Indore : लोकायुक्त संबंधी भ्रामक जानकारी देने पर संभाग आयुक्त और निगम प्रशासक डॉ पवन शर्मा ने उपायुक्त अरुण शर्मा को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई इसलिए की गई, क्योंकि करोड़ों की संपत्ति के मालिक नगर निगम के बेलदार असलम के मामले में सही जानकारी नहीं देने पर ये कार्रवाई (This action for not giving correct information in the case of Beldar Aslam) की गई। अरुण शर्मा ने शुक्रवार को ही इंदौर नगर निगम में जॉइनिंग दी थी, वे पहले धार में पदस्थ थे। उन्होंने इंदौर निगम में ज्वाइन किया और निलंबन की गाज गिरी।
निगम प्रशासक का यह आदेश 9 मार्च का है। यदि अरुण शर्मा इंदौर ज्वाइन नहीं करते, तो उन्हें वहीं निलंबन आदेश मिल जाता। निगम प्रशासक डॉ शर्मा द्वारा जारी आदेश के मुताबिक निगम के बेलदार असलम के मामले में उपायुक्त अरुण शर्मा ने उन्हें भ्रामक जानकारी दी थी। इस मामले में निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने क्लर्क महफूज खान, आबिद खान को भी निलंबित करते हुए ट्रेंचिंग ग्राउंड में अटैच (Clerk Mehfooz Khan, Abid Khan also suspended and attached to the trenching ground) कर दिया। रिटायर्ड अधीक्षक विलास मांजरेकर को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
निलंबन इसलिए
नगर निगम के बेलदार असलम को 8 अगस्त 2018 को निलंबित किया गया था। जांच के बाद आरोप सही पाए जाने पर 5 जुलाई 2021 को उसे निगम की सेवा से निकाल दिया गया। जानकारी में यह भ्रामक तथ्य दिए गए कि असलम खान के खिलाफ 5 जुलाई 2021 को सेवा से पृथक करने का मामला लोकायुक्त संबंधी मामले में था। इस केस में 2018 की कार्रवाई के बाद कोई आरोप पत्र जारी नहीं किया गया। न विभागीय जांच की गई। उपायुक्त अरुण शर्मा ने अन्य केस में पारित आदेश 2021 से असलम को निगम सेवा से अलग करने संबंधी भ्रामक जानकारी लोकायुक्त केस में पेश की। संभागीय कार्यालय में असलम द्वारा पेश अपील में उपायुक्त अरुण शर्मा ने निगम आयुक्त का अनुमोदन भी नहीं लिया।
बर्खास्त होने के 8 महीने बाद ही बहाल
लोकायुक्त ने 6 अगस्त 2018 को असलम के घर पर आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में कार्रवाई की थी। जोन-13 में पदस्थ असलम पर आरोप लगाए थे कि वह बिल्डिंग परमिशन शाखा में जाकर नक्शे पास करवाता था। जबकि, इस शाखा में बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह रोक है। उसके यहां होम थिएटर, लाखों के बकरे, जकूजी, झूमर, लाखों के जेवर सहित बड़ी मात्रा में लग्जरी सामान लोकायुक्त को मिला था। उसकी काली कमाई का अंदाजा इसी से लगाया गया कि प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) तक को इस मामले में दखल देना पड़ा था। इसके बाद 8 अगस्त 2018 को असलम को निलंबित कर दिया गया था। 5 जुलाई 2021 को बेलदार असलम को निगम की सेवा से बर्खास्त कर दिया।
संभाग आयुक्त और प्रशासक ने 2 मार्च 2022 को माना कि असलम पर बिल्डिंग परमिशन शाखा में जाकर नक्शे पास कराने के आरोप सही हैं। लेकिन, उसे बर्खास्त किए जाने की जो सजा दी गई है वह अत्यधिक है। बर्खास्तगी के बजाए उसकी तीन वेतनवृद्धि रोकने के आदेश दिए। 9 मार्च 2022 को असलम के मामले में सही जानकारी नहीं देने और लोकायुक्त संबंधी भ्रामक जानकारी देने पर उपायुक्त अरुण शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया।
लोकायुक्त द्वारा आय से अधिक संपत्ति के दर्जनों मामले उजागर किए गए हैं। लेकिन, इनमें गिनती के मामले हैं, जिनमें भ्रष्ट अफसरों की इतनी संपत्ति निकली कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग तक को दखल देना पड़ा। ईडी ने असलम की 3 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैच कर रखी है। वहीं लोकायुक्त द्वारा भी जांच की जा रही है। असलम के घर पर लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोप में कार्रवाई की थी। इस मामले में अभी चालान पेश किया जाना है। इस कार्रवाई के बाद उसे सस्पेंड किया गया था। बाद में जांच के बाद बर्खास्त कर दिया था।