Kabul : बुधवार सुबह अफगानिस्तान भूकंप के झटकों हिल गया। रिक्टर स्केल पर 6.1 तीव्रता के भूकंप में भारी तबाही हुई और अभी तक ढाई सौ से ज्यादा लोगों के मारे जाने की जानकारी है। आपदा प्रबंधन अधिकारियों के मुताबिक, मरने वालों का आंकड़ा और बढ़ सकता है। 150 से ज्यादा लोगों के घायल होने की भी सूचना है।
US जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, इस भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के खोस्त शहर से 44 किलोमीटर दूर और 51 किलोमीटर की गहराई में था। इस भूकंप की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि पड़ोसी देश पाकिस्तान के लाहौर, मुल्तान, क्वेटा में भी लोगों को झटके महसूस हुए। भारत में भी भूकंप के झटके महसूस किए जाने की जानकारी मिली।
मंगलवार देर रात पाकिस्तान में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। यहां रात 2.24 पर 6.1 तीव्रता का भूकंप आया। राहत की बात यह है कि पाकिस्तान में आए भूकंप में किसी जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। इसके अलावा देर रात मलेशिया में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता यहां 5.1 रही।
भूकंप का कारण धरती के अंदर प्लेटों का आपस टकराना है। धरती के अंदर 7 प्लेट्स होती है, जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है और हम इसे भूकंप मानते हैं।
भूकंप की तीव्रता
रिक्टर स्केल पर 2.0 से कम तीव्रता वाले भूकंप को माइक्रो कैटेगरी में रखा जाता है और यह भूकंप महसूस नहीं किए जाते। रिक्टर स्केल पर माइक्रो कैटेगरी के 8,000 भूकंप दुनियाभर में रोजाना दर्ज किए जाते हैं। इसी तरह 2.0 से 2.9 तीव्रता वाले भूकंप को माइनर कैटेगरी में रखा जाता है। ऐसे 1,000 भूकंप प्रतिदिन आते हैं इसे भी सामान्य तौर पर हम महसूस नहीं करते। वेरी लाइट कैटेगरी के भूकंप 3.0 से 3.9 तीव्रता वाले होते हैं, जो एक साल में 49,000 बार दर्ज किए जाते हैं। इन्हें महसूस तो किया जाता है लेकिन शायद ही इनसे कोई नुकसान पहुंचता है।