Deaf Wrestler : मूक-बधिर पहलवान ब्राजील में कुश्ती लड़ेगा

सब्जी का ठेला लगाकर, स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई भी कर रहा

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Indore : आर्थिक तंगी से जूझकर संघर्ष करने वाले शहर के मूक-बधिर पहलवान ने अपने परिवार और शहर का मान बढ़ाया है। जल्द ही वह ब्राजील में कुश्ती लड़ता नजर आएगा। आर्थिक परेशानियों के बावजूद इस पहलवान ने हार नहीं मानी और जीवन संघर्षों के बीच मेहनत में जुटा हुआ है।

इस मूक बधिर पहलवान का नाम राज वर्मा है, जो शहर में सब्जी का ठेला लगाता है। वह ब्राजील में कुश्ती लड़ेगा। मई माह में यह आयोजन होगा। राज की उम्र 24 वर्ष है। वह कुश्ती में जिला स्तर, राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार जीत चुका है। अपनी मेहनत के दम पर राज का चयन अंतरराष्ट्रीय मूक-बधिर कुश्ती ओलंपिक में हुआ है। यह ब्राजील में होगा, जिसमें राज अपनी कुश्ती कला की प्रतिभा दिखाएगा।

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ब्राजील में आयोजित ओलंपिक में राज 55 किलो ग्राम स्पर्धा में भाग लेगा। इसके लिए वह 5 अप्रैल को दिल्ली के लिए रवाना होगा। वहां एक महीने अन्य पहलवानों के साथ उसे भी स्पेशल ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके बाद 5 मई को वह टीम के साथ ब्राजील रवाना हो जाएगा। उसे खुशी है कि वह भारत की कुश्ती टीम में प्रतिनिधित्व कर रहा है और पूरा विश्वास है कि यहां भी वह अवार्ड हासिल करेगा।

माता-पिता नहीं

राज के माता-पिता का निधन हो चुका है। वह मालवा मिल की छोटी सी बस्ती शिवाजी नगर में रहता है और सब्जी का ठेला लगाकर जीवन यापन करता है। वह स्नातक प्रथम वर्ष की पढ़ाई भी कर रहा है। इसके साथ ही वह कुश्ती के लिए भी समय निकालता है। उसका छोटा भाई अमन भी मूक-बधिर है। एक बड़ा भाई ऋषभ है। मां संगीता व पिता कमल वर्मा पहले सब्जी का ठेला लगाकर जीवनयापन करते थे। तब राज भी उनके साथ व्यवसाय संभालने के साथ पढ़ाई भी कर रहा था। इस बीच मां की 2016 में व फिर 2020 में पिता की भी मौत हो गई। इसके बाद राज ने ही सब्जी का धंधा संभाला।

आजीविका का संकट

तीन महीने पहले नगर निगम द्वारा मालवा मिल सब्जी मंडी हटाने के बाद उसके सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है। राज की भाभी ममता के अनुसार राज को पहले हॉकी का शौक था, लेकिन ताऊ बंडू पहलवान कुश्ती के चैंपियन थे। इसके चलते उसके मन में भी कुश्ती के प्रति रुचि जागी और हॉकी छोड़कर 12 साल की उम्र से ही प्रैक्टिस करने लगा। इस दौरान उसने कई अवॉर्ड हासिल किए। इस बीच माता-पिता के निधन व कोरोना काल में भी उसने प्रैक्टिस जारी रखी।
राज की मां का सपना था कि वह कुश्ती में ही मुकाम हासिल करे। राज इसके लिए काफी समय से गोमती देवी व्यायाम शाला में प्रैक्टिस कर रहा है। उसने अभी तक राष्ट्रीय शालेय कुश्ती स्पर्धा में कांस्य पदक, 50 किलोग्राम वजन समूह में तीन राष्ट्रीय पदक जीते। इसमें एक स्वर्ण पदक है। जिला व राज्य स्पर्धा में 7 पदक हासिल किए हैं। उसके गुरु किशोर शुक्ला व सिराज अंसारी रहे हैं।