वन्दिता श्रीवास्तव की कविता
एक दिन नहर के किनारे
चलो
चल ही दे
इस पगडंडी मे
जो जाती है
नहर के
किनारे किनारे
मिलेगा
एक
सफेद बगुला
काली भैंस के
ऊपर बैठा
जो पी
रही
पानी नहर मे
उड़ रहा
होगा
गौरय्या समूह
नहर के ऊपर
इतराता हुआ
बैठा होगा
बेलू
मछली की
डांड लिये
नहर के किनारे
पास बैठी
उसकी
कबरी बिल्ली
इन्तजार है
उसे
मछली का
नहर के पानी
मे है
आशाओ का
प्रवाह
मिलेगा खेत को
पानी
घर आयेगी
माता लक्ष्मी। ।।। ।
एक दिन नहर के किनारे**