Diamond Merchant has a Unique Story : स्टॉफ को कार और फ्लैट देने वाले हीरा कारोबारी के बेटे की शादी में PM शामिल हुए!

इस बार भी सावजीभाई कोई बड़ा सरप्राइज देने का प्लान कर रहे!

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Diamond Merchant has a Unique Story

Diamond Merchant has a Unique Story : स्टॉफ को कार और फ्लैट देने वाले हीरा कारोबारी के बेटे की शादी में PM शामिल हुए!

Surat : अपने कर्मचारियों को समय-समय पर कार, फ्लैट और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की गिफ्ट देने वाले सावजीभाई ढ़ोलकिया के बेटे द्रव्य ढोलकिया और जान्हवी शादी के बंधन बंध गए। दोनों की शादी गुजरात के दुधाला में ‘हेत नी हवेली’ में हुई। शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए और नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद दिया।

सूरत के बड़े हीरा कारोबारी और ‘हरि कृष्णा ग्रुप’ के संस्थापक और अध्यक्ष सावजी ढोलकिया ने कहा कि जब वे प्रधानमंत्री से दिल्ली में मिले थे तो उन्होंने उन्हें शादी में आने के लिए आमंत्रित किया था। जब द्रव्य और जान्हवी जीवन की नई शुरुआत कर रहे हैं तो हम बेहद भाग्यशाली महसूस करते हैं कि नरेंद्र मोदी भी इस खुशी के क्षण में हमारे साथ शरीक हुए। उनकी उपस्थिति ने हमारे परिवार को कृतज्ञता और गर्व से भर दिया।

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इंस्टाग्राम पर हीरा कारोबारी ने

लिखा कि यह ऐसा दिन है, जिसे हम हमेशा याद रखेंगे। यह उन मूल्यों की याद दिलाता है, जिन्हें हम प्यार, एकता और परंपरा के रूप में मानते हैं। एक अलग पोस्ट में उन्होंने लिखा कि 7 साल बाद यह शादी हुई। जब हम दिल्ली में नरेंद्र मोदी से मिले थे तो हमने उन्हें दुधला गांव में भारतमाता सरोवर का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया था। हमने उन्हें दो अवसरों के लिए आमंत्रित किया था। एक सरोवर उद्घाटन के लिए और दूसरा शादी के लिए।

कौन हैं ये हीरा कारोबारी 

सावजी ढोलकिया को ऐसे हीरा कारोबारी के रूप में जाना जाता है, जो हर साल अपने कर्मचारियों को महंगी कार, फ्लैट और फिक्स्ड डिपॉजिट सहित कई लग्जरी चीजें गिफ्ट करते हैं। इस साल उनकी हीरा कंपनी ने दिल्ली में अपने कर्मचारियों को 600 कारें गिफ्ट दी हैं। साल 1992 में सावजी धनजी ने अपने तीन भाइयों के साथ मिलकर सूरत में हरि कृष्णा एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की थी। आज इस कंपनी में 6500 से ज्यादा कर्मचारी हैं।

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अपने कुछ खास कर्मचारियों को मर्सिडीज जैसी महंगी कारें भी दी, जिसकी कीमत एक करोड़ रुपये तक है। सावजीभाई का मानना है कि एक कर्मचारी के लिए पहले कार का तोहफा उसकी जिंदगी में एक बड़ी उपलब्धि होती है। यह उसे और भी बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करता है। इस बार भी सावजीभाई कोई बड़ा सरप्राइज देने का प्लान कर रहे हैं।

इस ‘डायमंड किंग’ की कहानी भी अनोखी

गुजरात के एक छोटे से गांव दुधाला में जन्मे सावजीभाई ढोलकिया की कहानी किसी सपने जैसी लगती है। गरीब किसान परिवार में जन्मे सावजीभाई के पास न तो खास पढ़ाई थी और न किसी बड़े शहर का अनुभव। पर, उनके अंदर एक जुनून था, कुछ बड़ा करने का, अपनी पहचान बनाने का। ये वही जुनून था जिसने उन्हें एक साधारण मजदूर से ‘डायमंड किंग’ बना दिया। अब उनकी मेहनत का यह साम्राज्य ₹12 हजार करोड़ के करीब पहुंच चुका है।

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₹12 सपनों में रंग भरने आए थे सूरत 

1977 में, सावजीभाई ढोलकिया ने 12 रुपये लेकर अपने गांव दुधाला से सूरत का रुख किया। उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की। सिर्फ चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए थे। सूरत में मामाजी के यहां रहते हुए उन्होंने हीरे की चमक में अपना भविष्य देखा और इसे अपनी जिंदगी बनाने की ठानी। मामाजी ने उन्हें एक डायमंड फैक्ट्री में काम दिलवाया जहां उनकी पहल सैलरी थी ₹179 जो जिंदगी चलाने के लिए ₹140 खर्च कर, सावजीभाई 39 रुपये बचाते थे।

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यह रकम छोटी थी, पर इसके पीछे उनका सपना बड़ा था धीरे-धीरे उन्होंने डायमंड पॉलिशिंग के गुण सीखे और एक दोस्त से कारीगरी में माहिर हुए। लगभग 10 साल तक कड़ी मेहनत करते हुए उन्होंने अपने काम में महारत हासिल की। सन 1984, उनके जीवन में बड़ा मोड़ लेकर आया। अपने भाइयों हिम्मत और तुलसी के साथ मिलकर उन्होंने ‘हरी कृष्णा एक्सपोर्ट्स’ नाम की एक कंपनी की शुरुआत की। जिस फैक्ट्री में कभी सावजीभाई काम करते थे, अब वो उनका खुद का कारोबार बन चुका था। आज उनकी कंपनी न सिर्फ डायमंड बल्कि टेक्सटाइल के क्षेत्र में भी नाम कमा रही है। 6,000 से ज्यादा कर्मचारी उनकी कंपनी का हिस्सा हैं।

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मजदूरी के लिए बेटे और पोते को दूर भेजा

सावजीभाई की नेट वर्थ भले ही करोड़ों में हो, लेकिन इन्होंने विदेश से पढ़कर लौटे पोते और बेटे को गुमनामी और आम जिंदगी जीने के लिए अपने शहर से दूर मजदूरी के लिए भेज दिया। साल 2017 में उन्होंने अपने बेटे हितार्थ को महज 500 के मामूली रकम के साथ हैदराबाद भेजा। यह कहानी यहीं नहीं रुकती। उन्होंने अपने पोते रुबिन को भी कठिनाइयों का सामना करने का सबक सिखाने के लिए ₹6000 की मामूली रकम के साथ चेन्नई भेजा।

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दोनों लोगों को अपनी पहचान छुपाने का आदेश था। सावजीभाई का मानना है कि जीवन के असली सबक स्कूल या कॉलेज नहीं, बल्कि जिंदगी के अनुभव से मिलते हैं। वहां उन्होंने जो सबक सीखे, वो उन्हें सावजीभाई का उत्तराधिकारी बनने में काम आएंगे।