
भारत में बाल विवाह में उल्लेखनीय गिरावट, 84% की गिरावट के साथ असम शीर्ष पर
अजय चतुर्वेदी की विशेष रिपोर्ट
भारत में बाल विवाह की दर में बेतहाशा गिरावट दर्ज की गई है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) की ओर से जारी शोध रिपोर्ट, ‘टिपिंग प्वाइंट टू जीरो : एविडेंस टूवार्ड्स ए चाइल्ड मैरेज फ्री इंडिया’ के अनुसार देश में लड़कियों के बाल विवाह की दर में 69 प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि लड़कों में इस दर में 72 प्रतिशत की कमी आई है।
रिपोर्ट के अनुसार बाल विवाह की रोकथाम के लिए गिरफ्तारियां व एफआईआर जैसे कानूनी उपाय सबसे प्रभावी साबित हुए हैं। रिपोर्ट बताती है कि लड़कियों की बाल विवाह की दर में सबसे ज्यादा 84 प्रतिशत गिरावट असम में दर्ज की गई है। इसके बाद संयुक्त रूप से महाराष्ट्र व बिहार (70 प्रतिशत) का स्थान है जबकि राजस्थान व कर्नाटक में क्रम से 66 और 55 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन वर्षों के दौरान केंद्र, राज्य सरकारों और नागरिक समाज संगठनों के समन्वित प्रयासों की बदौलत बाल विवाह की दर में यह अप्रत्याशित गिरावट संभव हुई है। सर्वे में हिस्सा लेने वाले 99 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने मुख्यत: गैरसरकारी संगठनों के जागरूकता अभियानों, स्कूलों व पंचायतों के जरिए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के बारे में सुना या जाना है।
यह रिपोर्ट न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर एक अलग कार्यक्रम में जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन संस्था ने जारी की। इस रिपोर्ट को JRC के सहयोगी संगठन इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन के शोध प्रभाग सेंटर फॉर लीगल एक्शन एंज बिहैवियरल चेंज फॉर चिल्ड्रेन (सी-लैब) ने तैयार किया था। बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (JRC) 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों का देश का सबसे बड़ा नेटवर्क है।
बाल विवाह के रोकथाम की दिशा में असम की अभूतपूर्व उपलब्धियों को मान्यता देते हुए जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को ‘चैंपियंस ऑफ चेंज’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
अगर इस संदर्भ में देखें कि 2019-21 तक देश में हर मिनट तीन बाल विवाह होते थे जबकि रोजाना सिर्फ तीन मामलों की ही शिकायत दर्ज हो पाती थी तो रिपोर्ट के नतीजे देश में ऐतिहासिक बदलावों की ओर इशारा करते हैं। रिपोर्ट बताती है कि आज लगभग हर व्यक्ति बाल विवाह से जुड़े कानूनों के बारे में जानता है और कुछ साल पहले तक यह बदलाव अकल्पनीय था। रिपोर्ट इस तथ्य को उजागर करती है कि 2030 तक बाल विवाह के खात्मे के लिए 2024 में शुरू हुए भारत सरकार के बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को बिहार, असम व महाराष्ट्र में जन-जन तक पहुंचाने में गैरसरकारी संगठनों की सबसे अहम भूमिका रही है। बिहार में 93%, महाराष्ट्र में 89% और असम में 88% लोगों को गैरसरकारी संगठनों के जरिए इस अभियान के बारे में जानकारी मिली। राजस्थान व महाराष्ट्र में इस अभियान के बारे में जागरूकता फैलाने में स्कूलों की अहम भूमिका रही जहां क्रम से 87 व 77 प्रतिशत लोगों को स्कूलों से इसके बारे में पता चला।





