Controversial Statements : पिता की बात का समर्थन करके BJP सांसद ने पार्टी को मुश्किल में डाला!

बिहार से उठे विवाद ने UP की BJP राजनीति में बवाल मचाया! 

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Lucknow : रामचरितमानस पर विवादित बयानबाजी ने समाजवादी पार्टी के बाद अब बीजेपी के लिए भी धर्मसंकट बढ़ा दिया। पहले सपा एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया। अब उनकी बेटी और बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने पिता के बयान का समर्थन कर पार्टी को धर्मसंकट में डाल दिया।

अपने पिता के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने कहा कि पिताजी ने रामचरितमानस पढ़ा है। हालांकि, मेरी इस संबंध में उनसे कोई बात नहीं हुई, लेकिन उन्होंने अगर एक चौपाई का उदाहरण दिया है तो शायद इसलिए क्योंकि वह लाइन स्वयं भगवान राम के चरित्र के विपरीत है। पिताजी ने उस लाइन को संदेह की दृष्टि से उद्धत करके स्पष्टीकरण मांगा, तो हमें लगता है स्पष्टीकरण होना चाहिए। यह विषय मीडिया में बैठ कर बहस करने का नहीं है। हमें लगता है कि यह विश्लेषण का विषय है।

कहां से उठा ये विवाद

रामचरितमानस पर बिहार के मंत्री की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद अब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने बयान देकर विवाद बढ़ा दिया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 11 जनवरी को बिहार के शिक्षामंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरित मानस को नफरत फैलाने वाला हिंदू धर्म ग्रंथ बताया था। सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है। तुलसीदास ने ग्रंथ को अपनी खुशी के लिए लिखा था। करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते। इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए कहा कि सरकार को इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

सपा नेता ने मानस के एक अंश को उद्धृत करते हुए कहा कि ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ हो, लेकिन वह ब्राह्मण है। उसको पूजनीय कहा गया है। लेकिन, शूद्र कितना भी ज्ञानी हो, उसका सम्मान मत कीजिए। मौर्य ने सवाल उठाया, क्या यही धर्म है? जो धर्म हमारा सत्यानाश चाहता है, उसका सत्यानाश हो। उन्होंने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री पर हमला बोलते हुए कहा, धर्म के ठेकेदार ही धर्म को बेच रहे हैं। धीरेंद्र शास्त्री ढोंग फैला रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

ऐसी बयानबाजी से विपक्ष को मौका मिला

बीजेपी सांसद के इस बयान से विपक्ष को मौका मिला तो तुरंत भूपेंद्र चौधरी ने इसपर सफाई दी। उन्होंने कहा कि इस बात पर हमारी पार्टी का स्टैंड स्पष्ट है। राम और रामचरितमानस करोड़ों भारतीयों की आस्था का विषय है। इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। लेकिन, हमारा बिल्कुल स्टैंड क्लीयर है, हमारी जो धार्मिक आस्था और परंपरा है, हम उसके साथ हैं। जबकि, योगी सरकार के मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि अभी लोकसभा चुनाव में एक साल का वक्त है, इसलिए अब संघमित्रा मौर्य को निर्णय लेना पड़ेगा कि वो पार्टी के साथ खड़ी हैं या पिता के साथ।

दोनों के बयानों से स्पष्ट हो गया कि सांसद का ये बयान बीजेपी का नहीं है। पार्टी प्रमुख ने इससे पार्टी को तो अलग कर दिया, जबकि मंत्री ने सांसद के लिए स्पष्ट संकेत दिया कि उन्होंने पार्टी और पिता में से किसी एक को चुन लेना होगा। लेकिन, इस सबके बीच बीजेपी ने अभी तक उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया। अब सांसद संघमित्रा मौर्य के खिलाफ एक्शन की मांग तेज होने लगी है।