Department of 3 Ministers Are Most Corrupt: घूसखोरी में मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का विभाग टॉप पर

जानिए क्या कहती है लोकायुक्त और EOW की रिपोर्ट

1808

भोपाल। लोकायुक्त और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने कोरोना काल 2021 में 341 भ्रष्ट अफसरों के नकाब उतारे। कोई रंगे हाथ धराया तो किसी के घर से अकूत संपत्ति का भांडाफोड़ किया। इसमें बड़ा खुलासा हुआ कि सबसे ज्यादा भ्रष्ट अफसर राजस्व विभाग के पकड़ाए हैं। यह विभाग मंत्री गोविदंसिंह राजपूत के पास है। जो सिंधिया के सबसे करीबी नेताओं में है। पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के विभाग के अफसर घूसखोरी और काली कमाई में नंबर 2 पर हैं। ये भी सिंधिया के खेमे से ही आते हैं। तीसरे नंबर पर नगरीय विकास विभाग का नंबर है जो कि शिवराज के करीबी भूपेंद्र सिंह के पास है।

2021 के दौरान मप्र में भ्रष्टाचार के मामले भी चार साल की तुलना में ज्यादा हुए हैं। लोकायुक्त पुलिस और EOW की रिपोर्ट यही कहती है। लोकायुक्त ने 250 और आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने 91 केस रजिस्टर्ड किए। 2020 में सिर्फ 118 मामले सामने आए थे। इस हिसाब से यह तीन गुना हो गए हैं।

टॉप 5 में गृह मंत्री की पुलिस शामिल

टॉप 5 में चौथे नंबर पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का विभाग रहा। वहीं सबसे ज्यादा करप्शन के मामले में प्रदेश के सातों संभाग में से इंदौर- जबलपुर टॉप पर रहे।

पड़ताल में सामने आया कि बीते साल लोकायुक्त पुलिस ने सबसे ज्यादा कार्रवाई की। 250 मामले दर्ज किए, इनमें ट्रैप के 200 मामले, आय से अधिक संपत्ति के 23 केस और पद के दुरुपयोग के 27 केस दर्ज किए गए। मौके से रिश्वत लेने के मामले में कुल 44.56 लाख रुपए जब्त हुए। वहीं छापा यानी कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में की गई कार्रवाई में 60 करोड़ 71 लाख से ज्यादा की जब्ती की गई। इसमें पटवारी, बाबू, नायब तहसीलदार, तहसीलदार से लेकर एसडीएम को ट्रैप किया गया।

वहींं, पंचायत विभाग में ट्रैप के दौरान सचिव, सरपंच रंगे हाथ पकड़ाए तो नगरीय निकाय में बाबू से लेकर जनपद के सीईओ तक रहे। पुलिस में आरक्षक से लेकर सब इंस्पेक्टर- थानेदार भी ट्रैप किए गए। इसके अलावा वन में फॉरेस्ट गॉर्ड से लेकर रेंजर तक धराए। हेल्थ में बाबू से लेकर डॉक्टर तो शिक्षा विभाग में शिक्षक से लेकर प्राचार्य व डीईओ के बाबू तक को पकड़ा गया।

सबसे ज्यादा मामले इंदौर-जबलपुर से पकड़े गए

लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई में बीते साल सबसे ज्यादा इंदौर-जबलपुर संभाग में करप्शन के मामले पकड़े गए। इंदौर में कुल 53 केस दर्ज हुए, इनमें 33 तो मौके पर पैसा लेते हुए ट्रैप किए गए थे। इसके बाद जबलपुर संभाग में 49 केस, यहां 41 मामले ट्रैप के थे। इसके अलावा रीवा में 33 में से 25 ट्रैप के। ग्वालियर में 31 केस में 27 ट्रैप के। सागर में 31 मामले में से 28 ट्रैप के थे। भोपाल में 29 केस में से 26 ट्रैप और उज्जैन में कुल 24 मामलों में 20 रंगे हाथ मौके से पकड़े गए थे।

ईओडब्ल्यू के कुल 91 केस में से जबलपुर और रीवा में 22-22 केस दर्ज किए गए। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर व उज्जैन में 11-11 केस रजिस्टर्ड हुए। इसके अलावा, सागर में तीन केस सामने आए।