Discord in Vashisht Family : पूर्व विधायक महावीर प्रसाद वशिष्ठ को बेटे ने MIT से बेदखल किया!
उज्जैन से सुदर्शन सोनी की रिपोर्ट
Ujjain : कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी और बाएं हाथ माने जाने वाले पूर्व विधायक महावीर प्रसाद वशिष्ठ को उनके ज्येष्ठ पुत्र ने संपत्ति विवाद के चलते अपने संस्थान एमआईटी (महाकाल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) से बाहर का रास्ता दिखा दिया। उज्जैन के राजनीतिक रसूखदार माने जाने वाले वशिष्ठ परिवार की भीतरी पारिवारिक कलह आज खुलकर सामने आ गई।
महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने आरोप लगाया कि उनके बड़े बेटे प्रवीण वशिष्ठ ने न केवल उन्हें बल्कि उनके छोटे बेटे राजेंद्र वशिष्ठ तथा आलोक वशिष्ठ को MIT संचालक मंडल से बेदखल कर दिया। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि प्रवीण ने करोड़ों की संपत्ति का घोटाला किया और एमआईटी कॉलेज की करोड़ों की आय को बोगस संस्थाओं में निवेश किया। वशिष्ठ ने बताया कि एमआईटी जो कि ग्राम दताना में स्थित है, उस पर उनके बड़े बेटे प्रवीण वशिष्ठ ने क़ब्ज़ा जमा लिया। जबकि, मैं इस संस्थान का संस्थापक हूं।
उन्होंने कहा कि प्रवीण ने हमारे साथ छल करते हुए मुझे एमआईटी से निष्काषित कर दिया। इसके अलावा मेरे दोनों बेटे तथा उनकी पत्नियों को भी संचालक मंडल से बाहर कर दिया है। उन्होंने अपने बड़े बेटे प्रवीण वशिष्ठ (पप्पू) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि हमारे फ़्रीगंज क्षेत्र में करोड़ों रुपए मूल्य के दो मकान थे। प्रवीण ने उन्हें भी बेच दिया। अब हम लोग इस संबंध में सभी क़ानूनी विशेषज्ञों की राय लेकर कार्रवाई करने जा रहे हैं। महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने बताया कि हमारे साथ आपराधिक साज़िश रचकर षड्यंत्र किया गया और वशिष्ठ परिवार के सदस्यों को बाहर किया गया।
उन्होंने प्रवीण वशिष्ठ पर आर्थिक अनियमितता के अलावा और भी कई गम्भीर आरोप लगाए। 88 वर्षीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अत्यंत करीबी रहे वशिष्ठ ने बताया कि एमआईटी कॉलेज में कार्यरत माला अग्रवाल (लड्डा) कॉलेज का एक खाता जिसका सारा ट्रांजेक्शन उक्त महिला द्वारा किया जाता है।
यह भी बताया गया कि महाकाल इंस्टीट्यूट् ऑफ़ टेक्नॉलाजी पर 27 करोड़ रुपए की बैंक की देनदारी थी जिसे पिछले दिनों वशिष्ठ परिवार की 40 बीघा ज़मीन बेचकर अदा किया। इसके बाद ही परिवार के सदस्यों को एमआईटी से बाहर किया गया। महावीर प्रसाद वशिष्ठ ने कहा कि परिवार कि बदनामी न हो इसलिए में लंबे समय तक चुप रहे, लेकिन अब मेरे सामने कोई रास्ता नहीं बचा।