नमामि गंगे की तर्ज पर स्वच्छ और निर्मल नर्मदा योजना, CS ने 3 विभागों को मिलकर कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश 

1312 KM लंबी नर्मदा नदी MP में 1077 KM क्षेत्र में फैली है

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नमामि गंगे की तर्ज पर स्वच्छ और निर्मल नर्मदा योजना, CS ने 3 विभागों को मिलकर कार्ययोजना बनाने के दिए निर्देश 

भोपाल:जिस तरह देशभर में गंगा को स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए नमामि गंगे अभियान चलाया गया है, उसी तर्ज पर मध्यप्रदेश की जीवनदायिनी नर्मदा नदी की जलधारा को स्वच्छ और निर्मल बनाए रखने के लिए अब तीन विभाग मिलकर कार्ययोजना बनाएंगे और इस योजना के संचालन के लिए भारत सरकार के जलशक्ति मंत्रालय से धनराशि मांगी जाएगी।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से विस्तृत कार्ययोजना बनाने को कहा है। उन्होंने इस प्रस्ताव में ग्रामीण क्षेत्रों में नर्मदा किनारे बने ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट पर विशेष ध्यान देने को कहा है।

अमरकंटक से शुरु होकर खंबात की खाड़ी में मिलने वाली 1312 किलोमीटर लंबी नर्मदा नदी मध्यप्रदेश में 1077 किलोमीटर क्षेत्र में होकर निकलती है। नर्मदा किनारे मध्यप्रदेश के 21 जिले, 68 तहसीलें, 1138 गांव और 1126 घाँट है। नर्मदा किनारे 430 प्राचीन शिवमंदिर और दो शक्तिपीठ भी स्थित है। कई स्थानों और घाटों पर धार्मिक आस्था के कारण हमेशा कार्यक्रम होते रहते है और जनसामान्य का ज्यादा दखल रहता है। प्रदेश के जिन शहरी क्षेत्रों और ग्रामीण क्षेत्रों में से नर्मदा नदी निकल रही है और वहां शहर की सीवेज लेकर बह रहे नालों, नालियों से पानी नर्मदा में जा रहा है और नर्मदा नदी प्रदूषित हो रही है। वहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर सीवरेज के गंदे पानी का ट्रीटमेंट कर उसे साफ किया जाएगा। इस पानी का शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में हरियाली बढ़ाने में उपयोग किया जाए और पेयजल को छोड़कर अन्य निर्माण कार्य और ऐसे काम जिनमें पानी की आवश्यकता होती है वहां इस पानी का उपयोग किया जाएगा। किसी भी हालत में प्रदूषित पानी सीधे नर्मदा में नहीं मिले इसकी कार्ययोजना बनाई जाना है।

। निर्मल एवं स्वच्छ नर्मदा योजना के तहत अमरकंटक, डिंडौरी, मंडला, जबलपुर, भेड़ाघाट, नरसिंहपुर, सार्इंखेड़ा, नर्मदापुरम, बुधनी, भैरुदा, नेमावर,ओंकारेश्वर, बड़वाह, धामनोद, सेंधवा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाकर नालों का गंदा पानी नदी की जगह खेतों में छोड़ा जाएगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नर्मदा किनारे कैचमेंट क्षेत्र में पौधरोपण करेगा। शहरी क्षेत्रों में घाटों का सौंदर्यीकरण किया जाएगा और वहां ऐसी गतिविधियों को प्रतिबंधित किया जाएगा जिनसे नर्मदा नदी का जल प्रदूषित हो रहा है। शहरी क्षेत्रों में मूर्ति विसर्जन और अंत्येष्टि के लिए बने घाटों पर अलग व्यवस्था कर इनमें भी ऐसे उपाय किए जाएंगे जिससे नर्मदा का जल प्रदूषित न हो। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकण भी नर्मदा नदी पर बने बांधों और जलाशयों का सुदृढीकरण, जीर्णोद्धार का काम कराएगा।

गौरतलब है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहरी क्षेत्रों में गंदा पानी सीधे नर्मदा से मिलने के मामलों में सोलह नगरीय निकायों पर अब तक 79 करोड़ 44 लाख रुपए की पैनाल्टी लगा चुका है। नर्मदा नदी में जलीय जीवों को नुकसान न पहुंचे इसके लिए मशीनों और पनडुब्बी से रेत निकालने पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है। नर्मदा परिक्रमा पथ को भी चिन्हित कर पंचायतों के जरिए विकसित किया जाएगा। यहां होम स्टे विकसित किए जाएंगे। नर्मदा के दोनो ओर सागौन और अन्य पौधे लगाकर किनारों के क्षरण को रोका जाएगा। नदी के दोनो किनारों पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा और रासायनिक खेती को प्रतिबंधित किया जाएगा। नर्मदा के आसपास की बसाहट में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए राज्य सरकार ने 1618 करोड़ की परियोजना बनाई है। अब इस काम के लिए केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय को प्रस्ताव देकर उनसे भी आर्थिक मदद ली जाएगी।