Council (Farmacy) of conspiracies: जब IG साहब ने ब्रीफ़ केस मेरी ओर बढ़ाया….
राजीव शर्मा
उज्जैन और महिदपुर के बाद मैंने भोपाल आना चाहा .अपने वरिष्ठों को इच्छा बताई और 2002की बारिश में मुझे स्वास्थ्य विभाग में प्रतिनियुक्ति मिल गई .मप्र फार्मेसी कौंसिल के रजिस्ट्रार के रूप में ज्वाइन करते ही मैं समझ गया कि यह पदस्थापना नहीं दुःस्वप्न है .घपलों घोटालों के लिये यह इतनी कुख्यात थी जितना कि बाद में व्यापम हुआ .कोई यहाँ आना नहीं चाहता था पर मैंने हँसते हँसते यह चुनौती स्वीकार कर ली थी .
मुझसे पहले यहाँ जो भी रजिस्ट्रार रहे वे या तो निलंबित हुए या जेल गए या फ़रार रहे .आधा रिकॉर्ड रहस्यमय अग्नि कांडों में जला था शेष आधा लोकायुक्त और आर्थिक अपराध विंग में जप्त था .कुछ अधजले अभिलेख और कुछ चालू रिकॉर्ड ही बचा था .
दो तीन दशकों से कौंसिल के चुनाव नहीं हुए थे .घपले के मुख्य पात्र कौन थे सबको पता था पर उनका नाम लेना मना था .छोटी मछलियाँ पकड़ीं जा रहीं थीं.मुझे शासन की ओर से दो मुख्य अपेक्षाओं पर खरा उतरना था पहला था यहाँ का भ्रष्टाचार और अनियमितता पर अंकुश लगाना दूसरा मतदाता सूची तैयारकर साफ़ सुधरा चुनाव कराना .
दलालों के झुण्ड नाना वेश में कार्यालय के अंदर बाहर घेरा डाले हुए थे .उन्हें अपना धंधा फिर चलने की उम्मीद थी वहीं मेरे शुभ चिंतक मेरे कुशल क्षेम को लेकर चिंतित थे .
बधाइयों और आशंकाओं के बीच मैंने काम शुरू किया .जल्दी ही चीजें पटरी पर आने लगीं तभी एक विचित्र घटना हुई .मेरे एक आत्मीय का संपर्क सूत्र पकड़कर एक आई जी साहब ने मुझे फ़ोन किया .मधुर वार्तालाप में उन्होंने शाम मेरे घर आना चाहा .शिष्टाचार वश मैं उनको मना नहीं कर सका .उसी शाम वे मेरे शासकीय आवास पर पधारे .उन्होंने हाथ में लाए ब्रीफ़ केस को मेरी ओर बढ़ाया तो मैं चौंक गया।
मधुर वार्तालाप तक तो ठीक था किंतु यह ब्रीफकेस क्यों ? मेरी आँखों में प्रश्न चिन्ह और अस्वीकार देख वे बोले -संकोच मत करो .आपको अच्छा मौक़ा मिला है इसे कैश करो .इस ब्रीफकेस में पचास लोगों के काग़ज़ात और पाँच लाख रुपये है .इनका काम हो जायेगा तो मैं आगे और काम लाऊँगा .यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया .क्रोध आया पर मैं पी गया .मैंने विनम्र होते हुए हाथ जोड़कर कहा -धन्यवाद सर।
आपका मार्गदर्शन मेरे लिये महत्वपूर्ण है किंतु मैं नया नया आया हूँ इसलिये आप यह अपने पास सुरक्षित रखिये .मैं जैसे ही काम प्रारंभ करूँगा आपको फ़ोन करूँगा तब आप पधारें सर.विनम्र किंतु दृढ़ इंकार की डिप्लोमेसी काम कर गई .वे ख़ुशी ख़ुशी अपना ब्रीफ केस लेकर बाहर चले गए .मैंने राहत की साँस ली .
ईश्वर की कृपा से मुझे दुबारा उनके दर्शन नहीं करने पड़े .तत्कालीन प्रमुख सचिव स्वास्थ्य श्रीमती अलका सिरोही जी के दृढ़ समर्थन और मार्गदर्शन में मेरी टीम फ़ार्मेसी कौंसिल को बदनामी और भ्रष्टाचार के दलदल से उबारने में सफल रही .