Effect of Jansunwai : खाली हाथ जनसुनवाई में आई दम्पति मकान मालिक बन गए!

दिव्यांग महिला को भरण-पोषण के लिए तीन पहिया मोटराइज्ड वाहन स्वीकृत किया!

485

Effect of Jansunwai : खाली हाथ जनसुनवाई में आई दम्पति मकान मालिक बन गए!

Indore : मंगलवार की जनसुनवाई में नेत्रहीन दो दिव्यांग दंपत्तियों को जीने का नया सहारा मिला। जनसुनवाई में वे आए तो खाली हाथ थे, गए तो मकान मालिक बनकर। कलेक्टर ने उन्हें हाथों-हाथ मकान का आवंटन पत्र सौंपा और निर्देश दिए कि नए मकान में किराना, बर्तन, कुर्सी आदि जरूरत के सामान भी तुरंत रखे जाए। इसी तरह एक अन्य दिव्यांग महिला को भरण-पोषण के लिए तीन पहिया मोटराइज्ड वाहन स्वीकृत किया गया।

इस बार भी कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई हुई। जनसुनवाई में नेत्रहीन दिव्यांग दंपत्ति रोहित लोधी और पूजा आए। उन्होंने कलेक्टर डॉ इलैया राजा टी को अपनी समस्या बताई। उन्होंने कहा कि वे अगरबत्ती बेचकर अपना गुजर बसर कर रहे हैं। आमदनी भी बहुत कम है। किराया भी तीन हजार रूपए प्रति माह भरना पड़ रहा है। रहने की बहुत समस्या है। कलेक्टर ने उनकी समस्या को गंभीरता से सुनकर निर्देश दिए कि इन्हें तुरंत वन-बीएचके का फ्लैट आवंटित किया जाए। जनसुनवाई में मौजूद नगर निगम के अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूर्ण कर तुरंत ही आवंटन पत्र तैयार कर दिया। इन्हें नीलगिरि कॉम्प्लेक्स सनावदिया में फ्लैट दिया गया है।

इसी तरह एक और नेत्रहीन दंपत्ति रमेश सेन और उनकी नेत्रहीन पत्नी को भी सतपुड़ा परिसर बुढ़ानिया में फ्लेट आवंटित किया गया। इन्हें पूर्व में अन्य जगह पर फ्लेट आवंटित किया गया था, लेकिन उन्हें आने जाने में दिक्कत के कारण उक्त स्थान पर फ्लेट दिया गया। नए स्थान पर फ्लैट मिलने से दंपत्ति बेहद खुश है। रमेश सेन का कहना है कि मैं मालिश कर अपना परिवार का भरण-पोषण करता हूं। घर-घर जाकर मालिश का कार्य करता हूं। अब उचित जगह पर फ्लैट मिलने से मुझे आने जाने में आसानी होगी। कलेक्टर ने उक्त दोनों दंपत्तियों को मकान के आवंटन पत्र सौंपे तथा अधिकारियों को निर्देश दिए कि इन दोनों दंपत्तियों के लिए किराना, बर्तन, कुर्सी आदि जरूरत के सामान तुरंत नए फ्लेट में रखवाए, जिससे कि उन्हें गृहस्थी जमाने में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।

इसी तरह एक अन्य दिव्यांग महिला पूजा जैन भी जनसुनवाई में आयी। उसने बताया कि मैं एक पैर से दिव्यांग हूं। मुझे चलने-फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। कोरोना काल में मेरे पति का निधन भी हो चुका है। छोटी-छोटी मेरी तीन बालिकाएं हैं, बुजुर्ग सास-ससुर भी मेरे साथ रहते हैं। परिवार के भरण-पोषण के लिए मैं घरों में जाकर खाना बनाने का कार्य करती हूं। घरो में जाने के लिए मुझे बहुत परेशानी होती है। कलेक्टर ने गंभीरता से इस समस्या का निराकरण करते हुए तुरंत ही तीन पहिया मोटराइज्ड वाहन स्वीकृत किया। औपचारिकताएं पूर्ण कर शीघ्र ही वाहन दे दिया जाएगा।