Counterfeit Drug Trade : नकली दवाओं के गोरखधंधे का सच जीजा-साले के विवाद में छुपा!

- ये दवाइयां अंगोला से अफगानिस्तान तक सप्लाय की जाती रही! 

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Counterfeit Drug Trade

Counterfeit Drug Trade : नकली दवाओं के गोरखधंधे का सच जीजा-साले के विवाद में छुपा!

Agra : यहां के शास्त्रीपुरम में पकड़ी गई नकली दवाओं की फैक्टरी साैरभ दुबे ने अपने जीजा अश्वनी गुप्ता के साथ मिलकर खोली थी। जीजा-साले इन दवाओं की सप्लाई उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, पंजाब के साथ सेंट्रल अफ्रीकी देश अंगोला और अफगानिस्तान तक कर रहे थे। इन्हें हर महीने लाखों का मुनाफा हो रहा था।

करीब 11 महीने पहले जीजा से विवाद होने पर साले अपनी अलग फैक्टरी खोल ली। पुलिस ने दोनों पर एक साथ छापा मारा। थाना सिकंदरा के प्रभारी निरीक्षक के मुताबिक, नरसी विलेज, राज दरबार कॉलोनी निवासी एमबीए पास सौरभ दो साल पहले शास्त्री पुरम स्थित दवा फैक्ट्री में जनरल मैनेजर के पद पर कार्यरत था। वह पूरा कामकाज संभालता था। उसके साथ आवास विकास कॉलोनी का विशाल काम करता था, बीटेक पास है।

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सौरभ ने अपनी फैक्टरी खोलने का प्लान बनाया। उसने अपने जीजा दयालबाग की विभव वाटिका निवासी अश्वनी गुप्ता से बात की। उनके साथ साझीदारी में अपनी फर्म बनाई। जीजा की दयालबाग में दवाओं की सप्लाई का काम है। उन्होंने शास्त्रीपुरम स्थित बंद पड़े मैरिज होम को 17 हजार रुपये महीने पर किराए पर लिया। इसमें वेटनोसेफ रिसर्च इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से फैक्टरी खोल ली। दिल्ली सहित अन्य राज्यों से केमिकल, बोतल, पैकिंग का सामान मंगाते थे।

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एक ही बैच नंबर पर दवाएं

मशीनों में दवाएं तैयार की जाती थी। यह काम साैरभ खुद करता था। महिला मजदूरों को 5-5 हजार रुपये महीने पर रखा हुआ था। वह लेबल लगाने से लेकर पैकिंग करती थीं। एक ही बैच नंबर पर यह दवाएं बाजार में सप्लाई हो रही थीं। फैक्टरी में कोई विशेषज्ञ नहीं था। इसके साथ ही आरोपियों के पास उत्तराखंड का लाइसेंस था। वह भी दवाओं के डिस्ट्रीब्यूशन का बताया गया है। इनसे दवाओं का तैयार नहीं किया जा सकता।

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साले ने खोल ली अपनी फैक्टरी

साैरभ ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि 11 महीने पहले जीजा से विवाद हो गया। उन्होंने बहन निधि गुप्ता को मैनेजर बना दिया। उसे कोई भुगतान नहीं किया जाता था। इस पर उसने जीजा की फैक्टरी से 500 मीटर की दूरी पर एक मकान 15 हजार रुपये महीने पर किराए पर लिया। उसने नोवीटास लाइफ साइंसेज नाम से फैक्ट्री खोल ली। इसमें दवाओं को तैयार करने लगा। उसके यहां से दवाओं की सप्लाई आगरा के साथ एटा, कानपुर, अलीगढ़, पंजाब, राजस्थान के जयपुर के अलावा मध्य अफ्रीका के देश अंगोला और अफगानिस्तान में एजेंटों के माध्यम से की जा रही थी।

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