Child Vaccination: स्कूली बच्चों के टीकाकरण को लेकर प्रतिबंधात्मक आदेश

आदेश का उल्लंघन किया, तो स्कूलों पर दंडनीय कार्रवाई होगी

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Child Vaccination
Doctors are urging parents to keep all their child's vaccinations up to date -- now, more than ever.

Indore : कलेक्टर ने शासकीय एवं निजी स्कूलों में 15 से 17 वर्ष आयु श्रेणी के बच्चों के टीकाकरण के संबंध में ‘धारा 144 दंड प्रक्रिया संहिता 1973’ तथा ‘द एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897’ और ‘नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005’ के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध भारतीय दंड विधान की धारा-188 के तहत दंडनीय कार्रवाई की जाएगी।

जिले में 15-17 वर्ष आयु श्रेणी के बच्चों का कोविड टीकाकरण का अभियान वर्तमान में प्रचलित है। यह काम दो श्रेणी में हो रहा है। जिले के समस्त शासकीय एवं निजी स्कूल के प्राचार्य एवं संचालक शिक्षा विभाग के पर्यवेक्षण में यह कार्य कर रहे। इस आयु वर्ग के विभिन्न स्कूल से ड्रॉप आउट बच्चों के टीकाकरण का स्थानीय निकाय द्वारा जिले में अपने अधिकारियों एवं एनजीओ के माध्यम से किया जा रहा है। इसके तहत समग्र पोर्टल से जानकारी प्राप्त कर नगर निगम इंदौर, सभी मुख्य नगरपालिका अधिकारी एवं सीईओ जनपद कार्य कर रहे हैं।

विभिन्न स्कूलों में प्राचार्य तथा निजी स्कूल संचालकों द्वारा 15 से 17 वर्ष आयु के बच्चों के टीकाकरण करने में लापरवाही की जा रही है। शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, संकुल प्राचार्य का यह दायित्व है कि सभी निजी एवं शासकीय स्कूलों के प्राचार्य, शिक्षकों के माध्यम से इस आयु वर्ग के बच्चों एवं उनके माता-पिता को जागरूक करते हुए टीकाकरण करवाएं।

निर्देश दिए गए कि समस्त शासकीय, निजी स्कूल प्राचार्य के पास जानकारी भी होनी चाहिए कि छात्रों को पहला डोज कब लगा था तथा दूसरा डोज लगाए जाने की तारीख 28 दिन बाद कब होगी। जिन छात्रों ने (15 से 17 आयु वर्ग) प्रथम डोज वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र जमा नहीं किया गया, उनकी सूची भी प्राचार्य के पास होनी चाहिए। प्राचार्य की जिम्मेदारी होगी कि ऐसे छात्रों का जागरूक कर टीकाकरण करवा ले।

सभी एसडीएम, तहसीलदार, नायब तहसीलदार तथा जिला शिक्षा अधिकारी, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी एवं डीपीसी, बीआरसी नगर निगम इंदौर के अधिकारी, सभी मुख्य नगर पालिक अधिकारी, सभी सीईओ जनपद अपने-अपने क्षेत्रों में शासकीय एवं निजी स्कूल का निरीक्षण करें। शासकीय स्कूल में लापरवाही पाए जाने पर वहां के प्राचार्य के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जाएगी।