Collector’s Guideline: जहां निर्धारित दर से महंगी बिक रही संपत्ति, वहां बढ़ेगी कलेक्टर गाइड लाइन

DG Registration ने सभी जिलों को संपत्ति की खरीदी-ब्रिकी का आकलन करने के दिए निर्देश

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Collector’s Guideline: जहां निर्धारित दर से महंगी बिक रही संपत्ति, वहां बढ़ेगी कलेक्टर गाइड लाइन

भोपाल। मध्य प्रदेश के जिन क्षेत्रों में आवासीय, व्यावसायिक भूखंड या भवन निर्धारित दर से महंगे बिक रहे हैं, वहां कलेक्टर गाइड लाइन बढ़ाई जाएगी। इसके लिए महानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय सभी जिला कार्यालयों के माध्यम से बीते एक साल में संपत्ति की खरीदी-ब्रिकी की जानकारी एकत्र करा रहा है। इसके आधार पर गाइड लाइन निर्धारित की जाएगी। साथ ही उन क्षेत्रों में दरें यथावत रखी जाएंगी, जहां बीते एक साल में जो रजिस्ट्रियां हुई हैं, वे कलेक्टर गाइड लाइन के बराबर या कम दर पर हुई हैं।

महानिरीक्षक पंजीयन कार्यालय के अधिकारियों का कहना है कि पिछले साल एक लाख छह हजार स्थानों में से केवल नौ हजार स्थानों पर ही कलेक्टर गाइड लाइन बढ़ाई गई थी। यह वृद्धि उन्हीं स्थानों पर की गई थी, जहां रजिस्ट्री निर्धारित दर से 20 प्रतिशत या उससे अधिक हुई थी। ऐसे क्षेत्र, जहां निवेश की संभावना अधिक है या व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार हो सकता है, वहां भी कलेक्टर गाइड लाइन बढ़ाई जाएगी। कृषि आधारित क्षेत्र में गैर कृषि प्रयोजन के विस्तार को भी दर निर्धारित करते समय ध्यान रखा जाएगा। जिन क्षेत्रों में संपत्ति की खरीदी-ब्रिकी न के बराबर हो रही है, वहां दर कम भी की जा सकती है।

जिलों के प्रस्तावों पर केंद्रीय मूल्यांकन समिति करेगी निर्णय

विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिलों में बीते एक वर्ष में हुई रजिस्ट्री का अध्ययन करके प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे। जिलों से प्रस्तावित दरों पर केंद्रीय मूल्यांकन समिति विचार कर अंतिम निर्णय लेगी। वहीं, महानिरीक्षक पंजीयक एवं मुद्रांक एम सेलवेन्द्रन का कहना है कि गाइड लाइन का निर्धारण पिछले साल के अनुभव और भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए जिलों से प्राप्त प्रस्तावों के आधार पर सभी पहलूओं को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।

पिछले साल से अधिक मिला राजस्व

पंजीयन एवं मुद्रांक से सरकार को इस वर्ष अभी तक 14 प्रतिशत राजस्व अधिक मिला है। जनवरी तक सरकार को छह हजार 589 करोड़ रुपये का राजस्व मिल चुका है। जबकि, पिछले वर्ष इसी अवधि में पांच हजार 778 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। हालांकि, लक्ष्य आठ हजार 160 करोड़ रुपये का है।