औद्योगिक क्षेत्रों में भवन निर्माण, पुनर्निमाण के आवेदन पर एक माह में फैसला नहीं तो डीम्ड परमीशन

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औद्योगिक क्षेत्रों में भवन निर्माण, पुनर्निमाण के आवेदन पर एक माह में फैसला नहीं तो डीम्ड परमीशन

भोपाल: प्रदेश में नगरीय सीमाओं से बाहर ग्रामीण अंचलों में बने उद्योग विभाग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में अब भवन निर्माण, पुनर्निमाण के लिए अधिकारियों ने एक माह में अनुमति नहीं दी या अनुमति से इंकार नहीं किया तो वहां डीम्ड परमीशन मानते हुए निर्माण शुरु किया जा सकेगा।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम के तहत इसके लिए अधिनियम में प्रावधान कर दिया है। अभी तक ग्रामीण अंचलों में स्थित औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशकों को भवन निर्माण करने, मौजूदा भवन में कोई परिवर्तन या परिवर्धन करने या किसी भवन का पुनर्निमाण करने की अनुमति लेने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। ग्रामीण अंचलों से पहले जिले में और फिर राज्य स्तर तक प्रस्ताव अनुमोदन के लिए जाते थे। इसके बाद अनुमति मिलती थी। इसमें अक्सर देरी होती थी। इसलिए अब पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने नियमों में ही यह प्रावधान कर दिया है। उद्योग विभाग द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र में प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम के ऐसे अधिकारी जो उस औद्योगिक क्षेत्र के प्रभारी है उन्हें नोडल अधिकारी बनाया गया है।

वहीं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र में औद्योगिक क्षेत्र के प्रभारी अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है। ये दोनो अधिकारी वहां स्थित औद्योगिक क्षेत्र में भवन निर्माण, पुनर्निमाण, भवन में किसी प्रकार के परिवर्तन, परिवर्धन के संंबंध में आवेदन प्राप्त होंने पर एक माह के भीतर उस आवेदन का निराकरण करेंगे। यदि आवेदन प्राप्त होंने के तीस दिन के भीतर कारण सहित ऐसी अनुमति देने से इंकार करने के आदेश जारी नहीं किए गए तो यह माना जाएगा कि अनुमति दे दी गई है और उस औद्योगिक क्षेत्र में भूमि, भवन के आवंटी वहां नया निर्माण, अतिरिक्त निर्माण, पुनर्निमाण का काम कर सकेंगे।

इसलिए पड़ी जरुरत-
ग्रामीण अंचलों में बने औद्योगिक क्षेत्रों में निवेशकों, उद्योगपतियों को नये निर्माण, अतिरिक्त निर्माण के लिए अनुमति लेने क्षेत्रीय अधिकारियों को आवेदन करना होता था। लेकिन जो अनुमतियां जारी होती थी वह राज्य स्तर से अनुमोदन के बाद जारी होती थी। इससे निवेश संबंधी गतिविधियों में भी देरी होती थी। औद्योगिक क्षेत्र में निर्माण संबंधी अनुमति जल्दी मिले और आगे की गतिविधियां जल्दी प्रारंभ हो सके इसके लिए उसी क्षेत्र के अधिकारी को इसके अधिकार देने और उसकी समयसीमा तय करना जरुरी था। अब इन सब पर एक माह में फैसला हो जाएगा। इससे प्रदेश में औद्योगिक निवेश गतिवविधियों में तेजी आएगी और इनमें बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने की संभावनाएं भी बढ़ेंगी।

फीस और प्रक्रिया में बदलाव नहीं-
ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग विभाग और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्रों में भवन निर्माण, पुनर्निर्माण या अतिरिक्त निर्माण के लिए अनुमति देने के लिए वही ंफीस देय होगी तथा वही प्रक्रिया होगी जो इन दोनो विभागों द्वारा अधिसूचित औद्योगिक क्षेत्र के लिए उनके द्वारा निर्धारित की गई है। अब इसके लिए अधिकारी तय हो जाने से अब निवेशक या उद्योगपति सीधे उनके पास आवेदन करेंगे और उसपर तीस दिन में फैसला भी हो जाएगा।