food Science: Drumstick मल्टी विटामिन का कैप्सूल, बेहतरीन औषधी भी है सहजन /मुनगा !

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Drumstickमल्टी विटामिन का कैप्सूल, बेहतरीन औषधी भी है सहजन /मुनगा!

डॉ. विकास शर्मा
सहजन (वानस्पतिक नाम : मोरिंगा ओलिफेरा, Moringa oleifera) एक बहु उपयोगी पेड़ है। इसे हिन्दी में सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे, “ड्रमस्टिक ट्री” भी कहते हैं।माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का तो जैसे भंडार है यह। इसके गुणों को देखते हुये विशेषज्ञ इसे सुपरफूड की संज्ञा देते हैं।
इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो.
सहजन छिंदवाड़ा जिले में प्राकृतिक तौर पर पाया जाने वाला एक पर्णपाती पेड़ है, जो बड़ी झाड़ी या छोटे पेड़ के आकार का हो सकता है। इसकी शाखायें बेहद कमजोर होती हैं। फल फूल तथा पत्तियाँ सब कुछ खाने के लिए सर्वोत्तम भोजन का स्त्रोत हैं। जिसमे से कच्ची-हरी फलियाँ सर्वाधिक उपयोग में लायी जातीं हैं। सहजन के पौधे रोपण के बाद पहले छह महीनों में फूल और फल उत्पादन शुरू कर देते हैं। किन्तु भोजन स्त्रोत के अलावा यह बेहतरीन औषधी भी है। इसीलिये इसे मल्टी विटामिन के कैप्सूल की संज्ञा दी गई है। ग्रामीण क्षेत्रो में इसकी सब्जी, पराठे, शाक भाजी, सुप, और कढ़ी आदि बहुत लोकप्रिय हैं।
Drumstick
भोज्य पदार्थ के अलावा मोरिंगा का इस्तेमाल जलाऊ लकड़ी, पशुचारा आदि के रूप में भी इसका इस्तेमाल कई वर्षों से किया जाता रहा है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर की सेना को हराने के लिए प्रसिद्ध मौर्य सेना प्रमुख सप्लीमेंट के रूप में सहजन का सेवन किया करती थी।
इसके पत्तियों से पराठे बनाना हो, सब्जी बनाना हो या फिर इसकी कढ़ी बनाना हो। सब कुछ बहुत आसान है। लेकिन इसके प्रयोग जा सबसे आसान रूप तो यह है कि पत्तियों को धोकर छोटा छोटा काट ले और आटे में गूथ लें, अब चाहें तो पराठे बनाये या रोटी! इससे मिलने वाले फायदे कम होने वाले नही है।
वर्षों से सहजन को भोजन के पोष्टिक स्त्रोत के रूप में जाना गया है।
सहजन की फली वातरोग, पथरी व बबासीर में लाभप्रद हैं, तो वही पत्तियाँ आंखों की रौशनी के लिए रामबाण औषधि है। इसके अतिरिक्त मोच, साईटिका, गठिया, दमा, हायड्रोसील, मधुमेह, लिवर व स्पीन आदि रोगों कें उपहार में लाभप्रद हैं। छाल का उपयोग भी गठिया तथा हड्डियों को मजबूत बनाने में किया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रो में लोग इसकी पत्तियों के पेस्ट और फलों के गूदे का प्रयोग त्वचा में चमक लाने और झुर्रियों को दूर करने के लिये करते हैं। एंटी- ऑक्सीडेंट्स का भी यह समृद्धशाली भंडार है, इसकी पत्तियों का पाउडर (Powder) रक्त में एंटीऑक्सीडेंट के स्तर को बढ़ा सकता है।
लेकिन जहाँ एक ओर यह सुपर फ़ूड के रूप में स्वीकार किया जाता है वहीं कहीं कहीं आपको यह भी सुनने को मिल जाता है कि इसको नही खाना चाहिए, यह वायरा होता है, या फिर जिसकी हड्डियाँ कभी टूटी हो वह सहजन खायेगा तो समस्या बढ़ जाएगी।
हाँ एक और लेकिन यह धार्मिक आस्था से जुड़ी है, क्योंकि इसके फलों की सब्जियों को चूसकर खाना होता है, जो नॉनवेज से समानता रखने के कारण बहुत से ब्राम्हण परिवारों में खासकर बुजुर्ग व्यक्तियों द्वारा वर्जित होती है अतः यहाँ पत्तियाँ भी भोजन का स्त्रोत हैं। अगर ऐसा है तो बनाने का तरीका बदलें लेकिन इस शानदार सुपर फ़ूड से दूरी न बनाये, क्योंकि यह अच्छे स्वाद के साथ साथ आपकी सेहद में चार चाँद लगाने वाली वनस्पति है। बाकी बातें सिर्फ कहा सुनी तक सीमित हैं। सहजन के पत्तों से रक्त शर्करा के स्तर में कमी आती है। इसके अलावा हृदय रोगियों के लिए भी इसका प्रयोग फायदेमंद है।
यह कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है और हृदयरोगों के जोखिम को कम करता है। आपको क्या लगता है, सहजन केवल पेट भरने और मानव शरीर को स्वस्थ रखने मात्र से संबंधित है, नही भई नही! यहाँ आप गलत हैं, यह समझाइस देने में भी इस्तेमाल किया गया है। यकीन नही होता न, तो आप ही पढ़ लें। रहीम दास जी ने कहा है…
रहिमन अति न कीजिये, गहि रहिये निज कानि।
सैजन अति फूले तऊ, डार पात की हानि।।
अर्थात – अपनी मर्यादा में रहें | अति के साथ अंत जुड़ा है | जैसे जब कभी सहजन की फली ज़रूरत से अधिक फूल जाती है तो अपनी कोमल डालियों और पत्तों को ही तोड़ डालती है, वैसे ही मर्यादा का अतिक्रमण स्वयं के लिए ही घातक होता है |
डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाडा (म.प्र.)