

‘दीपक’ ने फिर किया उजाला, उजागर किया नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि माफिया की भनक लगी तो उनकी कब्र खोदने में देरी नहीं होगी। एक स्थानीय विधायक की शिकायत को गंभीरता से लेकर नागरिक आपूर्ति निगम के जबलपुर के कारिंदों और माफियाओं की काली करतूत को उन्होंने उजागर कर यह साबित कर दिया है कि ‘दीपक’ है तो उजाला तो दिखेगा। फिर न शिक्षा माफिया बचेंगे और न नागरिक आपूर्ति निगम के साथ मिलकर काम करने वाले माफियाओं को बख्शा जाएगा। नागरिक आपूर्ति निगम के जिला प्रबंधक सहित 13 कर्मचारियों, 17 राइस मिलर्स और उपार्जन केंद्रों से जुड़ी सहकारी समितियों के 44 अधिकारी-कर्मचारी के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सराहनीय कार्य किया है। सरकार चाहे तो जबलपुर की तर्ज पर पूरे प्रदेश में इस तरह के माफियाओं की नब्ज टटोलकर नागरिक आपूर्ति निगम घोटाला रूपी मर्ज का स्थायी उपचार कर सकती है। क्योंकि नागरिक आपूर्ति निगम में व्यापक तौर पर गड़बड़ी और माफियागिरी के आरोप हमेशा लगते रहे हैं।
खैर अभी हम बात जबलपुर की करते हैं। यहां कलेक्टर दीपक सक्सेना ने मिलर्स द्वारा धान के परिवहन में की गई अफरातफरी के मामले में बड़ी कार्यवाही की है। 74 व्यक्तियों के विरुद्ध बारह थानों में बारह एफआईआर दर्ज कराई गई हैं।अंतर जिला मिलिंग के अंतर्गत दूसरे जिलों के मिलर्स द्वारा जिले के बाहर ले जाने की बजाय स्थानीय दलालों के माध्यम से धान बेच दी गई। धान परिवहन में दर्शाये गये वाहनों द्वारा लगाई गई 614 ट्रिप में से 571 का टोल नाकों पर कोई रिकार्ड नहीं मिला। 614 ट्रिप में से 307 ट्रिप फर्जी निकली। जांच में 55 कार,पिकअप वैन, ट्रेक्टर के रजिस्ट्रेशन नम्बर निकले। परिवहन में दर्शाये गये वाहनों में से 44 के फर्जी रजिस्ट्रेशन नम्बर निकले। एक-दो दिन के अंतराल में ही 86 वाहनों ने कई सारे फेरे लगा लिये। बहुत कम लोडिंग क्षमता वाले ऐसे 121 वाहनों का भी इस्तेमाल दर्शाया गया, जिनसे धान का परिवहन संभव ही नहीं है। 30 करोड़ 14 लाख 19 हजार 600 रुपये मूल्य की 1लाख 31 हजार 052 क्विंटल धान की हेराफेरी का प्रारंभिक अनुमान है। अपर कलेक्टर नाथूराम गोंड की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय जाँच समिति की रिपोर्ट पर कार्यवाही की गई। समिति ने कलेक्टर को 2510 पृष्ठों की जाँच रिपोर्ट सौंपी थी। इसके आधार पर ही धान घोटाले के आरोपियों पर कठोर कार्यवाही की गई है। 74 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक दिलीप किरार समेत 13 कर्मचारी,17 राइस मिलर और 44 सहकारी समितियों के अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। इन सभी पर धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र और अमानत में खयानत करने के आरोप हैं। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने 2510 पन्नों का एक विस्तृत प्रतिवेदन भी पेश किया है। इसमें आरटीओ टोल नाके से गुजरने वाली पर्ची और जीएसटी की जानकारी भी शामिल है। फर्जी रिलीज ऑर्डर के जरिए धान के परिवहन में गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। और इस तरह धान घोटाला कर माफियाओं और नागरिक आपूर्ति निगम के जबलपुर के अधिकारी-कर्मचारियों ने एक बार फिर साबित किया है कि देश में कितनी भी सख्ती हो लेकिन घोटाला करने वालों की मोटी चमड़ी दमड़ी के लिए घोटालों में हमेशा लिप्त रहेगी। इंदौर देश का स्वच्छतम शहर बन जाए, भोपाल देश की स्वच्छतम राजधानी का दर्जा हासिल कर ले, पर माफिया देश-प्रदेश को घोटालों की गंदगी में डुबोकर रखने से बाज नहीं आएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से यही अपेक्षा है कि ऐसे माफियाओं और उनके आकाओं को इतनी गहरी कब्र में दफन कर दें ताकि प्रदेश माफिया मुक्त हो जाए। एक ‘दीपक’ एक जिलें में उजाला कर सकता है, लेकिन पूरे प्रदेश को माफिया मुक्त करने का सपना मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की दृढ़ इच्छाशक्ति से ही सच हो सकता है। फिलहाल तो जबलपुर कलेक्टर ‘दीपक’ सक्सेना धान माफियाओं को सीखचों के पीछे पहुंचाने के भागीरथी प्रयास के लिए प्रेरणा बनकर सामने हैं…दूसरे जिलों के कलेक्टर ही प्रेरणा ले लें, तो मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का घोटाला मुक्त और माफिया मुक्त प्रदेश बनाने का सपना सच हो सकता है…।