ़े सात नदियों के उद्गम स्थल की खोज नहीं हुई, ना परशुराम पीठ बनी

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परशुराम जयंती पर मुख्यमंत्री की घोषणा आज भी है अधूरी……

दिनेश सोलंकी की रिपोर्ट

जानापाव (महू): प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान चौथी बार महू के जानापाव पर्वत स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली पर पधार रहे हैं। वर्ष 2015 में जब मुख्यमंत्री चौहान जानापाव आए थे उनकी प्रमुख घोषणा का मूल मुद्दा कि जानापाव से निकलने वाली साढ़े सात नदियों का उद्गम स्थल खोजा जाएगा और भगवान परशुराम पीठ की स्थापना की जाएगी, पूरी नहीं हो पाई।

उन्होंने पहली बार 2008 में यहां आकर भगवान परशुराम के मंदिर की घोषणा की, साथ ही 11 करोड़ की राशि से अनेक विकास कार्य कराने का वचन दिया था। बाद के सालों में 2010 – 11 में लगभग 8 करोड़ रुपए की लागत से पहाड़ी तक का पहुंच मार्ग बनाया गया और जानापाव कुंड को नया रूप दिया गया। पर्यटन विभाग ने यहां पर धर्मशाला का निर्माण किया और अभी भी पर्यटन विभाग द्वारा विकास कार्य किया जा रहा है।

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लेकिन वर्ष 2015 में जब मुख्यमंत्री चौहान जानापाव आए थे उनकी प्रमुख घोषणा का मूल मुद्दा कि जानापाव से निकलने वाली साढ़े सात नदियों का उद्गम स्थल खोजा जाएगा और भगवान परशुराम पीठ की स्थापना की जाएगी, पूरी नहीं हो पाई। इसके अलावा जानापाव की पहाड़ी को हरा भरा बनाकर और फूल पत्तियों, जड़ी बूटी पर शोध होगा, ये भी आश्वासन ही रह गया।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान चौथी मर्तबा जानापाव पर्वत पर पहुंचकर क्या घोषणा करेंगे यह देखना बाकी रह गया है। संभावना है वह इस बार रोप वे की घोषणा कर सकते हैं। लेकिन उन्हें यह समझना होगा कि जानापाव पर्वत का ऐतिहासिक एवं पौराणिक महत्व है और यह अपने आप में कम अजूबा नहीं है कि जानापाव के शीर्ष से तालाब की भीतरी रेखाओं से रिसते हुए पानी से साढ़े सात नदियों चंबल, चोरल, गंभीर, कारम, अनरेड आदि का उद्गम हुआ है जिनके शुरुआती स्थल खोजना बेहद जरूरी और अहम मुद्दा है। इस मामले में मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे गंभीर होकर घोषणा को अमल में लाने का प्रयास करें। यह जानते हुए कि भगवान परशुराम क्रोधी स्वभाव के थे और उनकी जन्मस्थली पर की गई घोषणा के भी मायने उनकी तप, साधना और वचन के अनुरूप पूरी होना चाहिए।