Report on Cooperative Department Indore
Indore MP: सहकारिता विभाग (Cooperative Department) की थोकबंद तबादला सूची ने कई सवाल खड़े कर दिए है। हालांकि विभागीय तबादले सरकारी प्रक्रिया का हिस्सा है मगर जिस वक्त पर यह सूची जारी हुई उसने आशंकाओं को बल दिया है। गौरतलब है कि सोमवार को जो सूूची जारी हुई का सर्वाधिक असर इंदौर (Indore) पर पड़ा है। यहां से 11 सहकारिता निरीक्षक और आडिटरों को स्थानांरित कर दिया गया। यह वही अधिकारी है जिनके जिम्मे उन गृह निर्माण संस्थाओं का काम है जिसमे हजारों सदस्यों के प्लॉट अटके हुए है। इस थोकबंद तबादलों के बाद Indore में काम करने वाले लोग ही नहीं बचे। यानी पहले से अधिकारियों की कमी के चलते काम धीमे हो रहा था अब लगभग ठप्प ही हो जाएंगा। क्योकि जिन निरीक्षकों और आडिटरों को स्थानांतरित किया गया है उनके स्थान पर नए अधिकारियों को नहीं भेजा गया। सिर्फ एक महिला निरीक्षक को भोपाल से इंदौर स्थानांतरित किया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि जिन दागी गृह निर्माण संस्थाओं पर कार्रवाई शुरू हुई उनका कैसे और किनके द्वारा पूरा किया जाएंगा।
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भूमाफियाओं का खेल तो नहीं ?
स्थानांतरण सरकार के नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है मगर लोगों को यह भूमाफियों की साजिश लग रही है। इंदौर में वैसे तो बीते बारह सालों में चार बार भूमाफियाओं पर कार्रवाई हो चुकी है। इस साल जनवरी माह में जिन भूमाफियाओं के खिलाफ मोर्चा खौला वो कभी निशाने पर नहीं चढ़े थे। दरअसल इस बार प्रशासन ने माफियाओं की जड़ पर हमला किया जिससे उनकी चूले हिल गई। अपने ऊंचे राजनैतिक रसूख के लिए पहचाने जाने वाले भूमाफिया कार्रवाई से बचने के लिए भागने पर मजबूर हो गए। कोरोना की दुसरी लहर ने कार्रवाई को मंद जरूर कर दिया मगर कार्रवाई रूकी नहीं। हालात अब नियंत्रण में आ गए थे और प्रशासन अपनी लंबित कार्रवाई को दोबारा शुरू करने ही वाला था कि थोक में अधिकारियों को हटा दिया गया।
जिन पर काम की जिम्मेदारी उन्हें ही हटा दिया
सहकारिता विभाग (Cooperative Department) में अमले की कमी पहले से है। यहां करीब 18 निरीक्षक थे इनमे से कुछ को पुरानी शिकायतों के आधार पर निर्वाचन शाखा में अटैच कर दिया गया। जिससे मौजूदा स्टॉफ पर काम का अतिरिक्त भार आ गया। उधर प्रशासन ने जिन गृह निर्माण संस्थाओं को निशाने पर लिया था उनकी शिकायतों के निराकरण की दिशा में तेजी से प्रयास चल रहे है। विभाग की और से इन्हीं निरीक्षकों और आडिटर्स पर काम की जिम्मेदारी है। इन अधिकारियों को संस्थाओं की पूरी जन्मपत्री पता है लिहाजा इनसे बेहतर कोई नहीं जानता कि गड़बड़ियां हुई कहा है और उसका निदान कैसे होगा।
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भ्रष्टों के खिलाफ होती कार्रवाई तो बेहतर था
सहकारिता विभाग (Cooperative Department) की तबादला सूची में अधिकांश नाम इंदौर के होने पर ही अचरज व्यक्त किए जाने लगा था। इसके पीछे कारण भ्रष्टाचार को बताया जा रहा है जिसके चलते महकमे की बीते एक दशक में काफी खराब हुई है। पिछले दिनों वरिष्ठ निरीक्षक प्रमोद तोमर को लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया था तब भी सहकारिता विभाग के भ्रष्टाचार चर्चा में आए थे। बहरहाल लंबे समय से जमे होने और भ्रष्टाचार बढ़ने के तर्क को मान भी लिया जाए तो सवाल यह उठता है कि तोमर जैसे भ्रष्ट अफसर पर विभाग ने क्या कार्रवाई की। ना तो उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश हुए और ना ही निलंबित किया गया।
विधायक बोले जांच होने तक ना हटाए
इंदौर से स्थानांतरित किए गए सहकारिता निरीक्षकों को लेकर विधायक महैंद्र हार्डिया खासे निराश है। उन्होंने सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया से भी इस संबंध में चर्चा की। विधायक हार्डिया का कहना है कि अभी गृह निर्माण संस्थाओं की जांच चल रही है और इन्ही अधिकारियों पर उसकी जिम्मेदारी है। एक साथ सबकों हटाए जाने से काम बंद हो जाएंगा। तीन हजार पीड़ित सदस्यों को न्याय मिलने में और देरी होगी, बेहतर होगा कि जब तक जांच पूरी ना हो इन्हे ना हटाया जाए।
सहकारिता विभाग (Cooperative Department) इन अफसरों को हटाया Indore से
- जगदीश जलोदिया – डिंडौरी
- अजय पाठक – शहडोल
- एच पी गोयल – शहडोल
- सुनील रघुवंशी – मुरैना
- एमएल श्रीवास्तव – मुरैना
- संतोष जोशी – सीधी
- प्रवीण जैन – सीधी
- प्रमोद तोमर – उमरिया
- संगीता चौहान – इंदौर
आडिटर (Auditor) नई पदस्थापना
- संजय कौशल – टीकमगढ़
- आइसी वर्मा – मुरैना
- सुरेश भंडारी – उमरिया