Crowd With Nisha Bangre : निशा बांगरे के इस्तीफे के समर्थन में सड़कों पर जनसैलाब!
Batul : प्रशासन के द्वेषपूर्ण रवैये और दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही से परेशान होकर निशा बांगरे आज अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची। यहां उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम बैतूल के अपर कलेक्टर जयप्रकाश सरियाम को ज्ञापन दिया।
आज निशा बांगरे फिर प्रशासन पर हमलावर दिखी। उन्होंने कहा कि जैसे एक दिन में पत्र भेजकर कार्यक्रम में शामिल होने से रोका था, वैसे ही एक दिन में इस्तीफा स्वीकार करें अन्यथा आंदोलन होगा। वे बोली इसी कलेक्ट्रेट में रहते हुए कई गरीब, जरूरतमंद और पीड़ित लोगों को न्याय दिलाया था और उनके अधिकारों के लिए यहां बैठी थी। कभी सोचा भी नहीं था की स्वयं के अधिकारों के लिए ऐसे संघर्ष करना पड़ेगा। उन्होने बोला की दलित और महिलाओं पर पहले से ही अत्याचार कम नहीं थे और अब प्रशासनिक अत्याचार भी हो रहा है।
प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए निशा बांगरे ने कहा कि तीन दिन में इस्तीफा स्वीकार करें, अन्यथा आंदोलन होगा और हम अनशन पर बैठेंगे। यह प्रदेश ही नहीं अपितु देश में भी अपनी तरह का पहला मामला है जहां किसी प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को अपना इस्तीफा स्वीकार कराने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा है।
निशा बांगरे के इस्तीफे के प्रकरण में शासन द्वारा देर करने से बैतूल जिले के लोगों की जनभावनाएं उनसे लगातार जुड़ती जा रही है और उन्हें लोगों का जन समर्थन भी मिल रहा है। यदि निशा बांगरे के प्रकरण को और लंबा खींचा गया तो इससे लोगों के मन में आक्रोश बढ़ेगा। यदि यह आंदोलन वृहद रूप ले लेता है तो बीजेपी की शिवराज सरकार को प्रदेश में अन्य सीटों पर भी आदिवासी, दलित और महिला वोटों का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
निशा बांगरे ने क्यों इस्तीफ़ा दिया
अपने नए मकान के उद्घाटन अवसर पर आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना एवं भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करने से प्रशासन द्वारा रोके जाने से आहत निशा बांगरे ने 22 जून को अपना इस्तीफा देकर चर्चा में आई थी। तब से शासन लगातार उनके खिलाफ कार्यवाही करता नजर आ रहा है। पहले उनके अपने घर के उद्घाटन अवसर पर आयोजित 25 जून के कार्यक्रम में जाने से रोका गया था, भगवान बुद्ध की अस्थियों के साथ 11 देशों से अतिथि आए थे।
शासन के द्वारा एक महीने बाद भी उनका इस्तीफा स्वीकार न करने पर निशा बांगरे हाईकोर्ट गई थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद शासन ने उनके खिलाफ कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर विभागीय जांच शुरू कर दी और उसी का हवाला देकर उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया थाI इस्तीफे को लेकर शासन और प्रशासन पर हमलावर हुई निशा बांगरे ने सरकार पर कोर्ट को भी गुमराह करने का आरोप लगाया।