
Dr. Salim Ali: भारत के अमर पक्षी-ऋषि — विज्ञान, संस्कार और आनंद का संगम
डॉ. तेज प्रकाश व्यास
भारत की इस दिव्य भूमि ने ऐसे महामानवों को जन्म दिया, जिन्होंने विज्ञान, प्रकृति और अध्यात्म — तीनों को एक अद्वितीय सूत्र में बाँध दिया। इन्हीं में से एक महान विभूति हैं डॉ. सलीम मोइजुद्दीन अब्दुल अली, जिन्हें स्नेहपूर्वक “Birdman of India” कहा जाता है।
उन्होंने भारतीय पक्षी विज्ञान को वह पहचान दी, जिसने भारत को वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक चेतना और पर्यावरणीय अध्ययन की अग्रणी धारा में खड़ा कर दिया। उनका जीवन इस तथ्य का जीवंत प्रमाण है कि —
“प्रकृति को जानना, ईश्वर के साक्षात दर्शन करना है।”
प्रकृति के प्रति निष्ठा और ज्ञान का आकाश
डॉ. अली का सम्पूर्ण जीवन प्रकृति उपासना का रूप था।
उन्होंने यह दिखाया कि विज्ञान केवल प्रयोग नहीं, बल्कि संवेदना का अनुशासन है।
भारत के उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण के केरल तक, पूर्वोत्तर के दलदली मैदानों से लेकर पश्चिमी मरुस्थल तक — उन्होंने पक्षियों के आवास, प्रवास, प्रजनन और व्यवहार का गहन अध्ययन किया।
उन्होंने भारत का पहला व्यापक पक्षी सर्वेक्षण किया, जिसने आने वाली पीढ़ियों के लिए पक्षी संरक्षण की आधारशिला रखी।
उनकी दृष्टि में —
“हर पक्षी प्रकृति का संदेशवाहक है; उसकी चहक पृथ्वी की धड़कन है।”
ज्ञान के अमर ग्रंथ: जहाँ विज्ञान और काव्य एक हो गए
डॉ. अली का लेखन विज्ञान की निष्ठा और साहित्य की भावनात्मक गहराई दोनों से ओतप्रोत है।
“The Book of Indian Birds” — भारत में पक्षी दर्शन का प्रथम लोकप्रिय वैज्ञानिक ग्रंथ, जिसने जनमानस को आकाश देखने की प्रेरणा दी।
“Handbook of the Birds of India and Pakistan” (सहलेखक: स. डिलन रिपली) — नौ खंडों का यह विश्वकोश दक्षिण एशिया की जैव विविधता का अनुपम साक्ष्य है।
“The Fall of a Sparrow” — आत्मकथा, जो एक वैज्ञानिक के अंतर्मन की प्रकृति यात्रा का काव्यात्मक चित्रण है।
“Indian Hill Birds” और “Common Birds” — पर्वतीय और सामान्य पक्षियों की पहचान के उत्कृष्ट ग्रंथ, जिन्होंने हर भारतीय को पक्षी-दर्शन का आनंद दिया।
उनका लेखन यह सिखाता है कि वैज्ञानिक ज्ञान तभी शुद्ध होता है जब उसमें सौंदर्य, करुणा और सत्य का समन्वय हो।
पक्षी: जीवन के प्रहरी, पर्यावरण के रक्षक
पक्षी प्रकृति की सजीव आत्मा हैं।
वे पर्यावरणीय संतुलन के स्तंभ हैं —
*परागण में सहयोगी,
*कीट नियंत्रण में रक्षक,
*बीज वितरण में वाहक,
*और पर्यावरण की शुद्धता के प्रहरी।
उनके बिना पारिस्थितिकी तंत्र अधूरा है।
जहाँ पक्षी हैं, वहाँ हरियाली है; जहाँ हरियाली है, वहाँ जीवन है।
संरक्षण की वैश्विक चेतना: भारत की भूमिका
डॉ. अली के प्रयासों से भारत ने अंतरराष्ट्रीय पक्षी संरक्षण में अग्रणी स्थान प्राप्त किया।
उनकी प्रेरणा से कई पक्षी अभयारण्यों की स्थापना हुई
भरतपुर का घना पक्षी विहार, चिलिका झील, लोकटक झील, सुंदरबन आदि आज रामसर साइट्स के रूप में विश्व धरोहर हैं।
उन्होंने नीति-निर्माताओं को यह बोध कराया कि पक्षियों की रक्षा पर्यावरण की रक्षा का प्रथम सूत्र है।
उनके अनुसार —
“प्रकृति का संतुलन तभी संभव है, जब मनुष्य अपनी सीमाओं का सम्मान करे
पक्षी दर्शन: आत्मा और स्वास्थ्य का अमृत योग
डॉ. सलीम अली कहते थे —
“जो व्यक्ति पक्षियों को प्रेम से देखता है, वह अपने भीतर के ईश्वर को देखना सीख जाता है।”
आधुनिक विज्ञान ने सिद्ध किया है कि प्रकृति और पक्षी दर्शन मनुष्य के मस्तिष्क में सेरोटोनिन, डोपामाइन और ऑक्सिटोसिन जैसे “आनंद हार्मोन्स” को सक्रिय करता है।
पक्षियों की चहक और उड़ान तनाव को घटाकर मानसिक शांति प्रदान करती है, हृदय स्वास्थ्य सुधारती है और जीवन की गुणवत्ता बढ़ाती है।
अतः Birdwatching केवल शौक नहीं, बल्कि मानव मन और शरीर की प्राकृतिक चिकित्सा है —
एक ऐसा योग, जो हमें आत्मा से जोड़ता है।

वर्तमान संकट: जब आकाश मौन हो रहा है
आज पृथ्वी का आकाश धीरे-धीरे मौन होता जा रहा है।
वन कटाव, प्रदूषण, मोबाइल रेडिएशन, रासायनिक खेती और जलवायु परिवर्तन ने अनेक पक्षियों को विलुप्ति के कगार पर पहुँचा दिया है।
कभी सामान्य दिखने वाली गौरैया, सारस, फिशिंग ईगल और नीलकंठ जैसी प्रजातियाँ आज संकटग्रस्त हैं।
डॉ. अली ने बहुत पहले चेताया था —
“यदि हम पक्षियों का संगीत खो देंगे, तो पृथ्वी का मौन हमें भयभीत कर देगा।”
उनका यह वचन आज सम्पूर्ण मानवता के लिए पर्यावरणीय चेतावनी बन चुका है।
विज्ञान, संवेदना और नीति: तीनों का समन्वय

डॉ. सलीम अली ने अपने जीवन से यह सिद्ध किया कि विज्ञान का उद्देश्य केवल खोज नहीं, बल्कि मानवता की रक्षा है।
उनके मार्गदर्शन में Bombay Natural History Society (BNHS) ने भारत में पक्षी एवं वन्यजीव संरक्षण की संस्कृति स्थापित की।
उनके विचारों ने Wildlife Protection Act, 1972 की अवधारणा को सशक्त आधार दिया।
उनके लिए पक्षी संरक्षण केवल पर्यावरणीय नहीं, बल्कि नैतिक और राष्ट्रीय उत्तरदायित्व था।
उन्होंने कहा —
“पक्षियों की रक्षा करना, अपने अस्तित्व की रक्षा करना है।”
डॉ. अली की प्रेरणा से उपजा ‘पक्षी संस्कृति’ का पुनर्जागरण
आज भारत में कई राज्य Bird Festivals आयोजित कर रहे हैं —
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उत्तर प्रदेश का सारस महोत्सव, गुजरात का रण उत्सव, ओडिशा का चिलिका फेस्टिवल, और मध्यप्रदेश का पचमढ़ी बर्ड काउंट।
इन सभी आयोजनों का मूल विचार डॉ. अली की सोच से उत्पन्न हुआ —
“Nature must be celebrated, not exploited
उनकी दृष्टि ने Eco-tourism की अवधारणा को जन्म दिया, जिसमें पर्यटन, शिक्षा और पर्यावरण का संतुलन समाहित है।
डॉ. अली: विज्ञान में भक्ति, भक्ति में विज्ञान
उनका जीवन इस सत्य का प्रमाण है कि विज्ञान और अध्यात्म विरोधी नहीं, पूरक हैं।
वे कहते थे —
“हर पक्षी ईश्वर की बनाई हुई कविता है; उसे पहचानना और उसकी रक्षा करना सच्ची पूजा है।”
उनकी दृष्टि में पक्षी केवल जीवन के दूत, स्वतंत्रता के प्रतीक और आनंद के वाहक थे।
उनकी दृष्टि ने भारतीय विज्ञान को करुणा, विनम्रता और सौंदर्यबोध का स्वर दिया।
पक्षी की सृष्टि की रक्षा, आत्मा की साधना
डॉ. सलीम अली की 129 वीं जयंती केवल एक स्मरण नहीं, बल्कि संकल्प का उत्सव है।
हम सबका दायित्व है कि हम उनके अमर संदेश को आत्मसात करें —
*हर विद्यालय और विश्वविद्यालय में “डॉ. सलीम अली नेचर क्लब” की स्थापना हो।*Birdwatching को स्वास्थ्य और पर्यावरण साधना के रूप में अपनाया जाए।
*प्रत्येक भारतीय अपने घर, बगीचे, छत और बालकनी को पक्षी-मित्र बनाए।
उनकी यह वाणी सदैव हमें प्रेरित करती रहे —
“जहाँ पक्षी हैं, वहाँ संगीत है; जहाँ संगीत है, वहाँ शांति है; और जहाँ शांति है, वहाँ सच्चा भारत है।”
Importance of 90 Minutes: 90 मिनट की जंग में मानवता का चेहरा





