

Digitization of Documents : इंदौर नगर निगम की फाइलों और दस्तावेजों को डिजिटलाइज करने का काम शुरू!
अब दस्तावेजों के खोने या चोरी जाने का खतरा नहीं होगा!
Indore : मध्यप्रदेश के सबसे बड़े नगर निगम में सरकारी ठेके की फाइलें और जरूरी दस्तावेजों के हेर फेर से अब मुक्ति मिलेगी। नगर निगम ने अपनी तमाम फाइलें और जरूरी दस्तावेजों को डिजिटल फॉर्मेट में संरक्षित करने का काम शुरू कर दिया। यह पहला मौका है जब प्रदेश की किसी नगर निगम की सभी फाइलें डिजिटल रूप में तैयार की जा रही हैं।
इसके पीछे बड़ी वजह नगर निगम के रिकॉर्ड से दस्तावेजों और फाइलों का गायब होना है। हाल ही में यहां हुए करीब 90 करोड़ रुपए के भुगतान घोटाले में 174 फाइलों की ऑरिजिनल कॉपी नगर निगम के पास भी उपलब्ध नहीं है। फिलहाल इंदौर पुलिस केवल 48 फाइलों में दर्ज 31 करोड़ के घोटाले की ही जांच कर रही है। इंदौर मध्यप्रदेश की पहली नगर निगम है, जो अपने सभी दस्तावेजों को डिजिटलाइज करने पर काम कर रही है। इन दिनों नगर निगम के सभी विभागों के प्रमुख दस्तावेज बुलाकर उन्हें डिजिटल फॉर्मेट में तैयार करवाया जा रहा है। लिहाजा नगर निगम प्रशासन ने सभी विभागों को जरूरी दस्तावेज के डिजिटलाइजेशन करने के निर्देश दे रखे हैं।
एक करोड़ दस्तावेजों का डिजिटली रिकॉर्ड बनेगा
नगर निगम के डिजिटलाइजेशन के तहत नगर निगम के लगभग एक करोड़ दस्तावेजों को स्कैन कर डिजिटल फॉर्मेट में सहेजा जाएगा। इससे न केवल दस्तावेजों की सुरक्षा होगी, बल्कि लोगों को भी आसानी से दस्तावेज प्राप्त करने में मदद मिलेगी। लोगों को दस्तावेज प्राप्त करने के लिए नगर निगम के चक्कर नहीं लगाना पड़ेंगे। बगैर आवेदन ही वे एक क्लिक पर दस्तावेज प्राप्त कर सकेंगे।
इसलिए हो रहा डिजिटलाइजेशन
गौरतलब है कि इंदौर नगर निगम में जल कार्य विभाग में फर्जीवाड़े के आरोप लगे थे। यहां फर्जी ठेकों के जरिए पांच ठेका फर्मों द्वारा अवैध तरीके से भुगतान करवा लिया गया था। इन ठेकेदारों ने न केवल नकली फाइल बनाई, बल्कि नकली फाइल में भी अधिकारियों के नकली हस्ताक्षर के जरिए करोड़ों रुपए का भुगतान नगर निगम से ले लिया था, जिसकी जांच अभी भी जारी है।