

Dhar Bhojshala Case : सुप्रीम कोर्ट में भोजशाला मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी को!
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की पीठ में होगी!
धार से वरिष्ठ पत्रकार छोटू शास्त्री की रिपोर्ट
Dhar : यहां की विवादास्पद भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी। याचिकाकर्ता के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने फैसले पर स्थगन लगा दिया और अब 17 फरवरी को स्टे को लेकर सुनवाई होगी। भोजशाला में एएसआई द्वारा किए सर्वे की 2000 पेज की रिपोर्ट इंदौर हाई कोर्ट में जमा की गई थी। ये सर्वे 98 दिनों तक चला था। मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने एएसआई को अपनी विस्तृत सर्वेक्षण रिपोर्ट जमा करने के लिए दस दिन का अतिरिक्त समय दिया था।
भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होना है। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की पीठ में होगी। एक अहम घटनाक्रम में शीर्ष अदालत की दो जजों की खंडपीठ ने निर्देश दिए। इसके मुताबिक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने परिसर में सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया। हालांकि, अब इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, इसे प्रधान न्यायाधीश न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना की पीठ के समक्ष रखा जाएगा।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ऐसे कई मामलों की सुनवाई कर रही है, जिनमें उपासना स्थल कानून, 1991 को चुनौती दी गई है। हालांकि, वकील विष्णु शंकर जैन सहित प्रतिवादियों के वकीलों ने दावा किया कि उपासना स्थल अधिनियम के मामले में दिया गया आदेश इस मामले के आड़े नहीं आता। क्योंकि, भोजशाला परिसर एएसआई की ओर से संरक्षित स्थल है। हालांकि, पीठ इससे सहमत नहीं हुई और उसने मुख्य न्यायाधीश से इस मामले को संबंधित मामलों के साथ जोड़ने के लिए उचित आदेश मांगा।
अदालत का फरमान, कोई उत्खनन नहीं होगा
सुनवाई के दौरान भोजशाला परिसर स्थल पर उत्खनन के खिलाफ न्यायालय के पहले के अंतरिम आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाने वाली अवमानना याचिका के संदर्भ में जस्टिस रॉय ने कहा कि यदि प्रतिवादी इस बात पर दबाव डालना चाहते हैं, तो हम अवमानना मामले को उठाते हैं। हमने कुछ तस्वीरें देखी हैं। अंतरिम आदेश में हमने कहा था कि कोई उत्खनन नहीं किया जाएगा। हम तस्वीरों से पाते हैं कि कुछ उत्खनन चल रहा है। क्या आप प्रस्तावित अवमाननाकर्ताओं की ओर से नोटिस स्वीकार कर रहे हैं। जब अधिवक्ता जैन ने ऐसा नहीं करने का आग्रह किया तो पीठ ने मामले को सीजेआई संजीव खन्ना के समक्ष रखने का निर्देश देने वाला आदेश पारित किया।
क्या है भोजशाला विवाद
भोजशाला मामले में ताजा विवाद की शुरुआत 1995 में हुई, जब हिंदुओं ने यहां पूजा की अनुमति मांगी। इसके बाद प्रशासन ने हिंदुओं का पूजा करने की इजाजत दी, साथ ही मुसलमानों को शुक्रवार को नमाज पढ़ने की भी अनुमति भी मिली। हालांकि 1997 में विवाद एक बार फिर से बढ़ गया। इसके बाद 12 मई 1997 को यहां आम नागरिकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हिंदुओं को केवल वसंत पंचमी पर पूजा की अनुमति मिली और मुसलमानों को शुक्रवार को एक से 3 बजे के बीच नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई। इसके बाद साल 2003 में फिर से नियमित पूजा की अनुमति मिली और पर्यटकों के लिए भी भोजशाला को खोल दिया गया।