Combination of Journalism and IAS : डॉ राकेश पाठक और आईएएस शैल बाला मार्टिन विवाह बंधन में बंधेंगे
Bhopal :
Combination of Journalism and IAS;ये खबर खबरनवीसों को चौंका सकती है। वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक और IAS शैलबाला मार्टिन विवाह के बंधन में बंध रहे हैं। आज दोनों ने नव संवत्सर के दिन सोशल मीडिया पर इस नए रिश्ते का एलान किया। डॉ पाठक की दोनों बेटियों का विवाह हो गया है। 2015 में उनकी पहली पत्नी का असामयिक निधन हो गया था। डॉ राकेश पाठक की छोटी बेटी के विवाह के अवसर पर पारिवारिक रूप से इस विवाह को सहमति भी मिल गई।
सोशल मीडिया पर लिखी अपनी पोस्ट में डॉ राकेश पाठक ने अपने नए जीवन साथी के बारे में जो विचार व्यक्त किए वो ये हैं …
अब सुख दुःख की साथी हैं शैलबाला मार्टिन
आत्मीय स्वजनो,
आज हम आपसे अपने सुख दुःख की साथी मिस शैलबाला मार्टिन (Shailbala Martin) का परिचय करवा रहे हैं। शैल जी इंदौर की निवासी हैं। मप्र काडर की IAS अधिकारी हैं। कलेक्टर, निगम कमिश्नर रहीं हैं। मप्र सरकार में अनेक अहम पदों का दायित्व निभा चुकी हैं।
इन दिनों राज्य मंत्रालय,वल्लभ भवन भोपाल में एडिशनल सेक्रेटरी (सामान्य प्रशासन विभाग) के पद पर पदस्थ हैं। एक कर्मठ और संवेदनशील प्रशासक होने के साथ शैल यदा कदा लिखती भी हैं।
उनकी सीरीज़ ‘अमी एक जाजाबोर’ (मैं एक यायावर) उनकी फ़ेसबुक वॉल पर पढ़ी जा सकती है। इसमें वे अपने आसपास की दुनिया को एक अलग नज़र से देखती और दर्ज़ करतीं हैं।
अगर ऐसे ही लिखती रहीं तो भविष्य में इसी शीर्षक से उनकी क़िताब आएगी। ज़ाहिर है लिखेंगीं ही।
हम बीते लगभग दो बरस से मित्र हैं। इस संग साथ में हमने जाना कि शैल हमारी हमख़याल होने के साथ साथ एक बेहतरीन इंसान हैं। अब हम जीवनसाथी होने जा रहे हैं।
बाबा कबीर कह गए हैं…
ये तो घर है प्रेम का खाला का घर नाय,
सीस उतारे भूँय धरे तब बैठे घर माय!
सो हम दोनों अपना अपना शीश उतारकर प्रेम के घर में बस रहे हैं। पिछले दिनों एक पारिवारिक आयोजन में दोनों बेटियों सौम्या और शची ने शैल का पूरे परिवार के साथ परिचय करवाया। बेटियों की नानी माँ सहित पूरे कुटुंब ने शैल का पाठक परिवार में स्नेहसिक्त स्वागत किया।
शैल के बड़े भाइयों विनय जी और विनोद जी सहित पूरे परिवार का आशीर्वाद भी हम दोनों को मिला है।
मेरी धर्मपत्नी प्रतिमा प्रकृति प्रदत्त आयु को पूर्ण कर सन 2015 में अनंत की यात्रा पर प्रस्थान कर गईं थीं। अपनी अदम्य जिजीविषा से उन्होंने पांच साल ब्लड कैंसर से मोर्चा लिया था। अब आगे की यात्रा शैल के साथ तय होगी।
जबकि, शैल बाला मार्टिन ने भी इसी तरह की भावुक पोस्ट सोशल मीडिया पर लिखी है। उन्होंने लिखा …
आमार सखा जाजाबोर डॉ राकेश पाठक
अपनी सीरीज़ ‘अमी एक जाजाबोर’ में यदा कदा अपने यात्रा संस्मरण लिखती रही हूं। लेकिन, आज आपका परिचय अपनी जीवन यात्रा के साथी जाजाबोर (यायावर) से करवा रही हूँ। उनका नाम है डॉ राकेश पाठक। अब तक की यात्रा निपट अकेले रही और अब डॉ पाठक के साथ जीवन पथ पर आगे बढूंगी। हम क़रीब दो साल से सखा, साथी थे और अब जीवनसाथी होंगे।
कबीरदास ने लिखा है न-
प्रेम न बाड़ी ऊपजे प्रेम न हाट बिकाय,
राजा पिरजा जेहि रुचे सीस देय ले जाय।
चम्बल की माटी में पैदा हुए डॉ राकेश पाठक वैसे किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं लेकिन फिर भी प्रियजनों, शुभ चिंतकों को थोड़ा बहुत बताना ठीक रहेगा।
डॉ राकेश पाठक देश के प्रतिष्ठित पत्रकार, संवेदनशील कवि, लेखक और गाँधीवादी कार्यकर्ता हैं। तीन दशक से लंबे पत्रकारिता के जीवन में नवभारत, नईदुनिया’, नवप्रभात और प्रदेश टुडे जैसे अख़बारों में वर्षों सम्पादक रहे। सांध्य समाचार, सांध्यवार्ता स्वदेश, आचरण, लोकगाथा आदि अख़बारों में महत्वपूर्ण दायित्व निभाये।
अपनी बेबाक़, निर्भीक लेखनी और ओजस्वी भाषणों के लिये पहचाने जाने वाले राकेश जी इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में भी अहम ज़िम्मेदारियाँ निभा चुके हैं।
DNN न्यूज़ चैनल के एडिटर इन चीफ़ और ‘डेटलाइन इंडिया’ वेबसाइट के चीफ़ एडिटर रहे। आजकल ‘कर्मवीर’ न्यूज़ के प्रधान संपादक हैं। इन दिनों उनके ख़ास शो देश के विभिन्न ऑनलाइन न्यूज़ चैनल पर देखे जा सकते हैं।
डॉ पाठक ने भारत के माननीय राष्ट्रपति की आधिकारिक कंबोडिया, लाओस यात्रा को कवर किया था। उन्होंने कोसोवो (यूगोस्लाविया के विघटन से बना देश) में गृह युद्ध के समय संयुक्त राष्ट्रसंघ शांति मिशन की रिपोर्टिंग की। न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ में आयोजित ‘विश्व हिंदी सम्मेलन” में भी भागीदारी की थी।
डॉ पाठक की तीन पुस्तकें ‘बसंत के पहले दिन से पहले’ (काव्य संग्रह) , काली चिड़ियों के देश में (यात्रा वृत्तांत) और ‘म.प्र. की स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी पत्रकारिता का इतिहास’ अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं I शीघ्र ही चौथी पुस्तक भी आने वाली है I
अनेक पुरस्कार और सम्मान प्राप्त कर चुके डॉ पाठक ‘इंसानियत के सिपाही’ के रूप में भी जाने जाते हैं। कोरोना की पहली लहर में उनके मोर्चे ने विस्थापित मज़दूरों की जो सेवा की थी उसे देश भर में जाना गया था। गांधीवादी विचारधारा के लिये लड़ने,जूझने वाले योद्धा डॉ राकेश पाठक के साथ जीवन की आगे की यात्रा शुरू कर रही हूँ।
मैं अब इस यात्रा में ‘अमी एक जाजाबोर’ नहीं ‘आमी दुई जाजाबोर’ हो रही हूँ।
डॉ पाठक की प्रिय पत्नी प्रतिमा जी का ब्लड कैंसर से संघर्ष करते लगभग सात वर्ष पूर्व निधन हो गया था। परमेश्वर धाम से प्रतिमा जी की शुभेच्छाएँ भी हमारे साथ होंगीं।
प्यारी बेटियां सौम्या और शची अब मेरी बेटियां हैं। बेटियों ने ही पिछले दिनों पाठक परिवार में मेरा परिचय कराया। नानी जी और पूरे कुनबे ने मुझे ख़ूब आशीष दिया।
आप सबकी शुभकामनाएं हमारा सम्बल बनेगीं ऐसी आशा है।
मीडियावाला परिवार की ओर से हार्दिक बधाई
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