CM’s Visit to Bihar : मुख्यमंत्री की बिहार यात्रा के पीछे भाजपा का रणनीतिक मकसद कुछ खास!
Bhopal : मुख्यमंत्री मोहन यादव की अब वो भूमिका शुरू हो गई, जो सोचकर पार्टी ने उन्हें इस पद की जिम्मेदारी सौंपी है। पार्टी के निर्देश पर वे 18 जनवरी को बिहार का दौरा कर रहे हैं। बिहार में यादव समाज का एक बड़ा वोट बैंक है, जो अब तक लालू यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ खड़ा दिखाई देता है। यादव उनको ही वोट करते रहै हैं। अब बिहार के यादव मतदाताओं को भाजपा की तरफ मोड़ने की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को दी गई।
भाजपा उन्हें लेकर रणनीतिक तरीके से सोच रही हैं। डॉ मोहन यादव को नरेंद्रमोदी ने यह एक बड़ी जिम्मेदारी देने का विचार किया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव को 18 जनवरी को खास मकसद से बिहार भेजा जा रहा है।
भाजपा ने यादव समाज का एक बड़ा कार्यक्रम बिहार में रखवाया है जिसमें डॉ मोहन यादव का सम्मान होगा। कृष्ण भक्तों, गौपालकों के बीच भी वे जाएंगे। इसे यादव वोटरों को साधने की भाजपा की रणनीति की तरह देखा जा रहा है। डॉ मोहन यादव वहां कृष्ण भक्तों की एक बड़ी सभा को भी संबोधित करेंगे।
भाजपा ने जब डॉ मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया था, तभी इस बात का इशारा मिल गया था कि इसके पीछे भाजपा की कोई लंबी सोच है। उत्तर प्रदेश और बिहार में यादव वोटर्स की संख्या बहुत ज्यादा है जो किसी भी पार्टी की हार-जीत के समीकरण तय करते हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने यादव वोटर्स को साध लिया पर बिहार में उसे अभी तक सफलता नहीं मिली थी। बिहार में आज भी आरजेडी के लालू यादव का यादवों पर प्रभाव है। आरजेडी और उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को यादवों की पार्टी माना जाता है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में भाजपा उत्तर प्रदेश और बिहार में इस कड़ी को तोड़ना चाहती है कि आरजेडी और सपा ही यादवों की पार्टी हैं।
भाजपा दिखाना चाहती है कि वह भी यादवों के प्रति गंभीर है और इसलिए उन्होंने एक यादव को मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बनाया। यादव ओबीसी वर्ग से हैं। ऐसे में भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि ओबीसी वर्ग की असल हितेषी पार्टी वही है। क्योंकि, भाजपा लगातार ओबीसी वर्ग को आगे बढ़ा रही है। मध्यप्रदेश में ज्यादातर कैबिनेट मंत्री भी इसी वर्ग से हैं। भाजपा ने इसीलिए प्लान किया है कि बिहार और उसके बाद उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री मोहन यादव को पार्टी के स्टार प्रचारक के रूप में भेजा जाएगा। 18 जनवरी के बाद डॉ मोहन यादव के बिहार के कुछ और दौरे तय हों तो आश्चर्य नहीं किया जाना चाहिए।