आदिवासियों का भरोसा जीतने की होड़
एक तरफ जहां 15 नवम्बर से मध्यप्रदेश में बहुप्रतीक्षित पेसा एक्ट शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार लागू कर रही है तो वहीं जनजाति गौरव दिवस का बड़ा आयोजन शहडोल में किया जा रहा है जिसमें भारत की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू मुख्य अतिथि होंगी। उधर कांग्रेस ने आदिवासी जनमानस को अपने साथ जोड़े रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता देना प्रारंभ कर दिया है और राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में एक नया पड़ाव इसी लक्ष्य को सामने रखकर जोड़ा जा रहा है। टंट्या भील की जन्मस्थली राहुल गांधी जायेंगे, जहां आदिवासियों की एक बड़ी जनसभा को भी वे सम्बोधित करेंगे। इस प्रकार अब आने वाले माहों में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आदिवासियों को रिझाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने देंगी इसीलिए आदिवासी केंद्रित राजनीतिक कार्यक्रम के लिए दोनों ही दल इन दिनों मशक्कत करने में लगे हैं। पेसा एक्ट जो लागू हो रहा है उसके अनुसार आदिवासियों के आपसी विवादों को ग्रामसभा सुलझा सकेंगी। आदिवासियों के खिलाफ केस दर्ज होता है तो ग्रामसभाओं को सूचना देना होगी। गांवों में सिंचाई के साधन या कृषि के हित में ग्रामसभा अपने स्तर पर इंतजाम कर सकेगी।
जनजाति के व्यक्ति की जमीन बेचने पर खरीदने का पहला हक आदिवासी का होगा। पेसा एक्ट को लेकर अब इसका श्रेय लेने की होड़ भाजपा और कांग्रेस में लगने की सम्भावना को नकारा नहीं जा सकता क्योंकि एक ओर 1996 में कांग्रेस सरकार ने यह एक्ट बनाया था तो 2022 में शिवराज सरकार इसे लागू कर रही है इसलिए उसे श्रेय लेने का पूरा-पूरा अधिकार है, परन्तु कांग्रेस नेता इसमें अपनी हिस्सेदारी जता रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया का कहना है कि हमने इसे लागू करने की पूरी तैयारी कर ली थी लेकिन दलबदल द्वारा हमारी सरकार गिरा दी गई। इतने विलंब के बाद अब शिवराज सरकार चुनावी लाभ के लिए ऐसा कर रही है, उसे इस पर विधानसभा के अंदर विस्तार से चर्चा करानी चाहिये। पूर्व मंत्री और आदिवासी विधायक ओमकार सिंह मरकाम का कहना है कि कांग्रेस सरकार द्वारा बनाये गये एक्ट को लागू करने की इन्हें 27 साल बाद याद आई और आदिवासी संगठनों से इस पर चर्चा ही नहीं की गयी। कांग्रेस विधायक हीरालाल अलावा का कहना है कि सरकार के नियम स्पष्ट नहीं है जैसे कि पंचायत की सीमा कहां तक होगी। अधिसूचित इलाकों के बीच सामान्य वर्ग के गांवों का स्टेटस क्या होगा तथा वीरान गांवों मे क्या अधिकार होगें। भाजपा विधायक राम दांगेरे ने कहा है कि मैंने सुझाव दिया कि जघन्य अपराधों में गिरफ्तारी से पहले पंचायत की अनुमति का प्रावधान नहीं होना चाहिए वरना समस्या होगी।
गांवों में सटी वनोपज पर पहला हक आदिवासी का होना चाहिए। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता की राह आदिवासी वर्ग के बीच से होकर गुजरती है इसलिए दोनों ही राज्यों में इन्हें अपने साथ जोड़ने की मशक्कत कांग्रेस एवं भाजपा दोनों कर रहे हैं। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा महाराष्ट्र के बाद मध्यप्रदेश में प्रवेश कर रही है और उनकी यात्रा में एक नया पड़ाव महाकाल के दर्शन के बाद जननायक टंट्या भील की जन्मस्थली जाने का भी जुड़ गया है। बकौल प्रदेश युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रान्त भूरिया खंडवा के रुस्तमपुर में 22 नवम्बर को यात्रा का पड़ाव रहेगा और उसके अगले दिन 23 नवम्बर को बड़ौदा अहीर स्थित टंट्या स्मारक पर राहुल गांधी की जनसभा होगी, जिसमें निमाड़ के तीन प्रमुख आदिवासी प्रधान विधानसभा सीटों से 50 हजार लोगों को जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। राहुल गांधी वहां पर टंट्या मामा को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे, यह आदिवासी समाज व निवासियों के लिए गौरवपूर्ण दिन रहेगा। यहां राहुल गांधी की सभा भी होगी ताकि निमाड़ भर के आदिवासी भाई उन्हें सुन सकें। भूरिया ने कहा कि इसको लेकर 16 नवम्बर को बैठक होगी जिसमें भीकनगांव, नेपानगर और पंधाना के आदिवासी नेता एवं जनप्रतिनिधि तथा कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे तथा कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार की जायेगी। इस प्रकार आदिवासियों को लुभाने का कोई भी मौका अपने हाथ से ये दोनों दल जाने नहीं देंगे। आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली नगर निगम चुनाव में अपनी उम्मीदवार को महापौर का चुनाव जिताकर इस इलाके में अपने कदम जमाना प्रारंभ कर दिया है। वह आदिवासी इलाकों में अपना आधार किस प्रकार बढ़ायेगी ये अभी भविष्य के गर्भ में है लेकिन भाजपा और कांग्रेस इन्हें अपने से जोड़ने का अभियान छेड़ चुके हैं।
अरुण पटेल
मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार है