गुजरात में स्टील अपशिष्ट से देश की 1st. Steel Road
सूरत, 26 मार्च.प्रति वर्ष हमारे देश में सडकों की ख़राब स्थिति के कारण दुर्घटनाएं होती रहती है। क्योंकि सडकों की स्थिति ख़राब होती है।
किसी भी देश का सड़क इंफ्रास्ट्रक्चर उसकी अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में 90% यात्री यातायात के लिए सड़कों का उपयोग करते हैं। इसके अलावा 70% माल ढुलाई भी सड़कों से ही होता है।
सरकार इस विषय में चिंतन कर रही थी जिसके परिणाम स्वरुप लोह पथ का विचार दो तरह से उपयोगी सिद्ध हुआ ,एक तो यह कि सड़कें पक्की और मजबूत होंगी। दूसरा स्टील के अपशिष्ट का भी उपयोग हो सकेगा।
इसीलिए नीति आयोग के निर्देश पर इस्पात मंत्रालय ने कई साल पहले केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान को इस कचरे के उपयोग का प्रोजेक्ट दिया.
कई साल की रिसर्च के बाद वैज्ञानिकों ने सूरत के AMNS स्टील प्लांट में स्टील के कचरे को प्रोसेस करवाकर गिट्टी तैयार करवाई।
वैज्ञानिकों ने इसका हल निकाल लिया है। स्टील प्लान से निकलने वाले इस कचरे से सड़के बनाई जा रही है। इन सड़कों को स्टील स्लैग रोड कहा जाता है। जो ना सिर्फ आम तौर पर गिट्टी और तारकोल से बनने वाली सड़कों से मजबूत हैं बल्कि सस्ती भी हैं।
लंबी रिसर्च के बाद गुजरात में देश की पहली स्टील सड़क Steel Road का निर्माण किया गया है। स्टील के कचरे से बनी सड़क 6 लेन की है.
वैज्ञानिकों ने इसका हल निकाल लिया है। स्टील प्लान से निकलने वाले इस कचरे से सड़के बनाई जा रही है। इन सड़कों को स्टील स्लैग रोड कहा जाता है। जो ना सिर्फ आम तौर पर गिट्टी और तारकोल से बनने वाली सड़कों से मजबूत हैं बल्कि सस्ती भी हैं।
लंबी रिसर्च के बाद गुजरात में देश की पहली स्टील सड़क(Steel Road )का निर्माण किया गया है। स्टील के कचरे से बनी सड़क 6 लेन की है
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पहली परियोजना के तहत, गुजरात के सूरत शहर में हजीरा औद्योगिक क्षेत्र में स्टील कचरे से बनी एक सड़क बनाई गई है। यह वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) द्वारा इस्पात और नीति आयोग और नीति आयोग की सहायता से प्रायोजित है।
अभी इंजीनियर्स और रिसर्च टीम ने ट्रायल के लिए सिर्फ एक किलोमीटर लंबी 6 लेन की ऐसी सड़क बनाई है। लेकिन जल्द ही देश के अलग अलग राज्यों में बनने वाले हाईवे भी स्टील के कचरे से बनाए जाएंगे।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रधान वैज्ञानिक और प्रोजेक्ट के प्रमुख डा. सतीश पांडेय ने बताया कि स्लैग को प्लांट में प्रोसेस्ड कर उसे सड़क में इस्तेमाल करने लायक सामग्री में तब्दील किया गया है और रोड निर्माण में इस्तेमाल किया जा रहा है।
स्लैग रोड के निर्माण से सरकार द्वारा चलाए जा रहे वेस्ट टू वैल्थ और स्वच्छ भारत मिशन दोनों अभियानों को मदद मिल सकेगी। जानकारी के अनुसार इस सड़क के बनने के बाद अब हर दिन करीब 1000 से ज्यादा ट्रक 18 से 30 टन का वजन लेकर इससे गुजरते हैं लेकिन सड़क को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है।
सीआरआरआई के अनुसार इस रोड की थिकनेस 30 फीसदी तक कम की गई है। थिकनेस कम होने से कीमत कम होती है। इस तरह के मैटेरियल से निर्माण कर सड़क की लागत 30 फीसदी तक कम की जा सकती है।
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कंपनी के कैपेक्स प्रोक्योरमेंट के प्रमुख अरुणि मिश्रा बताते हैं कि देश में स्टील इंडस्ट्री से सालाना 20 मिलियन टन स्टील स्लैग निकलता है। 2030 तक देश मे 300 मिलियन टन स्टील उतपादन का लक्ष्य रखा गया है।
इस तरह सालाना 45 मिलियन टन स्टील स्लैग निकलेगा, सड़क निर्माण में इस्तेमाल कर इसका बेहतर उपयोग किया जा सकता है। इस्पात संयंत्र स्टील कचरे के पहाड़ बन गए हैं। यह पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा है, इसीलिए नीति आयोग के निर्देश पर, इस्पात मंत्रालय ने हमें कई साल पहले निर्माण के लिए इस कचरे का उपयोग करने के लिए एक परियोजना दी थी।