हमास-पीएफआई पर केंद्रित चुनावी संग्राम …
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब बाकी मुद्दे गौण और हमास-पीएफआई का मुद्दा प्राथमिक हो गया है। मध्यप्रदेश के भाजपा नेता इसको लेकर आक्रामक हैं, तो कांग्रेस मौन है। अब जब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर अपना मत साफ कर रहा है और दो खेमे साफ तौर पर आकार ले रहे हैं, तब मध्यप्रदेश का राजनैतिक माहौल भी इस मुद्दे पर दो खेमों में बंटा नजर आ रहा है। यहां मामला विचारधारा पर पहुंचकर अटक गया है। फिर मतदाता भी राष्ट्रभक्ति और राष्ट्रद्रोह जैसे माहौल से दूर कैसे रह सकते हैं? सनातन धर्म के संग अब हमास-पीएफआई का मुद्दा ज्यादा असरकारक नजर आ रहा है।
भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के बयान स्थिति साफ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये कांग्रेस और कांग्रेस के नेता पीएफआई का समर्थन करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह आतंकवादियों पर कार्रवाई करते हैं। और यह आतंकवादियों के मौत पर आंसू बहाते हैं, ओसामा को यह जी कहते हैं, सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि पीएफआई आतंकवादी संगठन है जिस पर बैन लगा है। उसके खिलाफ कार्रवाई हुई तो दिग्विजय सिंह आंसू बहा रहे हैं। कहते हैं यह कार्रवाई गलत हो रही है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जो आतंकवादियों का समर्थन करें, ऐसी पार्टी को किसी को समर्थन करना चाहिए क्या..?
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने कहा कि इजराइल पर आतंकियों के बर्बर हमले से देश की जनता स्तब्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले पर पर दुःख व्यक्त किया है और इस संकट की घड़ी में इजराइल के साथ एकजुटता प्रदर्शित की है। लेकिन ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि सिर्फ तुष्टिकरण की राजनीति के चलते कांग्रेस इस मामले में देश के अधिकृत स्टेंड से अलग जा रही है और कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने आतंकियों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया है। कांग्रेस का यह रवैया नया नहीं है, बल्कि कांग्रेस का हाथ हमेशा से आतंकवादियों, नक्सलवादियों और जिहादियों के साथ रहा है। शर्मा ने कांग्रेस के इस रवैये की कड़ी निंदा की थी और कहा था कि आने वाले चुनाव में जनता ही कांग्रेस की इस समस्या का इलाज करेगी।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने वार किया कि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की एक बात आज तक समझ में नहीं आई। वो जब अपनों पर चोट होती है, तो दर्द से तिलमिला जाते हैं। लेकिन हमास के आतंकियों ने जब इजराइल पर बर्बर हमला किया, तो इनके मुंह से एक शब्द नहीं निकला। जब इजराइल ने जवाब देना शुरू किया, गाजा पट्टी को तहस-नहस करना शुरू किया, तो दिग्विजय सिंह की नींद उड़ गई। कांग्रेस के लोग शोर मचाने लगे हैं। कोई फिलिस्तीनियों की जानमाल की चिंता कर रहा है, तो किसी को मानव अधिकार दिखाई दे रहे हैं। दिग्विजय सिंह कह रहे हैं कि पीएफआई के खिलाफ 97 परसेंट केस झूठे हैं। जो मामला न्यायालय के विचाराधीन हो, उसमें दिग्विजय सिंह कैसे किसी को क्लीन चिट दे सकते हैं? पीएफआई और हमास तो बहाना है, कांग्रेस का असली काम तो आतंकियों को बचाना है। ये लोग आतंकियों से प्रेम करते हैं, तुष्टिकरण से प्रेम करते हैं और इनका असली गेम यही है। कुख्यात आतंकी संगठन हमास से सहानुभूति रखने वाले ये लोग देश का साथ क्यों देंगे?
कट्टर हिंदुत्ववादी नेता रामेश्वर शर्मा ने कहा कि एक तरफ कांग्रेस पार्टी इजराइल पर हमला करने वाले हमास आतंकियों की क्रूरता और बर्बरता पर चुप्पी साध कर उनका परोक्ष समर्थन कर रही है। दूसरी तरफ सरकार जब प्रतिबंधित संगठन पीएफआई के आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, तो पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पेट में दर्द होने लगता है। आखिर कांग्रेस पार्टी और आतंकवाद तथा मुस्लिम कट्टरता के बीच में क्या कनेक्शन है? कांग्रेस पार्टी के बयान और उसके दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं की प्रतिक्रिया देखकर लगता है कि पूरी कांग्रेस पार्टी ही आतंकवाद की प्रवक्ता और इस्लामिक कट्टरता की पैरोकार बन गई है।
तो फिलहाल मध्यप्रदेश का माहौल पूरी तरह से चुनावी है। भाजपा की चार सूची आ गई हैं, तो कांग्रेस की सूची पर हर दिन चिंतन मनन हो रहा है। कहा गया है कि 15 अक्टूबर को पहली सूची आ जाएगी। और 17 अक्टूबर तक सभी प्रत्याशियों के नाम घोषित हो जाएंगे। पर इस बीच मध्यप्रदेश में चुनावी संग्राम हमास-पीएफआई पर केंद्रित हो गया है। लगता है कि आगामी माह 17 नवंबर को मतदान के दिन तक अब यह मुद्दा जिंदा रहने वाला है और हर दिन ज्यादा असर दिखाने वाला है…।