Contempt Case: पूर्व कलेक्टर सहित 2 IAS अधिकारियों को हाई कोर्ट ने दी सजा,50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी

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Contempt Case: पूर्व कलेक्टर सहित 2 IAS अधिकारियों को हाई कोर्ट ने दी सजा,50-50 हजार रुपए का जुर्माना भी

भोपाल: मध्य प्रदेश में एक पूर्व कलेक्टर सहित 2 IAS अधिकारियों को हाई कोर्ट, जबलपुर ने 7- 7 दिन की कैद और 50-50 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।मध्यप्रदेश में छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर IAS अधिकारी शीलेंद्र सिंह और जिला पंचायत के सीईओ IAS अमर बहादुर सिंह को न्यायालय ने कंटेंप्ट के एक मामले में 7-7 दिन की जेल और 50- 50 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इन दोनों अधिकारियों पर ये मामला तब दर्ज हुआ था जब शीलेंद्र सिंह (आईएएस) छतरपुर जिले के कलेक्टर थे। छतरपुर स्वच्छता मिशन के तहत रचना द्विवेदी जिला समन्वयक को 4 अगस्त 2017 को छतरपुर से बड़ामलहरा स्थानांतरित कर दिया था। संविदा नियुक्ति में तबादला करने का कोई प्रावधान नहीं है, इसके बावजूद याचिकाकर्ता को बड़ामलहरा भेजा गया था। इस तबादले के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने रचना द्विवेदी का तबादला स्थगित कर दिया। इसके बावजूद उन्हें बड़ा मलहरा ज्वाइन न करने के कारण सेवा से मुक्त कर दिया गया था।

प्रशासन के इस फैसले के विरुद्ध रचना द्विवेदी ने फिर हाईकोर्ट की शरण ली और अपने अधिवक्ता के माध्यम से कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा, और याचिकाकर्ता को नौकरी से निकाल दिया गया। अन्य किसी व्यक्ति को अपीलार्थी की जगह सेवा में रख लिया गया। कोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर शैलेंद्र सिंह को अवमानना का नोटिस दिया था। अवमानना की याचिका पर सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शैलेंद्र सिंह को अवमानना का दोषी करार दिया।

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सीईओ भी अवमानना के दोषी
जिला पंचायत सीईओ अमर बहादुर सिंह को भी हाईकोर्ट ने अवमानना के दोषी घोषित किया।
क्योंकि, यह मामला स्वच्छता मिशन का है, जो जिला पंचायत के अंतर्गत आता है। याचिकाकर्ता रचना, जिला पंचायत की संविदा कर्मचारी थी। मुख्य कार्यपालन अधिकारी अमर बहादुर सिंह ने उनका ट्रांसफर किया था और हाईकोर्ट द्वारा स्थगित हो जाने के बावजूद, ट्रांसफर ऑर्डर का पालन न करने की आरोप में उनकी सेवाएं समाप्त कर दी थी। इसलिए इस मामले में अमर बहादुर सिंह (मुख्य कार्यपालन अधिकारी), जिला पंचायत छतरपुर को भी दोषी घोषित किया गया।

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