संस्कृति में भ्रष्टाचार (Corruption In Culture)!

1051

संस्कृति में भ्रष्टाचार (Corruption In Culture)!
मप्र संस्कृति विभाग के भ्रष्टाचार की आंच भाजपा और संघ नेताओं तक पहुंच रही है। इस आंच की तपन से सीएम हाऊस में बिठाये गए जिम्मेदार लोग भी नहीं बच पा रहे हैं। खास बात यह है कि इसका खुलासा संघ समर्थित अखबार स्वदेश ने ही किया है। स्वदेश ने उस्ताद अलाउद्दीन खान संगीत एवं कला अकादमी में चल रहे करोड़ों के भ्रष्टाचार की परतें उघाड़ी तो देश की चर्चित वेबसाइट द वायर ने इसे लपक लिया। वायर ने तहकीकात की तो मप्र के संस्कृति विभाग में उन्हें भ्रष्टाचार के बड़े बड़े किस्से मिल गये। द वायर ने दो किश्तों में न केवल इस बड़े भ्रष्टाचार की पोल खोली, बल्कि सीएम हाऊस से लेकर संघ कार्यालय में सक्रिय कई लोगों के नाम उजागर करते हुए उन्हें भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार भी ठहरा दिया है। द वायर की खोजी रिपोर्टिंग के बाद संस्कृति विभाग में हडकंप मचा हुआ है। विभाग पर खबर का खंडन जारी करने का जबरदस्त दबाव है।

मप्र की एक विधानसभा में कांग्रेस खत्म!
मप्र में सागर जिले के खुरई विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस लगभग खत्म हो गई है। यहां कांग्रेस के अधिकांश नेताओं व कार्यकर्ताओं ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। कुछ बचे खुचे कांग्रेसी भी भाजपा की सदस्यता लेने की कोशिश कर रहे हैं। इसका असर नगरीय निकाय चुनाव में साफ देखने मिला है। विधानसभा क्षेत्र की तीन नगर परिषदों बरोदिया कलां, मालथौन और बांदरी के 45 वार्डों में से 38 वार्डों में भाजपा के अलावा कोई नामांकन भरने भी नहीं आया। कुल सात वार्डों में भाजपा प्रत्याशी के सामने उम्मीदवार खड़े हैं, जहां चुनाव होना है। लेकिन दावा किया जा रहा है कि इन सभी सात वार्डों में भाजपा उम्मीदवार ही भारी हैं। खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह जो कि मप्र के नगरीय विकास मंत्री भी हैं। उनका दावा है कि उन्होंने खुरई विधानसभा में इतना विकास किया है कि यहां अब कांग्रेस का कोई नाम लेने वाला भी नहीं बचा है।

चर्चा में 70 करोड़ी पार्षद प्रत्याशी !
मप्र के टीकमगढ़ नगर पालिका के वार्ड क्रमांक 22 से कांग्रेस के पार्षद प्रत्याशी अब्दुल गफ्फार उर्फ पप्पू मलिक अपनी लोकप्रियता या उपलब्धि से ज्यादा अपनी अकूत सम्पत्ति के कारण चर्चा में है। उन्होंने चुनाव के नामांकन में अपनी सम्पत्ति 70 करोड़ से अधिक बताई है। वर्षों पहले व्यापार के चलते टीकमगढ़ छोड़कर पहले नागपुर, फिर बैंगलौर अब भोपाल बस चुके अब्दुल गफ्फार को कांग्रेस नगर पालिका अध्यक्ष बनाने टीकमगढ़ वापस लाई है। चुनाव के बाद यदि निर्दलीय पार्षदों की जरूरत पड़ी तो टीकमगढ़ कांग्रेस में सिर्फ अब्दुल गफ्फार ही मैनेज करने की क्षमता रखते हैं। खास बात यह है कि अब्दुल गफ्फार जैनसंत आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज से काफी प्रभावित हैं। उन्होंने आचार्यश्री के दर्शन करने के बाद मांसाहार का आजीवन त्याग कर दिया है।

भाभी के लिए छोड़ी मायानगरी
अपनी सगी भाभी को महापौर बनाने जानेमाने फिल्म कलाकार मुकेश तिवारी ने मायानगरी मुम्बई छोड़कर सागर में डेरा डाल लिया है। वे गली गली घूमकर भाभी के लिए वोट मांग रहे हैं। मुकेश तिवारी के सगे बड़े भाई सुशील तिवारी सागर में भाजपा नेता हैं। भाजपा ने मुकेश की भाभी संगीता तिवारी को महापौर का टिकट देकर मैदान में उतारा है। इस सीट पर कांग्रेस ने तुरुप का पत्ता चलते हुए सागर के भाजपा विधायक शैलेन्द्र जैन के छोटे भाई सुनील जैन की पत्नी निधि जैन को प्रत्याशी बनाकर चुनाव को रोचक व जटिल बना दिया है। संघर्षपूर्ण चुनाव में परिवार की प्रतिष्ठा बचाने मुकेश तिवारी बीते तीन दिन से सागर में सक्रिय हैं। मुकेश तिवारी ने चर्चित फिल्म चाइना गेट में जगीरा का शानदार किरदार निभाया था। मजेदार बात यह है कि भगवा पार्टी के लिए वोट मांग रहे मुकेश की पत्नी मुस्लिम बताई जाती हैं।

एमआरआई/सीटी स्केन विवाद हाईकोर्ट पहुंचा
मप्र के 9 सरकारी मेडीकल काॅलेजों में लगने वाली एमआरआई/सीटी स्कैन मशीन का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। राज्य सरकार ने इन मेडीकल काॅलेज में यह मशीनें लगाने के लिए मार्च 2021 में टेंडर जारी किया था। यह टेंडर राजस्थान की वास्को हेल्थकेयर कंपनी को मिला था। कंपनी ने इस साल जनवरी के पहले सप्ताह तक इंदौर विदिशा के मेडीकल काॅलेज में यह मशीनें लगा दी थीं। लेकिन अचानक सरकार ने समय सीमा में काम न होने पर यह टेंडर रद्द करके दूसरा टेंडर जारी कर दिया है। वास्को हेल्थकेयर पुराने टेंडर पर ही काम करना चाहती है। उसी टेंडर को यथावत रखने कंपनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है। हाईकोर्ट ने फिलहाल नये टेंडर पर रोक लगा दी है।

अनूप मिश्रा की घोषणा के मायने
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे व मप्र के पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने सार्वजनिक घोषणा कर दी है कि वे अगला विधानसभा चुनाव हरहाल में लड़ेंगे। भाजपा में चुनाव कौन लड़ेगा और कहां से लड़ेगा यह संगठन तय करता है। पार्टी अनूप मिश्रा की इस घोषणा के मायने तलाश रही है। दरअसल अनूप मिश्रा अपने तीखे तेवरों के लिए जाने जाते हैं। वे उमा भारती के साथ भाजपा से बगावत करने वाले थे, लेकिन तब अनिल दवे ने उन्हें रोक लिया था। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के समय अनूप मिश्रा की उम्र 68 साल होगी। ऐसे में पार्टी कहीं उम्र का क्राइटएरिया बनाकर चुनाव मैदान से बाहर न कर दे, इसलिए अनूप मिश्रा ने अभी से अपना रूख सख्त कर लिया है। भाजपा में सवाल पूछा जा रहा है यदि पार्टी टिकट नहीं देगी क्या तब भी मिश्रा चुनाव लड़ेंगे?

और अंत में….
शिवराज सरकार आजकल तीस्ता सीतलवाड़ और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के संबंधों की पड़ताल में लगी हुई है। सरकार को भनक लगी है कि वर्ष 1993-2003 के बीच मप्र की दिग्विजय सरकार के समय तीस्ता सीतलवाड़ को काफी आर्थिक मदद मिली थी। मुखबिर का कहना है कि शिवराज सरकार ने इसकी पूरी जानकारी निकालने को कहा है। इधर दिग्विजय सरकार के समय सक्रिय एक अधिकारी का कहना है कि उस समय तीस्ता सीतलवाड़ सिर्फ एक दलित सम्मेलन में भोपाल आई थीं। उनकी कोई आर्थिक मदद नहीं हुई है। दरअसल नरेन्द्र मोदी पर गुजरात दंगे के झूठे आरोप लगाने के सिलसिले पुलिस ने तीस्ता सीतलवाड़ को गिरफ्तार किया है। तीस्ता की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस की ओर से सिर्फ दिग्विजय सिंह ही उनके समर्थन में खड़े नजर आ रहे हैं। दिग्विजय ने तीस्ता को देशभक्त और निडर महिला बताया है।