बागियों में कांग्रेस आगे, भाजपा पीछे…

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बागियों में कांग्रेस आगे, भाजपा पीछे…

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में बागी भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कोई निर्दलीय मैदान में डटकर पार्टी प्रत्याशी का खेल बिगाड़ने पर आमादा हैं, तो कोई बसपा, सपा और अन्य दलों का दामन थामकर अपने दल को दलदल में धकेलने पर उतारू हैं। कई नाम तो ऐसे हैं, जिनको दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा-कांग्रेस ने निष्कासित किया है। खरगापुर विधानसभा सीट पर बागी भाजपा-कांग्रेस दोनों के लिए चुनौती बन रहे हैं। श्योपुर विधानसभा सीट पर भी बागी मुकाबले को दिलचस्प बना रहे हैं। बागियों में वर्तमान विधायक, पूर्व विधायक, कैबिनेट मंत्री दर्जा नेता, पूर्व सांसद और अन्य महत्वाकांक्षी नेता पदाधिकारी शामिल हैं। कांग्रेस ने पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू की बेटी को सांवेर से टिकट दिया है तो गुड्डू खुद आलोट से बतौर बागी मुकाबले में ताल ठोक रहे हैं।

भाजपा ने ढाई दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीट पर बागियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। श्योपुर बिहारी सिंह सोलंकी, मुरैना रुस्तम सिंह, राकेश सिंह गुर्जर, अटेर मुन्ना सिंह भदोरिया, लहार रसाल सिंह, चाचौड़ा ममता सिंह मीणा, टीकमगढ़ केके श्रीवास्तव, राजनगर घासीराम पटेल, मलहरा करण लोधी, निवाड़ी नंदराम कुशवाहा, दमोह शिवचरण पटेल, गुनौर अनीता बागरी, चित्रकूट सुभाष शर्मा डाली, सतना रत्नाकर चतुर्वेदी, रैगांव रानी बागरी, सीधी केदारनाथ शुक्ला, सिंगरौली चंद्र प्रताप विश्वकर्मा, जयसिंहनगर फूलवती, अनूपपुर छोटे सिंह, मुड़वारा ज्योति दीक्षित, संतोष शुक्ला, बड़वारा गीता सिंह, सौसर प्रदीप ठाकरे, होशंगाबाद भगवती चौरे, हरदा सुरेंद्र जैन, मांधाता शिवेंद्र तोमर, नेपानगर रतिलाल चिल्हात्रे, बुरहानपुर हर्षवर्धन सिंह चौहान, अलीराजपुर सुरेंद्र ठकराल, जोबट माधव सिंह डाबर, देपालपुर राजेंद्र चौधरी, सुसनेर संतोष जोशी, महिदपुर प्रताप आर्य, बड़नगर कुलदीप बना और जावद सुराना बाई शामिल हैं।

वहीं कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के विरोध में निर्दलीय एवं अन्य दल से चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस से तीन दर्जन से ज्यादा सदस्यों को निष्कासित किया गया है। यह विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के विरोध में निर्दलीय एवं अन्य दल से चुनाव लड़ने मैदान में हैं। इन्हें तत्काल प्रभाव से 6 वर्ष के लिए कांग्रेस की सदस्यता से निष्कासित किया गया है। इनमें श्योपुर से दुर्गेश नंदिनी, सुमावली से कुलदीप सिंह सिकरवार,पोहरी प्रद्युमन वर्मा , गुना हरिओम खटीक, जतारा आरआर बंसल (वंशकार), निवाड़ी रजनीश पटेरिया, खरगापुर अजय सिंह यादव, प्यारेलाल सोनी, महाराजपुर अजय दौलत तिवारी, चंदला पुष्पेन्द्र अहिरवार, छतरपुर दीलमणि सिंह , मलहरा डॉ. करण सिंह लोधी, हटा अमोल चौधरी, भगवानदास चौधरी,पवई रजनी यादव , नागोद यादवेन्द्र सिंह, सेमरिया दिवाकर द्विवेदी, देवतालाब सीमा जयवीर सिंह, पुष्पराजगढ़ नर्मदा सिंह, मुड़वारा संतोष शुक्ला, बरगी जयकांत सिंह,सीहोरा डॉ.संजीव वरकड़े, डिंडोरी रूदेश परस्ते, बालाघाट अजय विशाल बिसेन, गोटेगांव शेखर चौधरी, आमला सदाराम झारबड़े, शमशाबाद राजकुमारी केवट , भोपाल उत्तर आमीर अकील, नासिर इस्लाम, सुसनेर जीतू (जीतेन्द्र) पाटीदार, कालापीपल चतुर्भुज तोमर, पानसेमल रमेश चौहान, जोबट सुरपाल अजनार,धरमपुरी राजूबाई चौहान, धार कुलदीप सिंह  बुंदेला,महू अंतरसिंह दरबार, बड़नगर राजेन्द्र सिंह सोलंकी, आलोट प्रेमचंद गुड्डू,मल्हारगढ़ श्यामलाल जोकचंद , बहोरीबंद शंकर महतो शामिल हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला बहुत कड़ा है, तो इसमें बागियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। डैमेज कंट्रोल की सारी कवायद विफल होने पर आखिरकार दोनों महत्वपूर्ण दलों भाजपा और कांग्रेस को नाम वापसी का विकल्प खत्म होने के बाद कठोर मन से ऐसे चेहरों से मोहभंग करने पर मजबूर होना पड़ा है। अब यही बागी तय करेंगे कि किस दल को कितना नुकसान होगा। और जिस दल को ज्यादा नुकसान हुआ, वही सत्ता की देहलीज पर घुटने टेकने को मजबूर हो सकता है। बागियों के मामले में भी राष्ट्रीय दल कांग्रेस आगे हैं तो भाजपा भी ज्यादा पीछे नहीं है। 3 दिसंबर को मतगणना के बाद आया परिणाम यह साबित कर देगा कि भाजपा-कांग्रेस में से किसे अपनों ने ज्यादा सताया है…।