
डिण्डोरी में बैगा जमीन घोटाला: 1200 एकड़ की बेनामी खरीद पर सरकार की जांच रफ्तार पर उठे सवाल
Dindori: जिले की बजाग तहसील में लगभग 1200 एकड़ बैगा आदिवासी जमीन की बेनामी खरीद का बड़ा मामला सामने आने के बाद भी सरकारी मशीनरी की कार्रवाई बेहद धीमी है। मुख्यमंत्री कार्यालय और जनजातीय कार्य विभाग द्वारा उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए गए हैं, लेकिन कलेक्टर स्तर पर शुरुआती कार्रवाई अभी भी विभागीय प्रक्रियाओं की धीमी लय में अटकी हुई है। इससे शासन की नीयत और सिस्टम की संवेदनशीलता दोनों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
▪️कानून के बावजूद PVTG इलाके में जमीन कैसे बिकी?
▫️PVTG (विशेष रूप से संरक्षित जनजाति) बैगा समुदाय के लिए भूमि खरीदी–फरोख्त पर पूर्ण प्रतिबंध है। इसके बावजूद बजाग में लगभग 1200 एकड़ भूमि बेनामी सौदों के जरिए बिक जाना सिर्फ स्थानीय स्तर की चूक नहीं, बल्कि प्रशासनिक और राजनीतिक स्तर पर संगठित मिलीभगत की ओर इशारा करता है। इस घोटाले से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि कई वर्षों तक भूमाफिया और उनके संरक्षणकर्ताओं ने कानूनी प्रावधानों की खुली अनदेखी की।

▪️पीड़ित आदिवासियों की जमीन बचाने के बजाय केस विलोपित करने की कोशिश?
▫️जिन बैगा परिवारों के हितों की रक्षा के लिए राज्य और केंद्र सरकार ने कड़े कानून बनाए हैं, उन्हीं की जमीन पर कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई तो शुरू हुई है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार कुछ मामलों को विलोपित करने की तैयारी भी अंदर ही अंदर चल रही है। यदि ऐसा होता है, तो यह घोटाले को दबाने और दोषियों को बचाने की कोशिश मानी जाएगी।

▪️‘सिस्टम खुद अपराध पर पर्दा डाल दे तो न्याय कौन दिलाएगा?’ — डॉ. हिरालाल अलावा
▫️मनावर विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने इस पूरे मामले को शासन–प्रशासन की नाकामी बताया है। उन्होंने कहा कि जब प्रतिबंधित क्षेत्र में हजारों एकड़ आदिवासी जमीन बिक जाती है और कार्रवाई की रफ्तार कछुए से भी धीमी रहती है, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि संगठित अपराध पर सरकारी मौन का संकेत है। उन्होंने मांग की कि जांच सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि दोषियों की पहचान और उनकी भूमिका उजागर करने तक सीमित न रहकर कठोर कार्रवाई तक पहुंचनी चाहिए।






