Court’s Rebuke on Bureaucracy : इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी ‘कलेक्टर जैसे अफसरों से निपटने और अपनी गरिमा की रक्षा में हम असमर्थ नहीं!’ 

फतेहपुर कलेक्टर को एक याचिका में दाखिल शपथ पत्र की भाषा पर कोर्ट ने फटकार लगाई!

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Court’s Rebuke on Bureaucracy : इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी ‘कलेक्टर जैसे अफसरों से निपटने और अपनी गरिमा की रक्षा में हम असमर्थ नहीं!’ 

Prayagraj : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि किसी को कोर्ट की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। कोर्ट ने फतेहपुर डीएम (कलेक्टर) को दाखिल किए शपथ पत्र की भाषा पर फटकार लगाई। शपथ पत्र में दर्ज इस आश्वासन पर आपत्ति जताई कि कोर्ट की गरिमा हमेशा बनाए रखी जाएगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक आदेश में फतेहपुर के डीएम को फटकार लगाते हुए उनके शपथपत्र में दर्ज इस आश्वासन पर आपत्ति जताई कि कोर्ट की गरिमा हमेशा बनाए रखी जाएगी। कोर्ट ने इसे एक छिपा हुआ विचार बताया और कहा कि इससे प्रतीत होता है कि डीएम खुद को कोर्ट की गरिमा को कम करने या अपमानित करने में सक्षम मानते हैं। कोर्ट ने टिप्पणी की, कि यह अदालत कलेक्टर जैसे अधिकारियों से निपटने और अपनी गरिमा की रक्षा करने में असमर्थ नहीं है। हमें उनके आश्वासन की आवश्यकता नहीं है। जो शब्द उन्होंने प्रयोग किए हैं, उनसे यह छुपा हुआ विचार झलकता है कि वे हमारी गरिमा को क्षति पहुंचाने में सक्षम हैं। किसी को भी जिसमें कलेक्टर फतेहपुर भी शामिल हैं, इस प्रकार का कोई भ्रम नहीं पालना चाहिए।

कोर्ट के आदेश के अनुसार कलेक्टर की ओर से दाखिल शपथ पत्र में यह संकेत था कि वे न्याय पालिका की गरिमा को बनाए रखने, कमजोर करने या अपमानित करने की शक्ति रखते हैं। कोर्ट ने कलेक्टर को निर्देश दिया कि वे यह बताते हुए एक स्पष्टीकरण शपथ पत्र दाखिल करें कि उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों न की जाए! क्योंकि, उन्होंने ऐसा शपथपत्र प्रस्तुत किया है। यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की।

 

यह था भूखंड का मामला

याचिका में यह आरोप लगाया था कि कुछ भूखंड जो कि रिकॉर्ड में खेल का मैदान तालाब और खलिहान के रूप में दर्ज हैं, उन पर ग्राम प्रधान द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। वहां अवैध रूप से कब्जा किया जा रहा है। प्रमुख सचिव और संबंधित जिलाधिकारी ने कोर्ट को सूचित किया कि अतिक्रमण के मामले में लेखपाल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू कर दी गई। लेकिन, याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि राजस्व अधिकारी और पुलिसकर्मी उसे याचिका वापस लेने के लिए धमका रहे हैं।

हाई कोर्ट ने इस गंभीर आरोप का संज्ञान लेते हुए कलेक्टर और एसपी से शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। इसके अनुपालन में डीएम ने शपथ पत्र दाखिल किया, जिसके एक पैराग्राफ में कहा गया कि शपथकर्ता अत्यंत सम्मान के साथ न्यायालय से अपनी ईमानदार और बिना शर्त माफी मांगता है, यदि जिला प्रशासन की कार्रवाई से किसी भी असुविधा या गलतफहमी की स्थिति उत्पन्न हुई हो। शपथकर्ता का कभी भी याची के इस जनहित याचिका को आगे बढ़ाने के अधिकार में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं था और न कार्यवाही को अनुचित तरीके से प्रभावित करने का प्रयास किया गया।

न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए शपथकर्ता भविष्य में अधिक सतर्क रहने और यह सुनिश्चित करने का वचन देता है कि सभी प्रशासनिक कार्यवाही पूरी पारदर्शिता, निष्पक्षता और विधि के अनुरूप की जाए। शपथकर्ता न्यायालय को आदरपूर्वक आश्वस्त करता है कि कोर्ट की गरिमा और सभी व्यक्तियों के अधिकार हमेशा सुरक्षित रहेंगे। कोर्ट ने उक्त पैराग्राफ के अंतिम वाक्यो पर विशेष आपत्ति जताई और कलेक्टर से इस पर स्पष्टीकरण का शपथ पत्र मांगा।