

DGP Anurag Gupta’s Tenure Extension: केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने, भाजपा ने गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया
DGP Anurag Gupta: भारतीय पुलिस सेवा में 1990 बैच के IPS अधिकारी झारखंड के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता की नियुक्ति को लेकर केंद्र और राज्य सरकार आमने-सामने हो गए हैं।
झारखंड के DGP अनुराग गुप्ता का भाग्य राज्य पुलिस प्रमुख के रूप में, उनके बने रहने को लेकर केंद्र सरकार और झारखंड सरकार के बीच टकराव के कारण अधर में लटका हुआ है। गुप्ता का कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त होने वाला है और राज्य सरकार द्वारा उनके कार्यकाल को बढ़ाने के ताजा फैसले पर विवाद की एक नई लहर चल पड़ी है।
झारखंड सरकार द्वारा अनुराग गुप्ता को रिटायरमेंट के बाद भी DGP बनाए रखने के फैसले पर अब केंद्र सरकार ने सवाल उठाए हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर अनुराग गुप्ता को रिटायरमेंट की तारीख के बाद भी DGP बनाए रखने के फैसले को गलत बताया है।
झामुमो सरकार ने 26 जुलाई 2024 को नियमित DGP अजय सिंह को उस पद से हटाते हुए गुप्ता को कार्यवाहक DGP नियुक्त किया था। बाद में राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने गुप्ता को हटा दिया और उनकी जगह अजय सिंह को नियुक्त किया। लेकिन चुनावों के बाद हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने पर गुप्ता को 28 नवंबर 2024 को DGP के पद पर बहाल कर दिया गया।
गुप्ता की नियुक्ति को औपचारिक रूप देने के लिए राज्य सरकार ने DGP नियुक्तियों की प्रक्रिया को रेखांकित करने वाला एक नियम बनाया और अनुराग गुप्ता को राज्य के स्थायी DGP के रूप में अधिसूचित किया। नियम के अनुसार, DGP का कार्यकाल दो साल का होना चाहिए। गुप्ता का कार्यकाल 26 जुलाई, 2026 तक बढ़ाया जाना है।
लेकिन केंद्र सरकार इस व्यवस्था से नाराज है और इसलिए उसने हस्तक्षेप करने का फैसला किया है। अगर केंद्र सरकार की बात मानी गई तो गुप्ता का कार्यकाल 30 अप्रैल 2025 को खत्म हो सकता है। अब इस स्थिति का नतीजा राज्य सरकार के अगले कदम पर निर्भर करेगा।
दूसरी ओर, झारखंड भाजपा इकाई ने गुप्ता की नियुक्ति को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। याचिका में 2006 के प्रसिद्ध प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का घोर उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य सरकार ने “गुप्ता को मनमाने ढंग से नियुक्त किया है, जिनका नाम यूपीएससी द्वारा अनुशंसित किसी भी पैनल में शामिल नहीं था।”
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही सुनवाई चल रही है और झारखंड हाई कोर्ट ने भाजपा की याचिका पर सुनवाई के लिए 16 जून की तारीख तय की है। लेकिन इस पूरे विवाद से उपजा बड़ा मुद्दा राज्य सरकार के शीर्ष नौकरशाह का कार्यकाल बढ़ाने के फैसले की वैधता के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय के रुख से जुड़ा है।