

डॉ. मोहन ने रखा नब्ज पर हाथ… जरूरी है ‘राजकीय सम्मान’ का साथ …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्यप्रदेश का स्थान अंगदान-देहदान के नक्शे पर अव्वल लाने के लिए अभी लंबा फासला तय करना है। डॉ. मोहन यादव ने नब्ज पर हाथ रखा और इस फासले की खाई को भरकर मध्यप्रदेश को अंगदान-देहदान में अव्वल होने की राह पर आगे बढ़ाने सही समय पर सही फैसला लिया है। अंगदान-देहदान में मध्यप्रदेश को कोसों मील की दूरी तय करनी है। यह माना जा सकता है कि अभी अंगदान-देहदान की सुगंध हम तक पहुंची ही है। अंग दान कई लोगों को जीवन देने का पुनीत कार्य के मामले में महादान है। मोहन यादव ने फैसला किया है कि राज्य सरकार अंग प्रत्यारोपण, अंग दान और देह दान जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करेगी। अंग दान की पूर्व सूचना देने वालों को राष्ट्रीय पर्व पर सम्मानित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने एम्स भोपाल में पहले हार्ट ट्रांसप्लांट से पुनर्जीवन प्राप्त करने वाले दिनेश मालवीय से कुशलक्षेम जानकर एम्स की टीम को सफल ट्रान्सप्लांट के लिए बधाई दी। वहीं अंगदान-देहदान के प्रोत्साहन और राजकीय सम्मान का फैसला कर पुनीत कार्य किया है।
एक साल पहले तक देहदान-अंगदान के आंकड़े प्रदेश की हकीकत को बयां कर रहे हैं। नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नोटो) के जनवरी से दिसंबर, 2023 के बीच देशभर में हुए अंग दान और अंग प्रत्यारोपण के आंकड़े मध्यप्रदेश में इसके प्रोत्साहन की जरूरत बता रहे हैं। देखा जाए तो 2024 में सामने आए इन आंकड़ों में मध्यप्रदेश ओझल ही है। देश में वर्ष 2013 में 4,990 अंग दान हुए थे जो लगातार बढ़ते हुए 2023 में 18,378 हो गए हैं। वर्ष 2023 में जीवित व्यक्ति के अंग दान के बाद प्रत्यारोपण के मामले में सबसे आगे दिल्ली रहा। यहां 4,275 अंग प्रत्यारोपित हुए। इसके बाद तमिलनाडु में 1,833, महाराष्ट्र में 1,493, केरल में 1,376 और बंगाल में 1,021 अंग प्रत्यारोपित हुए। ब्रेन डेथ लोगों के अंग दान के मामले में सबसे आगे तेलंगाना है। हालांकि, इनके अंगों के प्रत्यारोपण तमिलनाडु में सर्वाधिक 595 किए गए। इसके बाद क्रमश: तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात हैं। जिन राज्यों में प्रत्यारोपण की सुविधाएं कम हैं वे पिछड़े हैं। मध्य प्रदेश में आंकड़े जारी होने की स्थिति में कुल 60 ब्रेन डेथ अंग दान हुए हैं।
इसी स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि वर्तमान युग में अंग प्रत्यारोपण, अंग दान, देह दान जैसी गतिविधियों को प्रोत्साहित करना आवश्यक है। एक देह दान से लगभग 9 डॉक्टर्स को चिकित्सा संबंधी कई बारीकियों को व्यावहारिक रूप से सीखने में सहायता मिलती है। चिकित्सा शिक्षा के उद्देश्य से मेडिकल कॉलेजों के साथ आयुर्वेदिक महाविद्यालयों में भी पार्थिव देह की आवश्यकता होती है। राज्य शासन द्वारा देह दान के लिए परिवारों में जागरूकता लाने और उन्हें इस पुनीत कार्य के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। देह दान की पूर्व सूचना देने वालों को राज्य शासन की ओर से सम्मानित किया जाएगा। अंतिम संस्कार के लिए गृह विभाग से समन्वय कर उपयुक्त व्यवस्था की जाएगी। अंग दान की पूर्व सूचना देने वाले व्यक्तियों को 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर सम्मानित किया जाएगा। ऐसे जिन व्यक्तियों के पास अनुष्मान कार्ड नहीं हैं, उनके आयुष्मान कार्ड बनवाए जाएंगे। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में अंग दान और अंग प्रत्यारोपण की स्थिति बने इस उद्देश्य से आवश्यक प्रयास किए जाएंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लोक स्वास्थ्य, राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। इस उद्देश्य से ही लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग का एकीकरण किया गया।ो उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रोत्साहन के फैसले को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि देह दान करने वाले नागरिकों का सम्मान करने की मुख्यमंत्री की पहल समाज के लिए प्रेरणादायक कदम है। देह दान और अंग दान जीवन का सबसे महान दान है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह निर्णय निश्चित ही अधिक से अधिक लोगों को अंग दान और देह दान के लिए प्रेरित करेगा। इससे अनेक लोगों को नया जीवन प्राप्त होगा। यह पहल चिकित्सा सेवा क्षेत्र को नई दिशा प्रदान करेगी, साथ ही समाज में मानवता एवं सेवा के मूल्यों को भी प्रोत्साहित करेगी।
तो यह अपेक्षा की जा सकती है कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव का अंगदान-देहदान की कमजोर नब्ज पर हाथ रख कर प्रोत्साहन का फैसला स्वास्थ्य एवं चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। राजकीय सम्मान अंगदान-देहदान के महान कार्य में मध्यप्रदेश को शिखर की राह दिखाए, यही कामना है…।