डॉ. जलज की पुस्तक ने विक्रय के नए कीर्तिमान स्थापित किए!

'भगवान महावीर का बुनियादी चिंतन' पुस्तक की 1 लाख से अधिक प्रतियां बिकी!

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डॉ. जलज की पुस्तक ने विक्रय के नए कीर्तिमान स्थापित किए!

शहर के साहित्य को मिला गौरव!

रतलाम। वरिष्ठ भाषाविद, चिंतक, लेखक डॉ. जयकुमार ‘जलज’ की पुस्तक “भगवान महावीर का बुनियादी चिंतन” ने विक्रय के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस पुस्तक की अब तक 1 लाख से अधिक प्रतियां विक्रय की जा चुकी हैं। पुस्तक के 58 संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं और यह पुस्तक 10 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी है। डॉ. जलज की पुस्तक के इस कीर्तिमान से रतलाम का साहित्य जगत गौरवान्वित हुआ है।

भगवान महावीर के जीवन दर्शन पर केंद्रित इस महत्वपूर्ण पुस्तक को सर्वप्रथम मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने वर्ष 2002 में प्रकाशित किया था। भगवान महावीर के 25 सौवें जयंती वर्ष में मध्यप्रदेश शासन द्वारा इस पुस्तक का विशेष रूप से प्रकाशन किया गया था। जिसका विमोचन समारोह भोपाल में किया गया था। अकादमी से इस पुस्तक के 24 संस्करण प्रकाशित हुए। यहीं से इसका सिंधी भाषा में अनुवादित संस्करण भी प्रकाशित हुआ। इसके पश्चात यह पुस्तक प्राकृत भारतीय प्रकाशन, हिंदी ग्रंथ कार्यालय मुंबई एवं विभिन्न भाषाई प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित की गई। इस पुस्तक के हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी, गुजराती, मराठी, सिंधी, बंगाली, तेलुगु, कन्नड़, पंजाबी, उर्दू सहित 10 भाषाओं में पुस्तक को अब तक अनुवादित कर प्रकाशित किया जा चुका है। यह पुस्तक न केवल लोकप्रिय हो रही है बल्कि भगवान महावीर के जीवन को समझने में कई महत्वपूर्ण स्थान पर उद्धृत भी की जा रही है।

‘निराला’ को अपनी कविता सुना चुके हैं ‘जलज’

डॉ जयकुमार ‘जलज’ महाकवि निराला, महादेवी वर्मा, हरिवंश राय बच्चन के दौर में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में रहे। वहां निराला को भी उन्होंने अपनी कविता सुनाई थी। इसके पश्चात मध्यप्रदेश के महाविद्यालयों में अध्यापन कराने के साथ रतलाम कालेज में प्राध्यापक एवं लम्बे समय तक प्राचार्य भी रहे हैं। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की है। इनमें ‘किनारे से धार तक’, ‘सूरज सी आस्था’, ‘संस्कृत नाट्यशास्त्र : एक पुनर्विचार’, ‘ध्वनि एवं ध्वनिग्राम शास्त्र’, ‘ऐतिहासिक भाषा विज्ञान’, ‘संस्कृत और हिंदी नाटक : रचना एवं रंगकर्म’, भगवान महावीर का बुनियादी चिंतन, ‘सेवा निवृत्त हैं- भजन में आइए’, ‘मैं प्राचार्य बना’ के अतिरिक्त संस्कृत, प्राकृत एवं अपभ्रंश से हिन्दी में कई पुस्तकों का अनुवाद भी किया है।

डॉ. जयकुमार ‘जलज’ को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। इनमें कामता प्रसाद गुरु पुरस्कार, विश्वनाथ पुरस्कार, मध्यप्रदेश सरकार भोज पुरस्कार, हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा साहित्य सारस्वत पुरस्कार सहित कई सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनकी इस उपलब्धि पर रतलाम के साहित्य जगत ने हर्ष व्यक्त किया है।