MSME में संकट: काम के तनाव से परेशान GM ले रहे VRS
भोपाल. प्रमोशन न मिलने से परेशान और सरकार के टारगेट पूरे करने के लिए कलेक्टरों की फटकार से आहत प्रदेश में सूक्ष्म मध्यम और लघु उद्योग विभाग में पदस्थ महाप्रबंधक और सहायक महाप्रबंधक स्तर के अफसरों का नौकरी से मोह भंग होने लगा है। इस विभाग के अधिकारी काम के तनाव से परेशान होकर समय पर रिटायर होने के बजाय पहले ही रिटायरमेंट ले रहे हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में तीन अधिकारी VRS ले चुके हैं जबकि दो ने आवेदन कर दिया है।
चालू वित्त वर्ष में सबसे पहले संजय पाठक ने 18 अप्रेल को VRS के लिए आवेदन किया। पाठक उपसंचालक के पद पर मुख्यालय में पदस्थ थे।
उन्होंने शीघ्र VRS की मांग की तो सरकार ने भी तीस अप्रेल को उनका VRS मंजूर कर दिया। इसके बाद छिंदवाड़ा में पदस्थ सुरेश कुमार मोहने का भी सरकार ने 400 किमी दूर तबादला कर दिया।
बताया गया कि मोहने शुरुआत से छिंदवाड़ा में पदस्थ थे और उन्हें उम्मीद थी कि प्रमोशन मिल जाएगा। जब प्रमोशन के चांस नहीं दिखे तो उन्होंने VRS के लिए आवेदन कर दिया और 31 जुलाई को रिटायर हो गए। नियमानुसार वे छह माह बाद रिटायर होने वाले थे। ऐसी ही स्थिति भोपाल में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन में पदस्थ अजय कुमार अग्रवाल के बारे में भी बताई जा रही है। उनका रिटायरमेंट दिसम्बर 2022 में था लेकिन उन्होंने 30 सितम्बर को VRS ले लिया।
इन्होंने किया VRS का आवेदन
विभागीय सूत्रों का कहना है कि दो अन्य अफसरों ने भी VRS के लिए आवेदन किया है। इसमें सिंगरौली के GM एआर मंसूरी और विदिशा के GM का नाम है। विदिशा GM का जनवरी 2023 में रिटायरमेंट है। वहीं दमोह के GM बीमार हैं और टारगेट से बचने के लिए वे VRS के लिए आवेदन करने की तैयारी कर रहे हैं।
2021 में लिया था आधा दर्जन अफसरों ने वीआरएस
विभागीय सूत्रों का कहना है कि 2021 में भी आधा दर्जन अफसरों ने VRS लेकर नौकरी छोड़ी है। इन सबके द्वारा भी प्रमोशन न मिलने और विभागीय टारगेट पूर्ति के लिए मिलने वाली फटकार व घर परिवार से दूर पोस्टिंग वजह बताई जा रही है। इन अधिकारियों का कहना है कि सरकार की गलती से प्रमोशन मिल नहीं रहा है और पोस्टिंग चार सौ से पांच सौ किमी दूर कर दी जाती है, इसलिए परिवार से दूर रहकर कलेक्टरों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की डांट खाने से बेहतर VRS लेना है।