
Election Campaign Closed : निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए
Bhopal : मध्यप्रदेश (MP) में एक लोकसभा और तीन विधानसभा उपचुनावों को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रूप से सम्पन्न कराने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग (Election Commission) के निर्देशों तथा मार्गदर्शन पर निर्वाचन क्षेत्रों में राज्य के बाहर की विशेष सशस्त्र पुलिस की 50 कंपनी और MP SAF की 8 कंपनी तैनात की गई हैं।
चुनाव क्षेत्रों में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचन के लिए निर्वाचन केंद्रों पर तथा निर्वाचन क्षेत्रों में 914 DSP, TI, SI, ASI के अलावा 6,962 आरक्षक और प्रधान आरक्षकों के साथ ही 3,123 होमगार्ड जवान और 3,945 विशेष पुलिस अधिकारी तैनात किए गए हैं। 42 अंतर्राज्यीय नाके, 37 अंतर्ज़िले नाके, 55 फ्लाइंग स्क्वॉड और 64 Static Surveillance टीमें तैनात की गई हैं।
एक लोकसभा और तीन विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए आज शाम 6 बजे चुनाव प्रचार थम गया। दो दिन बाद 30 अक्टूबर को मतदान होगा। करीब एक पखवाड़े तक से भाजपा और कांग्रेस के बीच जनसंपर्क और आम सभाओं के माध्यम से सियासी जंग चल रही थी।

निर्वाचन आयोग द्वारा कोरोना के मद्देनजर मतदान से 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार प्रतिबंधित करने के बाद अब दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों की नजर अब मतदान केंद्रों पर टिकी है। इस चुनाव में दोनों ही पार्टियों का फोकस बूथ को मजबूत बनाने का रहा।
इसके चलते कार्यकर्ताओं को सतत प्रशिक्षण और कार्ययोजना बनाकर अमल भी किया जा रहा है। कार्यकर्ताओं को बूथ जिताने की जिम्मेदारी दी गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेताओं का पूरा ध्यान अब बूथ मैनेजमेंट पर है।
इस उपचुनाव में दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों ने ताकत झोंकने में कोई कसर नहीं छोड़ी । जाति और धर्म के आधार पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से आकर इन चार उपचुनाव क्षेत्रों में डेरा डाले हुए थे। आज बुधवार शाम छह बजे के पहले सभी उपचुनाव क्षेत्रों से ये नेता और कार्यकर्ता निकल गए।
प्रचार का शोर-शराबा थमने और बाहरी नेता व कार्यकर्ताओं के लौटने के बाद अब चुनाव का सारा दारोमदार स्थानीय नेता और कार्यकर्ताओं पर है।
भाजपा और कांग्रेस के नेता मतदान के पहले इन दो दिनों में ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं तक पहुंचकर उन्हें अपनी पार्टी के उम्मीदवार के पक्ष में वोट डालने के लिए मनाने में जुट गए।
एक पखवाड़े की चुनावी जंग में चुनाव प्रचार का पूरा दारोमदार भाजपा की और से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के कंधों पर रहा।
दोनों नेताओं ने तीनों विधानसभा और खंडवा लोकसभा क्षेत्र में जमकर चुनाव प्रचार किया।

खंडवा संसदीय क्षेत्र में आने वाले चार जिलों की आठ विधानसभाओं में लगातार आम सभाएं लेकर पार्टी प्रत्याशी के समर्थन में प्रचार किया। इन नेताओं ने एक दिन में तीन-चार चुनावी सभाएं तक ली। चुनाव प्रचार में प्रत्याशियों से ज्यादा चर्चा प्रदेश के मौजूदा और पूर्व मुख्यमंत्री की जुबानी जंग और आरोप-प्रत्यारोप की रही।
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में दलित परिवारों के घर भोजन और आम लोगों के यहां रात्रि विश्राम कर प्रचार में बढ़त के साथ सुर्खियां भी बटोरी। जबकि, कांग्रेस ने महंगाई को मुद्दा बनाकर केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकार को घेरने का हरसंभव प्रयास किया।
भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में लगातार आम सभाएं मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के अलावा अन्य वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिए जाने से भाजपा को चुनावी खर्च की चिंता सताने लगी।
इस कारण बुधवार को खंडवा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के किसी भी बड़े नेता की चुनावी सभा या दौरान नहीं हुई। कांग्रेस की और से आखिरी दिन राजस्थान की युवा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को मैदान में उतारकर किसान और गुर्जर वोटों में सेंध लगाने का प्रयास किया।
खंडवा में तैयारी
उपचुनाव के लिए खंडवा संसदीय क्षेत्र अंतर्गत आने वाले खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन और देवास जिले की आठ विधानसभाओं में 2367 मतदान केंद्र के अलावा कोरोना के मद्देनजर करीब 500 सहायक मतदान केंद्र और बनाए गए हैं। यहां चुनाव मैदान में भाजपा और कांग्रेस के अलावा 14 निर्दलीय व क्षेत्रीय दल के प्रत्याशी हैं। मतदान 30 अक्टूबर को सायं छह बजे तक होगा वहीं मतों की गिनती 2 नवंबर को जूनापानी स्थित आदर्श महाविद्यालय भवन में होगी।





